प्याज के दाम में रिकॉर्ड गिरावट, अहमदनगर में सिर्फ 400 रुपये प्रति क्विंटल रह गया न्यूनतम दाम…

देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक प्रदेश महाराष्ट्र में किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. यहां पर प्याज के दाम (Onion price) में गिरावट जारी है. अहमदनगर जिले में इसके दाम में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है. यहां की मंडी में प्याज का  सिर्फ 400 रुपये प्रति क्विंटल रहा गया है. जबकि मॉडल प्राइस 1975 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है. यह दाम 26 नवंबर को था. जब मार्केट में 2370 क्विंटल प्याज की आवक हुई थी.

सवाल ये है कि अगर ऐसा ही रहा तो 2022 तक किसानों की आय (farmers income) डबल करने का सपना कैसे पूरा होगा. जबकि प्याज की खेती की लागत लगातार बढ़ रही है.किसानों का कहना है कि इतनी तो उनकी लागत ही आ रही है. ऐसे में 32-35 रुपये प्रति किलो से कम बेचने पर घाटा ही है. डीजल, कीटनाशक, खाद, खेत की जुताई और लेबर कॉस्ट सबमें वृद्धि हो रही है. जबकि किसानों को उस हिसाब से प्याज का दाम नहीं मिल रहा है. ऐसे में इनकम डबल करने की बात तो दूर, किसानों के पहले जैसे हालात भी नहीं रहेंगे.

लासलगांव मंडी निभाती है अहम भूमिका

उधर, एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी में 26 नवंबर को 4500 क्विंटल प्याज की आवक हुई. यहां पर न्यूनतम दाम 600 जबकि मॉडल प्राइस 1750 रुपये प्रति क्विंटल रहा. यह मंडी नासिक जिले में स्थित है जहां महाराष्ट्र का लगभग 60 फीसदी प्याज का उत्पादन होता है. कृषि कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि देश में प्याज का दाम तय करने में लासलगांव मंडी अहम भूमिका अदा करती है. क्योंकि यह सबसे बड़ा मार्केट है.

दाम न मिलने से परेशान हैं किसान

महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि प्याज किसान काफी परेशान हैं. पहले तो बार-बार बारिश आ रही है. उससे बार-बार फसल खराब हो रही है. पहले प्रकृति ने मारा और अब दाम ने मारना शुरू किया है. ऐसा भी नहीं है कि इसकी बंपर आवक है. सरकार की नीतियां भी समझ में नहीं आ रही है. प्याज किसानों का क्या करना है इसका कोई रोडमैप नहीं बनाया. यह महाराष्ट्र की मुख्य फसल है. उस पर भी कोई ध्यान नहीं है. सरकारी खरीद नैफेड को हम 30 रुपये मिनिमम मांग की थी. लेकिन वो राजी नहीं हुए.

प्याज का दाम फिक्स करे सरकार

दिघोले का कहना है कि सरकार अपनी किसी भी एजेंसी से प्रति क्विंटल प्याज की लागत निकलवा ले और उस पर 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर इसका एक दाम तय कर दे. ताकि किसानों को नुकसान न हो. वरना किसान परेशान होते रहेंगे. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुखद है कि आजादी के 75 साल बाद भी आज तक प्याज को लेकर कोई पॉलिसी नहीं बनी. जबकि देश के बड़े हिस्से में प्याज की खेती होती है. महाराष्ट्र के तो ज्यादातर किसान प्याज की खेती पर ही निर्भर हैं.

अगर प्याज का सही दाम नहीं मिलेगा तो किसान बर्बाद होंगे. इससे सरकार आयात पर निर्भर हो जाएगी. ऐसा होना न सिर्फ किसानों बल्कि देश की इकोनॉमी के साथ भी अच्छा नहीं होगा. प्याज एक ऐसी फसल है जिसमें दूसरी फसलों के मुकाबले ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है. इसे डिस्करेज मत करिए. प्याज की लाखों मजदूर लगे हुए हैं. उन्हें पूरे साल काम मिलता है. रेट अच्छा रहेगा तभी खेती होगी.

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