कृषि कानूनों को निरस्त करने अब 29 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा।

नई दिल्ली 24 नवम्बर (वेदांत समाचार)।   देशहित व कृषक हित के लिए लाए गए तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने अब 29 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा। 29 नवंबर के लिए लोकसभा के लिए प्रकाशित सूची से पता चला है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए (फार्म लॉज रिपील बिल 2021) शीर्षक वाला बिल – (1) किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020; (2) आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020; और (3) कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020, 29 नवंबर को पेश किया जाएगा।

सितंबर 2020 में संसद द्वारा बनाए गए इन कानूनों का कई किसान संगठनों ने कड़ा विरोध किया है। देश भर में कई किसान समूह इन कानूनों के पारित होने के बाद से एक साल से अधिक समय से व्यापक विरोध और आंदोलन कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि इन कानूनों को खत्म कर दिया जाए। 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम एक विशेष संबोधन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि केंद्र संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए कदम उठाएगा।

इधर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा-हमने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है। हम आगामी संसद सत्र में कानून को निरस्त करने के लिए संवैधानिक प्रक्रिया के तहत समाप्त करेंगे। जनवरी 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और विरोध करने वाले समूहों के बीच बातचीत की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए अगले आदेश तक इन कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी वार्ता करने के लिए एक समिति का गठन किया था। हालांकि, किसान संघों के नेताओं ने समिति का बहिष्कार किया।

किसानों द्वारा उठाई गई मुख्य शिकायत यह है कि कानूनों के परिणामस्वरूप राज्य द्वारा संचालित कृषि उपज विपणन समितियों को समाप्त कर दिया जाएगा, और न्यूनतम समर्थन मूल्य तंत्र को बाधित करेगा। विरोध कर रहे किसानों को डर है कि कानून कॉरपोरेट शोषण का मार्ग प्रशस्त करेगा। इन कृषि कानूनों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का एक बैच सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया है और इसे लागू करने में संसद की क्षमता पर भी सवाल उठाया गया है।

हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुई लखमीपुर खीरी हिंसा की घटना तब हुई जब केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के काफिले में वाहनों ने कथित तौर पर किसानों के एक समूह में टक्कर मार दी, जो कानूनों के खिलाफ धरना दे रहे थे। अक्टूबर 2021 की एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार साल भर के विरोध प्रदर्शनों के दौरान लगभग 600 लोगों की जान चली गई है। प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन के हिस्से के रूप में गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में एक ट्रैक्टर परेड का आयोजन किया था, जिसके कारण राष्ट्रीय राजधानी और लाल किले में हिंसक घटनाएं हुईं।

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