DAP की कमी के बीच वैकल्पिक खाद की बिक्री में बड़ा उछाल, बुवाई में किसान व्यापक तौर पर कर रहे इस्तेमाल…

रबी फसलों की बुवाई में देश के किसान प्रमुख रूप से डाय अमोनियम फॉस्फेट (DAP) का खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा पोटाश (MOP) का उपयोग होता है. हालांकि इन दोनों उर्वरकों की भारी किल्लत है और किसानों को समय पर उपलब्ध नहीं हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन उर्वरकों की कीमत आसमान छू रही है, जिसका असर अपने यहं भी देखने को मिल रहा है. यहीं कारण है कि किसान अब इसके विकल्प के रूप में अन्य जटील खाद (Complex Fertilizer) का इस्तेमाल कर रहे हैं. व्यापक तौर पर उपयोग के कारण इनकी बिक्री में बड़ा उछाल आया है.

इस रबी सीजन में फसलों की बुवाई के दौरान किसान अब डीएपी और एमओपी की जगह सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं. इसी वजह से पिछले साल के मुकाबले इनकी बिक्री में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.

किसानों के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और सल्फर के संयोजन वाला खाद डीएपी का विकल्प बना है. इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, इस खाद की अक्टूबर-नवंबर के महीने में पिछले साल 18.48 लाख टन थी, जो इस बार करीब 50 प्रतिशत बढ़कर 27.7 लाख टन तक पहुंच गई है. वहीं सिंगल सुपर फॉस्फेट की बिक्री में पिछले साल के मुकाबले दो-तिहाई की बढ़ोतरी हुई है.

डीएपी और एमओपी की बिक्री में भारी गिरावट

जटिल उर्वरकों में ’20:20:0:13′, ’10:26:26:0′ और ’12:32:16:0′ जैसे उत्पाद शामिल हैं जो विभिन्न एनपीकेएस अनुपातों को दर्शाते हैं. इन उर्वरकों में यूरिया (46 प्रतिशत- एन), डीएपी (46 प्रतिशत- पी और 18 प्रतिशत- एन) और एमओपी (60 प्रतिशत- के) की तुलना में विशिष्ट पौधों के पोषक तत्वों की सामग्री कम होती है. लेकिन सभी आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स उचित मात्रा में होने से वे अधिक संतुलित उर्वरक बन जाते हैं. यह एसएसपी पर भी लागू होता है, जिसमें डीएपी के 46 प्रतिशत के मुकाबले केवल 16 प्रतिशत ही फॉस्फेट है. लेकिन इसमें 11 प्रतिशत सल्फर भी होता है, जो डीएपी में मौजूद नहीं रहता.

एक तरह जहां सिंगल सुपर फॉस्फेट की बिक्री में भारी बढ़ोतरी हुई है तो दूसरी तरफ डीएपी और एमओपी की बिक्री में बड़ी गिरावट दर्ज हुई है. विशेषज्ञों इसके पीछे का कारण बताते हुए कहते हैं कि आसमान छूती वैश्विक कीमतों के कारण आयात पर असर पड़ा है और माल की उपलब्धता नहीं है.

दोगुने से अधिक हो गए हैं खाद के दाम

उर्वरक विभाग के डेटा से पता चलता है कि अक्टूबर-नवंबर के दौरान डीएपी की खुदरा बिक्री 28.76 लाख टन रही. यह 2020 के इसी दो महीने की 35.23 लाख टन की बिक्री की तुलना में 18.4 प्रतिशत कम है. अगर एमओपी की बात करें तो अक्टूबर-नवंबर 2021 में इसकी बिक्री 4.88 लाख टन रही, जो पिछले साल के 5.8 लाख टन से 15.9 प्रतिशत कम है.

फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक सतीश चंदर ने कहा कि जटिल उर्वरकों और एसएसपी की बिक्री में उछाल एक अच्छा संकेत है. खासकर तब जब उर्वरकों और कच्चे माल की वैश्विक कीमत आसमान छू रही है. उन्होंने कहा कि संतुलित फसल पोषण ही अब आगे के लिए रास्ता है. वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खाद का भाव दोगुने से अधिक हो गया है.

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