सर्दियों में बिस्तर पर कीजिए ये 3 योगासन, सारा आलस गायब हो जाएगा, तमाम तकलीफों से भी मिलेगी मुक्ति…

सेतुबंधासन: इसे करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों पैरों को कूल्हे की तरफ खींचें. दोनों पैरों में थोड़ा अंतर रखें और अपने हाथों से पैरों के टखनों को पकड़ लें और अपनी कमर को ज्यादा से ज्यादा ऊपर उठाने का प्रयास करें. इस बीच आपका सिर व कंधे जमीन पर ही रहने दें और आपकी ठुड्डी आपकी छाती को छूती हुई होनी चाहिए. इस स्थिति में कुछ समय तक रुकें. सांस सामान्य रूप से लें. इसके बाद वापस सामान्य मुद्रा में लौट आएं. इस अभ्यास को एक बार में 4 से 5 बार दोहराएं. इससे आलस तो दूर होता ही है, साथ ही कमर दर्द में राहत मिलती है, बेली फैट कम होता है. व्यक्ति फुर्तीला बनता है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं.

धनुरासन : इस आसन में व्यक्ति की मुद्रा धनुष की तरह बन जाती है. इसे करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं. इसके बाद अपने घुटनों को मोड़ते हुए कमर के पास लाएं और अपने हाथ से दोनों टखनों को पकड़ें. अपने सिर, छाती और जांघ को ऊपर की ओर उठाएं और शरीर के भार को पेट के निचले हिस्से पर लेने का प्रयास करें. पैरों को पकड़कर आगे की ओर शरीर को खींचने की कोशिश करें. इसी स्थिति में क्षमतानुसार कुछ समय तक रुकें. इसके बाद सामान्य मुद्रा में आ जाएं. ये आसन मांसपेशियों को लचीला बनाता है. पीरियड्स की अनियमिता दूर करता है, आलस भगाता है और डिप्रेशन व पेट की समस्याओं को दूर करता है.

धनुरासन : इस आसन में व्यक्ति की मुद्रा धनुष की तरह बन जाती है. इसे करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं. इसके बाद अपने घुटनों को मोड़ते हुए कमर के पास लाएं और अपने हाथ से दोनों टखनों को पकड़ें. अपने सिर, छाती और जांघ को ऊपर की ओर उठाएं और शरीर के भार को पेट के निचले हिस्से पर लेने का प्रयास करें. पैरों को पकड़कर आगे की ओर शरीर को खींचने की कोशिश करें. इसी स्थिति में क्षमतानुसार कुछ समय तक रुकें. इसके बाद सामान्य मुद्रा में आ जाएं. ये आसन मांसपेशियों को लचीला बनाता है. पीरियड्स की अनियमिता दूर करता है, आलस भगाता है और डिप्रेशन व पेट की समस्याओं को दूर करता है.

बालासन : बालासन करने के लिए पैरों को मोड़कर वज्रासन मुद्रा में बैठ जाएं. इसके बाद सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर ले जाएं और जबकि सांस छोड़ते समय आगे की तरफ झुकें. आपका सीना जांघों को छूना चाहिए और माथे से फर्श को स्पर्श करने का प्रयास करें. कुछ देर इस मुद्रा में रहें और सांस को सामान्य रूप से लेते और छोड़ते रहें. इसके बाद वापस सामान्य मुद्रा में आ जाएं. इसे भी एक बार में 4 से 5 बार करें. बालासन करने से जांघों, कूल्हों और टखनों में मजबूती आती है. शरीर में रक्त प्रवाह अच्छे से होता है, पेट की समस्याएं कम होती हैं और शरीर फुर्तीला बनता है.

बालासन : बालासन करने के लिए पैरों को मोड़कर वज्रासन मुद्रा में बैठ जाएं. इसके बाद सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर ले जाएं और जबकि सांस छोड़ते समय आगे की तरफ झुकें. आपका सीना जांघों को छूना चाहिए और माथे से फर्श को स्पर्श करने का प्रयास करें. कुछ देर इस मुद्रा में रहें और सांस को सामान्य रूप से लेते और छोड़ते रहें. इसके बाद वापस सामान्य मुद्रा में आ जाएं. इसे भी एक बार में 4 से 5 बार करें. बालासन करने से जांघों, कूल्हों और टखनों में मजबूती आती है. शरीर में रक्त प्रवाह अच्छे से होता है, पेट की समस्याएं कम होती हैं और शरीर फुर्तीला बनता है.

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