जिस रोग को महिलाएं अक्सर सामान्य समझकर करती हैं इग्नोर, वो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का हो सकता है संकेत !

ल्यूकोरिया महिलाओं में होने वाली एक यौन समस्या है. इसमें योनि से दिन-रात सफेद, मटमैला या पीला-सा चिपचिपा गाढ़ा पानी निकलता है. इस रोग को श्वेत प्रदर और सफेद पानी जैसे नामों से भी जाना जाता है. मेडिकल भाषा में इसे ल्यूकोरिया या लिकोरिया कहा जाता है. आमतौर पर 25 से 35 वर्ष की महिलाएं इससे प्रभावित होती हैं. कई बार कम उम्र की लड़कियों को भी ये समस्या हो जाती है.

चूंकि ये परेशानी महिलाओं में बहुत आम है, इसलिए वे इसको गंभीरता से नहीं लेतीं. लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो हर बार ल्यूकोरिया सामान्य नहीं होता. कई बार ये कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का लक्षण भी हो सकता है. इसलिए इस समस्या के बारे में विशेषज्ञ को बताने और इसका इलाज कराने में कोई संकोच न करें. यदि समय रहते इसका इलाज करा लिया जाए तो तमाम परेशानियों से बचा जा सकता है. जानें इससे जुड़ी जरूरी बातें.

रोग का कारण जानें

 ज्यादा खट्टे, चटपटे, मसालेदार और ऑयली भोजन की आदत
 मांस-मदिरा का अधिक सेवन
 वेजाइनल हाइजीन की अस्वच्छता
 गर्भाशय ग्रीवा में चोट
 योनि में ‘ट्रिकोमोन्स वेगिनेल्स’ नामक बैक्टीरिया की मौजूदगी
 बार-बार गर्भपात होने या अबॉर्शन करवाने से
 डायबिटीज, एनीमिया और योनि में फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग के कारण

इन गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकता है ल्यूकोरिया

 सर्वाइकल कैंसर
 एंडोमेट्रियल कैंसर
 गर्भाशय ग्रीवा में सूजन
 हार्मोन असंतुलन
 वैजाइनल कैंसर
 किडनी की बीमारियां
 जिगर के रोग
 हीमोग्लोबिन की कमी
 बार बार गर्भपात आदि

ल्यूकोरिया के कारण होने वाली अन्य परेशानियां

ल्यूकोरिया महिलाओं के लिए अन्य परेशानियों की वजह भी बन जाता है. इसके कारण कई बार प्रजनन अंगों में सूजन आ जाती है. इसके कारण महिलाओं में शारीरिक दुर्बलता, स्वभाव में चिड़चिड़ापन, उत्साह की कमी, तनाव और मूड स्विंग जैसे लक्षण भी पैदा होने लगते हैं.

क्या है इसे ठीक करने का तरीका

 इस समस्या को टालें नहीं, जल्द से जल्द विशेषज्ञ से इलाज करवाएं ताकि अगर ये किसी बीमारी का संकेत है, तो उसे समझकर इसका इलाज किया जा सके. इसके अलावा ल्यूकोरिया के कारण ​भविष्य में होने वाले किसी भी खतरे से बचा जा सके.

 कब्ज इस समस्या को बढ़ा देता है, इसलिए कब्ज से बचने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा फाइबरयुक्त आहार लें.

 मसालेदार और गरिष्ठ भोजन के बजाय हल्का, संतुलित और पौष्टिक भोजन लेने की आदत डालें.

 हाइजीन पर विशेष ध्यान दें और सिंथेटिक कपड़े पहनने से बचें.

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