एजेंसी: साल 2021 के दौरान जेल में बंद पत्रकारों की संख्या में बड़ा इजाफा दर्ज किया गया है। पूरे विश्व में सलाखों के पीछे कैद पत्रकारों की संख्या वैश्विक स्तर पर पहुंच गई। पत्रकारों के हितों के लिए काम करने वाली एक संस्था के मुताबिक मौजूदा साल में 1दिसंबर तक कुल 293 पत्रकारों को कैद किया गया, वहीं 24 ऐसे पत्रकार भी हैं जिन्हें कवरेज के दौरान अपनी जान गवानी पड़ी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि साल 2021 के दौरान 18 पत्रकारों की मौत परिस्थितियों में हुई है, जिनमें यह निर्धारित करना बहुत मुश्किल हो गया कि क्या उन्हें उनके काम के कारण निशाना बनाया गया।
खबरों को कैद करने पर जोर
गौरतलब है कि पत्रकारों को जेल भेजने के कारण अलग-अलग देशों में भिन्न हैं, लेकिन आंकड़े यह बताते हैं कि दुनिया भर में राजनीतिक उथल-पुथल ने स्वतंत्र रिपोर्टिंग के खिलाफ मुश्किलें खड़ी की हैं। पत्रकारों के हितों के लिए काम करने वाली संस्था सीपीजे के कार्यकारी निदेशक जोएल साइमन ने एक बयान में कहा कि “यह लगातार छठा साल है जब सीपीजे ने दुनिया भर में कैद पत्रकारों की रिकार्ड संख्या का दस्तावेजीकरण किया है। जेल में बंद पत्रकारों की संख्या यह बताती है कि पूरे विश्व में सरकारें सूचनाओं को नियंत्रित करने और प्रबंधित करने की कोशिशे कर रही हैं और वे ऐसा करने के अपने प्रयासों को तेजी से बढ़ा रही हैं।”
लाइन आफ ड्यूटी में मौत
साल 2021 के दौरान मारे गए पत्रकारों की लिस्ट में रॉयटर्स के फोटोग्राफर दानिश सिद्दीकी और मैक्सिको में मारे गए गुस्तावो सांचेज कैबरेरा भी शामिल हैं। अफगानिस्तान में कवरेज के दौरान तालिबान के हमले में फोटो जर्नलिस्ट दानिश की मौत हो गई थी और गुस्तावो सांचेज कैबरेरा की मैक्सिको में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। पूरे विश्व में सबसे ज्यादा चीन ने 50 पत्रकारों को कैद किया है, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे बड़ा आंकड़ा है। अन्य देशों में दूसरे स्थान पर म्यांमार आता है, जहां 26 पत्रकार कैद में हैं। तीसरे स्थान पर मिस्र (25), चौथे पर वियतनाम (23) और पांचवे स्थान पर बेलारूस (19) आता है।
मेक्सिको सबसे असुरक्षित
सीपीजे की लिस्ट में पहली बार हांगकांग में कैद पत्रकार शामिल हैं। हांगकांग में साल 2020 में पारित किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत तोड़फोड़, अलगाव, आतंकवाद या विदेशी ताकतों के साथ मिलीभगत करने पर सजा का प्रावधान तय किया गया है। साथ ही रिपोर्ट में मेक्सिको को पत्रकारों के लिए सबसे असुरक्षित देश बताया गया है।
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