चॉकलेट का लालच देकर 4 साल की लड़की से 12 साल के लड़के ने किया यौन शोषण, FIR दर्ज…

30 नवंबर (वेदांत समाचार)। महाराष्ट्र के पुणे से एक यौन उत्पीड़न का चौंकाने वाले मामला सामने आया है. यहां एक 4 साल की लड़की को चॉकलेट देने के बहाने 12 साल के लड़के ने उसके साथ शोषण किया. बताया जा रहा है कि लड़का उसके पड़ोस में ही रहता था और लड़की जब उसके घर गई तो उसने मासूम का यौन उत्पीड़न किया. लड़की के परिजनों की शिकायत के बाद पिंपरी चिंचवड़ पुलिस ने शनिवार को आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. पुलिस के मुताबिक, घटना पिछले हफ्ते हुई थी. आरोपी की तलाश जारी है.

दो माह पहले पुणे में नाबालिग से 8 लोगों के किया था गैंगरेप

बता दें, सितंबर माह में पुणे रेलवे स्टेशन के पास से 14 साल की एक लड़की का कथित रूप से अपहरण कर लिया गया था. उसके बाद शहर में कई स्थानों पर उससे बलात्कार किया गया. पुलिस ने इस वारदात के बाद 8 लोगों को गिरफ्तार किया था, इनमें 6 ऑटोरिक्शा चालक हैं, जबकि दो रेलवे के कर्मचारी थे. दरअसल, लड़की 31 अगस्त को अपना घर छोड़कर पुणे रेलवे स्टेशन पहुंची जहां से उसे अपने दोस्त से मिलने के लिये ट्रेन में सवार होना था. इसी दौरान इन आठ लोगों ने उसे अगवा कर घटना को अंजाम दिया था.

NCRB के आंकड़े भी उठाते हैं मुंबई पर सवाल

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई में प्रति लाख आबादी पर क्राइम रेट 272.4 दर्ज किया गया. वहीं प्रति एक लाख जनसंख्या पर अपराध दर 110 से कम होने और रेप व हत्या जैसे गंभीर अपराधों की सबसे कम संख्या दर्ज की गई. साथ ही कोलकाता को देश के महानगरीय शहरों में से सबसे सुरक्षित माना गया है. दिल्ली में प्रति लाख जनसंख्या पर 1,506.9 क्राइम रेट के साथ सबसे ज्यादा संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए. चेन्नई में 1,016.4 की दर से केस दर्ज हुए. वहीं, बेंगलुरु में 234.9 की दर केस दर्ज कए गए.

क्या होता है पॉक्सो एक्ट?

POCSO एक्ट का पूरा नाम ‘Protection Of Children From Sexual Offences Act’ या प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट है. हिंदी में इसे ‘लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012’ कहते हैं. पोक्सो एक्ट-2012, को बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बनाया था. साल 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है.

इस एक्ट के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर होने वाले यौन शोषण अपराध इसमें आते हैं. साथ ही इस कोर्ट में आईपीसी की तुलना में सजा के प्रावधान ज्यादा कड़े हैं.