लहसुन सेहत के लिए कितना जरूरी और उपयोगी है, यह ऐसी जानकारी है, जो किसी के लिए भी नई नहीं है. लहसुन में पाए जाने वाले तत्वों, एंटी बैक्टीरियल गुणों और उसके फायदों की कहानी से इंटरनेट भरा पड़ा है. लेकिन यह जानना रोचक है कि इतिहास में मनुष्य ने कब और कैसे लहसुन उगाना शुरू किया होगा. उसकी खोज कैसे हुई होगी.
इंसान ने कब और कैसे बीमारियों के इलाज के लिए लहसुन का प्रयोग करना शुरू किया होगा. हरेक चीज जो प्राचीन परंपरिक ज्ञान का हिस्सा है, उसकी कहानी बहुत रोचक है.
इतिहास में लहसुन की खेती के शुरुआती उल्लेखक 4000 साल पहले के मेसोपोटामिया में मिलते हैं. चीन और मिस्र में भी हजारों साल पहले लोग लहसुन की खेती कर रहे थे. 1325 ईसा पूर्व में मिस्र के सम्राट तुतांकखेमान की कब्र में प्रिजर्व करके रखा गया लहसुन पाया गया.
इतिहास में ऐसा उल्लेख मिलता है कि प्राचीन मिस्र में लोग किसी की मृत्यु पर उसकी कब्र में लहसुन भी रखते थे. ऐसी मान्यता थी कि यह दूसरी दुनिया में उन्हें रोग, शोक और बीमारियों से बचाएगा.
प्राचीन ग्रीस और रोमन सभ्यताओं में भी लहसुन के प्रयोग का उल्लेख मिलता है. लंबी यत्राओं पर जाने वाले नाविक और सिपाही अपने सामानों में लहसुन लेकर जाते थे. तब तक मेडिकल साइंस ने तो ये नहीं बताया था कि लहसुन में एंटी बैक्टीरियल तत्व होते हैं, लेकिन मनुष्य ने अपने अनुभव से यह ज्ञान अर्जित कर लिया था कि लहसुन का प्रयोग उन्हें यात्रा और घर से दूर बीहड़ की लंबी लड़ाइयों के बीच रोग से बचाएगा. आज लहसुन का एंटी बैक्टीरियल गुण को किसी प्रमाण की जरूरत नहीं है.
लहसुन एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसकी खेती अब पूरी दुनिया में होती है और हर जगह इसे एंटी बैक्टीरियल मेडिसिन के रूप में इसतेमाल किया जाता है. हमारे पड़ोसी देश चीन में 2019 में दुनिया का सबसे ज्यादा लहसुन उत्पादन हुआ था.
दवाइयों के साथ-साथ लहसुन हमेशा से पारंपरिक भोजन का स्वाद बढ़ाने का भी काम करता रहा है. 15वीं शताब्दी ईसा पूर्व की ब्रिटिश कहानियों में जगह-जगह भोजन के वर्णन में लहसुन की महक का जिक्र आता है. रोम, यूनान, मिस्र, चीन, मेसोपोटामिया और भारत में भी लहसुन पारंपरिक भोजन का अभिन्न हिस्सा रहा है. हालांकि इतिहास में ऐसा कोई उल्लेख नहीं मिलता कि लहसुन भारत में कब और कैसे आया. मुगलों और अंग्रेजों के आने के बहुत पहले से यहां लहसुन की खेती हो रही थी और लहसुन भारतीय मसालों की समृद्ध परंपरा का हिस्सा था.
हालांकि हिंदू मत के कुछ समुदायों में लहसुन और प्याज के सेवन की अनुमति नहीं थी, लेकिन वृहत्तर भारत में यह भोजन का अभिन्न अंग था. यहां तक कि कुछ खास तरह की मदिरा के निर्माण में भी लहसुन का प्रयोग किया जाता था.
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