जनवरी में UAE और कुवैत दौरे पर जाएंगे पीएम मोदी, महामारी में मिला था दोनों देशों का साथ, जानें क्यों अहम है ये यात्रा..

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2022 की शुरुआत विश्वसनीय सहयोगी संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत की यात्रा के साथ करेंगे. इन्हीं दौरों के साथ उनकी 2022 की विदेश यात्रा कैलेंडर की शुरुआत होगी. पीएम मोदी ‘दुबई 2020 एक्सपो’ का दौरा करेंगे. इस यात्रा का वास्तविक उद्देश्य दोनों सहयोगियों को कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत के साथ खड़े होने के लिए धन्यवाद करना है. दोनों देशों ने कोरोना की दूसरी लहर के दोरान विशाल भारतीय प्रवासी लोगों की देखभाल की और उनका ख्याल रखा. संयुक्त अरब अमीरात में भारत के करीब 40 लाख लोग रहते हैं और कुवैत में लगभग 10 लाख प्रवासी भारतीय हैं, जो जरूरत के समय में भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं.

सरकार भले ही इस पूरी यात्रा के बारे में चुप्पी साधे हुए है, लेकिन पीएम मोदी जनवरी 2022 के पहले 10 दिनों में इन दोनों देशों की यात्रा कर सकते हैं. इन दोनों विदेश यात्राओं पर विशेष जोर दिया जा रहा है क्योंकि दोनों देश भारत की मध्य-पूर्व क्षेत्र में विदेश नीति के केंद्र में हैं.

अगस्त 2015 में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के निमंत्रण पर यूएई की अपनी पहली यात्रा के बाद से, पीएम मोदी की नजर पूरी तरह अबू धाबी के साथ संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही है, विदेश मंत्री एस जयशंकर भी पिछले रविवार को ही यूएई से लौटे हैं. संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और चीन के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है, जिसके साथ भारत का व्यापार 60 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का है. जनवरी 2022 की यात्रा पीएम मोदी की यूएई की चौथी यात्रा होगी.

भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने आज सभी भारत विरोधी आपराधिक और आर्थिक गतिविधियों को खत्म करके साइबर सुरक्षा, कट्टरपंथ के खिलाफ कार्रवाई के साथ-साथ रक्षा और खुफिया जानकारी साझा करने के क्षेत्र में गहन सहयोग के साथ अपने संबंधों को एक नए मुकाम तक पहुंचा दिया है.

एक पूर्व विदेश सचिव के मुताबिक, ‘जिस तरह पूर्वी क्षेत्र में भारत के लिए सिंगापुर राजनयिक गतिविधि का केंद्र है, उसी तरह अबू धाबी भारत में निवेश प्राप्त करने के लिए मध्य-पूर्व क्षेत्र में दूसरा केंद्र है.’ भारत मानता है कि यूएई ने पिछले कुछ वर्षों में न केवल वैश्विक बुनियादी ढांचा विकसित किया है, बल्कि मध्य-पूर्व में राजनयिक गतिविधि का भी केंद्र बनकर उभरा है.

इस क्षेत्र में यह एक प्रमुख क्षेत्रीय रक्षा शक्ति भी है और इस बात को हम इस तरह भी समझ सकते हैं कि पिछले हफ्ते ही संयुक्त अरब अमीरात ने फ्रांस से 80 राफेल लड़ाकू विमान और 13 भारी लिफ्ट हेलीकॉप्टर खरीदने का फैसला किया है.

संयुक्त अरब अमीरात की तरह, कुवैत के साथ भी भारतीय संबंध बहुत खास हैं क्योंकि कुवैत ने भारत में महामारी की दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति की थी.

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