Ayurveda Tips For Drinking Coffee: नेशनल कॉफी एसोसिएशन के अनुसार, कॉफी दुनिया में सबसे अधिक डिमांड की जाने वाली चीजों में से एक है. आमतौर पर देखा जाता है कि लोग चाय पिए ना पिए लेकिन कॉफी का सेवन जरूर करते हैं. कॉफी पीने का इतिहास एक इथियोपियाई बकरी चराने वाले के साथ शुरू हुआ था, जिसने पहली बार कॉफी बीन्स के प्रभावों की खोज की थी. आपको बता दें कि कॉफी बीन पॉलीफेनोल एक्टीविटी का एक पावरहाउस है. पॉलीफेनोल्स पौधों में पाए जाने वाले यौगिक होते हैं जिनमें हाई एंटीऑक्सीडेंट एक्टीविटी होती है, जो नुकसान पहुंचाने वाले मुक्त कणों का अंदर से मुकाबला कर सकते हैं
हम में से कई लोग ऐसे होते हैं जो कि अपने दिन की शुरुआत ही एक कप शानदार कॉफी (Coffee) से करते हैं.इतना ही नहीं कॉफी के शौकीन लोग एक दिन में छह से सात कप का सेवन करते हैं. हालांकि कई बार कहा जाता है कि अधिकतर कहा जाता है कि हर से ज्यादा कॉफी का सेवन सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक होता है.इससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.अगर आप भी कॉफी लवर हैं, आप इस डेली ड्रिंक्स के बिना नहीं कर सकते हैं, तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि कॉफ़ी पीने को लेकर आयुर्वेद क्या कहता है-
कॉफी पीने को लेकर आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट का मानना है कि कॉफी एक ‘उत्तेजक’ है जिसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए. अधिक मात्रा में इसका सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है.
– जहां तक हो कॉफी को खाली पेट पीने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे आपको एसिडिटी हो सकती है.
-अगर आपको एंग्जाइटी, एसिडिटी और अत्यधिक सूखापन (Excess Dryness) की शिकायत है तो ब्लैक कॉफी की जगह दूध वाली पीना चाहिए.
-अतिरिक्त सूखापन (Excess Dryness) का मुकाबला करने के लिए आप ब्लैक कॉफी में एक चम्मच घी भी मिला सकते हैं.
-अगर आपकी नींद में दिक्कत रहती है तो दोपहर 3 बजे के बाद कॉफी पीने से बचना चाहिए.
-रजोनिवृत्ति (Menopause), चर्म रोग, बेचैनी होने पर बहुत ज्यादा कॉफी पीने से बचना चाहिए.
-कॉफी में बहुत सारे ‘रजस’ या सक्रिय ऊर्जा होती है। इसलिए, यदि आपको सुस्ती है, तो सुबह 8-10 बजे के बीच एक कप लेना अच्छा है.
-इसे मिड मील ड्रिंक के रूप में लेने से बचना चाहिए, वो इसलिए क्योंकि यह पाचन को कमजोर कर सकता है और आपको अपने भोजन के लिए भूख नहीं लगेगी.
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