MLA महेंद्र भाटी हत्याकांड में पूर्व सांसद डीपी यादव के बाद एक और दोषी बरी, सबूतों के अभाव में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने दिया आदेश…

उत्तर प्रदेश 24 नवंबर (वेदांत समाचार)। उत्तर प्रदेश स्थित गाजियाबाद के बहुचर्चित विधायक महेंद्र भाटी हत्याकांड में पूर्व सांसद डीपी यादव को बरी करने के बाद उत्तराखंड हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक अन्य दोषी को भी सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. देहरादून की सीबीआई कोर्ट (CBI Court) के आदेश को पलटते हुए, हाई कोर्ट ने पाल सिंह उर्फ लक्कड़पाला उर्फ हरपाल सिंह की रिहाई के आदेश दिए.

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने पाल सिंह को ठोस सबूतों के अभाव में आरोपों से बरी करते हुए उसकी रिहाई के आदेश दिए. हाई कोर्ट का यह आदेश लक्कड़पाला द्वारा दायर विशेष अपील पर आया है. अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि सीबीआई उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत इकट्ठा करने में असमर्थ रही और एकत्रित किए गए सबूत परस्पर विरोधी हैं.

दोषी करार दिए गए पूर्व सांसद यादव को भी किया बरी

इससे पहले, हाई कोर्ट ने उन्नतीस साल पुराने हत्याकांड में दोषी करार दिए गए पूर्व सांसद यादव को भी 10 नवंबर को मामले से बरी कर दिया था. हत्याकांड में दो अन्य दोषियों की अपील पर निर्णय अभी सुरक्षित रखा गया है. 13 सितंबर, 1992 को विधायक महेंद्र सिंह भाटी की गाजियाबाद जिले में दादरी रेलवे क्रॉसिंग पर गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. हमले में भाटी के साथ उनका साथी उदय प्रकाश आर्य भी मारा गया था.

1993 में CBI को सौंपी गई थी जांच

भाटी हत्याकांड की जांच पहले स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही थी लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद इसकी विवेचना 1993 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी गयी थी. उत्तर प्रदेश में डीपी यादव के दबदबे के कारण निष्पक्ष जांच प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2000 में जांच सीबीआई देहरादून को स्थानांतरित कर दी.

सीबीआई द्वारा दाखिल आरोपपत्र में पूर्व सांसद यादव और कुख्यात अपराधी लक्कड़पाला सहित आठ व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया जिनमें से चार की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई. सीबीआई द्वारा पेश किए गए सबूतों और गवाहों के आधार पर अदालत ने फरवरी 2015 में डीपी यादव, परनीत भाटी, करण यादव और पाल सिंह उर्फ लक्कड़पाला को मामले में दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई. लक्कड़पाला को आर्म्स अधिनियम के तहत भी सजा सुनाई गई. इस आदेश को चारों दोषियों ने हाई कोर्ट में अलग-अलग विशेष अपील दायर कर चुनौती दी थी.