महाराष्ट्र में एक बार फिर बेमौसम बारिश किसानों की उम्मीदों पर कहर ढाने लगी है. अगस्त-सितंबर की बाढ़ और भारी बारिश से प्रदेश के किसान अभी उबरे भी नहीं थे कि दिसंबर की शुरुआत से ही मौसम ने उन्हें फिर परेशान करना शुरू कर दिया है. कुछ जिलों में जोरदार बारिश तो कुछ में हल्की हो रही है. जिसकी वजह से अर्ली खरीफ सीजन के प्याज की फसल (Onion Crop) को भारी नुकसान हुआ है. इस समय नासिक सहित कई जिलों में अर्ली खरीफ सीजन का प्याज खेतों से बाहर निकाला जा रहा था.
किसी को उम्मीद नहीं थी कि दिसंबर में बारिश होगी. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले ने बताया कि आठ-दस दिन के अंदर जो प्याज खेतों से बाहर निकाले जाने वाला था, बारिश होने से उसे काफी नुकसान हुआ है. वो या तो सड़ने लगेगा या फिर उसकी क्वालिटी इतनी खराब हो जाएगी कि उसका कोई दाम नहीं रह जाएगा. किसान अपनी तैयार फसल को खराब देखकर काफी निराश हैं.
इन जिलों में नुकसान
दिघोले ने बताया कि यह बारिश महाराष्ट्र के पूरे प्याज बेल्ट में हो रही है. इनमें नासिक, पुणे, अहमदनगर, धुले, सतारा, सोलापुर, उस्मानाबाद और जलगांव आदि शामिल हैं. महाराष्ट्र के कुल प्याज प्रोडक्शन का करीब 15 फीसदी अर्ली खरीफ का हिस्सा होता है. पहले किसानों (Farmers) को रबी सीजन के प्याज का नुकसान हुआ फिर अर्ली खरीफ का. जून में स्टोर किया गया रबी सीजन का प्याज अगस्त-सितंबर में अतिवृष्टि की वजह से खराब हो गई. अब नई फसल पर भी मार पड़ी है.
किसानों को मिले मुआवजा
दिघोले का कहना है कि दो-दो सीजन में भारी नुकसान झेल चुके किसानों को सरकार मुआवजा दे. पानी के लिहाल से प्याज बहुत सेंसिटिव क्रॉप है. इसलिए इस बार की बारिश उसकी क्वालिटी को खराब कर देगी और उसका दाम नहीं मिलेगा. नासिक में एक दिसंबर को सुबह से शुरू हुई बारिश दो दिसंबर तक जारी रही. काफी खेतों में पानी भर गया है.
रबी सीजन की नर्सरी पर भी असर
दिघोले ने बताया कि इस बारिश का असर रबी सीजन की नर्सरी पर भी पड़ा है. खेतों में ज्यादा पानी भरने से नर्सरी चौपट हो रही है. जिससे उसे महंगा होने की संभावना है. नर्सरी महंगा होगा तो फिर प्याज की खेती की लागत बढ़ेगी. जबकि किसान पहले से ही खाद, डीजल और कीटनाशकों (Pesticides) की महंगाई से परेशान हैं. महाराष्ट्र देश का करीब 40 फीसदी प्याज उत्पादित करता है.
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