कोरबा 3 दिसम्बर (वेदांत समाचार) जिला पुलिस कोरबा द्वारा कल 02.12.2021 को रक्षित केंद्र कोरबा में थर्ड जेंडर व्यक्तियों के अधिकारों के संरक्षण अधिनियम पर पुलिस अधिकारियों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। विषय विशेषज्ञ के रूप में थर्ड जेंडर कल्याण बोर्ड की सदस्य रवीना बरिहा और शिजा फाउंडेशन के संचालक एवं थर्ड जेंडर व्यक्ति से संबंधित काउंसलर डॉ. समीर डेनियल उपस्थित रहे।
पुलिस मुख्यालय के आदेशानुसार एवं जिला पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यशाला में रवीना बरिहा ने थर्ड जेंडर व्यक्ति के अधिकारों के संरक्षण अधिनियम 2019 एवं उपनियम 2020 के प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारे धर्म ग्रंथों में किन्नर ( उभय लिंगी व्यक्ति) को सम्मान के नजरों से देखा जाता था। वर्ष 1871 में ब्रिटिश काल में कानून पारित कर किन्नर समुदाय को अपराधी घोषित कर दिया गया। किन्तु बाद मव सरकार ने थर्ड जेंडर समुदाय को भी कानूनी मान्यता प्रदान करते हुए वर्तमान में बराबरी का दर्जा देकर शासकीय सेवाओं में भी आरक्षण का प्रावधान किया है ।
भारत सरकार ने 2011 के जनगणना में पहली बार किन्नरों को शामिल किया और 2019 में उनके अधिकारों के लिए कानून लाया गया। कानून के बारे में प्रकाश डालते हुए रवीना ने कहा कि किसी भी उभय लिंगी को वेश्यावृत्ति, बंधुवा मजदूर, आम जगह पर जाने से रोकने, घर या गाँव से निकालने, छक्का, किन्नर या मामू बोलने या सेक्सुअल एब्यूज करना अपराध है। पुलिस के पास ऐसी शिकायत आने पर अधिनियम के धारा 18 (अ )के तहत मामला दर्ज कर किया जा सकता है ।
शरीर और मन से अलग होना उभयलिंगी है:-
डॉ समीर डेनियल ने कहा कि सिर्फ आंतरिक अंग विकसित नही होने मात्र से व्यक्ति किन्नर नहीं हो जाता बल्कि इसके लिए शरीर और मन से अलग होना जरूरी है। उभय लिंगी -लेस्बियन( स्त्री से स्त्री का शारीरिक या मानसिक संबंध), गे ( पुरुष से पुरुष का शारीरिक या मानसिक संबंध ) या ट्रांसजेंडर जो स्त्री या पुरुष के रूप में अपने आप को परिवर्तित करा लेता है। उक्त सभी को इस अधिनियम के तहत सरंक्षण प्राप्त है।
कार्यक्रम में राक्षित निरीक्षक अनथ राम पैकरा, निरीक्षक विवेक शर्मा, राकेश मिश्रा, लीलाधर राठौर,राजीव श्रीवास्तव, सूबेदार भुनेश्वर कश्यप, उप निरीक्षक मयंक मिश्रा, आशीष सिंग एवं लगभग 50 पुलिस अधिकारी शामिल हुए ।
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