भिलाई25 नवंबर (वेदांत समाचार)। भिलाई इस्पात संयंत्र के मैत्रीबाग जू में लखनऊ से मगरमच्छ, पेलीकन, हिरण की अलग-अलग प्रजाति बारहसिंघा सहित अन्य जानवरों को लाया जाएगा।
इसके अलावा एक मेल लायन भी लाया जाएगा, जिससे मैत्रीबाग जू में फिमेल लायन की वंशवृद्धि हो सके। कोरोना की वजह से जानवरों को लाने की प्रक्रिया में विलंब हुआ। अब जल्द ही प्रक्रिया पूरी करते हुए जानवरों को लाया जाएगा।
भिलाई इस्पात संयंत्र के उद्यानिकी विभाग द्वारा मैत्रीबाग में चिड़ियाघर (जू) संचालित है।
इस जू में 390 वन्य प्राणियों वर्तमान में हैं। वर्तमान में कोरोना की वजह से जू बंद है। कोरोना की पहली लहर के दौरान मैत्रीबाग को पहली बार 16 मार्च 2019 में बंद कर दिया गया था।
बाद में 13 फरवरी 2020 को इसे फिर खोला गया था। महज 34 दिनों के बाद ही इसे कोरोना की दूसरी लहर के कारण बंद कर दिया गया। इसके बाद से यह अब तक बंद है। प्रबंधन इस जू में आम पर्यटकों को और अधिक आकर्षित करने के लिए वन्य प्राणियों की संख्या और अधिक करने की मंशा से अन्य जू से लाने संपर्क में है।
कोरोना की वजह से दिक्कत
मैत्रीबाग में चिड़ियाघर (जू) प्रबंधन ने लखनऊ के जू से मगरमच्छ, पेलीकन, हिरण की अलग-अलग प्रजाति व बारहसिंघा लाने के लिए जू अथारिटी आफ इंडिया के माध्यम से पत्राचार किया था। जानकारी के अनुसार इस दौरान ही कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो गई और मामला अटक गया।
अब जाकर मैत्रीबाग प्रबंधन ने इस पर आगे पहल शुरू कराई है। जू अथारिटी आफ इंडिया को भी इसके लिए पत्र भेजा गया है। जल्द ही औपचारिकता पूरी होने की उम्मीद है। इसके तुरंत बाद ही इन वन्य प्राणियों को लखनऊ के जू से लाया जाएगा। वर्तमान में यहां 116 हिरण व बारहसिंघा हैं।
जूनागढ़ से लाएंगे मेल लायन
मैत्रीबाग में चिड़ियाघर (जू) में वर्तमान में एक फीमेल लायन ही रह गई है। जोड़ा नहीं रहने की वजह से इसकी वंशवृद्धि भी रूक गई है। ऐसे में मैत्रीबाग प्रबंधन ने जू अथारिटी आफ इंडिया के माध्यम से गुजरात के जूनागढ़ से एक मेल लायन की मांग की है। इसके लिए भी पत्राचार कर दिया गया है। जल्द ही स्वीकृति मिलने की उम्मीद है।
25 को खुलेगा मैत्रीबाग का जू
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मैत्रीबाग केे जू को आठ माह बाद फिर से आम पर्यटकों के लिए फिर से खोलने की तैयारी है। इसके लिए जिला प्रशासन एवं वन विभाग से पत्राचार करते हुए अनुमति भी मांगने के साथ ही सारी तैयारी शुरू कर दी गई है।
इसे 25 नवंबर को आम पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। इसके बाद वन्य प्राणियों का आम पर्यटक दीदार कर सकेंगे। कोरोना काल में जू बंद होने से प्रबंधन को टिकट के माध्यम से प्राप्त होने वाला राजस्व प्रभावित हुआ है। करीब पौने दो करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है।
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