अंबिकापुर 23 नवम्बर (वेदांत समाचार)। सूरजपुर जिले के बिहारपुर क्षेत्र के कछिया जंगल में बेहोश मिले सभी हाथियों को होश आ गया है। हाथी के जिस बच्चे का उपचार संभव नहीं हुआ था, वह भी सोमवार की रात दस बजे उठ खड़ा हुआ। सभी हाथी दल में शामिल हो चुके हैं। सोमवार की रात हाथियों ने कछिया गांव में जंगल किनारे पांच घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया। सारी रात हाथी गांव के आसपास विचरण करते रहे। सुबह हाथियों का दल एक साथ जंगल में प्रवेश कर गया है।
इधर वन विभाग की टीम ने जांच तेज कर दी है। स्थानीय वन अधिकारी, कर्मचारी रमकोला, खोंड और केसर के जिस रास्ते से हाथी कछिया की ओर पहुंचे थे उधर जांच में निकले हैं। यह जानने का प्रयास किया जा रहा है कि जंगल में कहीं और हाथी बेहोश तो नहीं हैं। इधर अंबिकापुर से वन अधिकारियों की टीम भी फिर रवाना हो चुकी है। अंबिकापुर से कछिया की दूरी लगभग 170 किलोमीटर होने के कारण अधिकारियों को पहुंचने में वक्त लगेगा।
दोपहर बाद आसपास के डबरी, तालाब और दूसरे प्राकृतिक जल स्रोतों की जांच होगी। पानी का सैंपल लिया जाएगा। यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि कहीं पानी तो दूषित नहीं था जिन घरों को हाथियों ने क्षतिग्रस्त किया था और खलिहान में रखा अनाज खाए थे उन घरों की भी जांच की जाएगी। सोमवार को हाथी पुनर्वास केंद्र रामकोला के कर्मचारियों के अलावा ट्रैकरों और हाथी मित्र दल के सदस्यों को अचेत हाथियों की निगरानी में लगाया गया था।
एलीफेंट रिजर्व सरगुजा के फील्ड डायरेक्टर के मेचियो ने बताया कि हमारे पास जांच के सारे विकल्प खुले हुए हैं। प्रारंभिक रूप से यह बात निकलकर सामने आई है कि हाथियों ने शराब बनाने के बाद फेंके गए सड़े महुआ लहान का सेवन किया होगा लेकिन इस संभावना कि जब तक पुष्टि नहीं हो जाती तब तक हम स्पष्ट रूप से किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते।
उन्होंने बताया कि पहले दिन हाथियों को स्वस्थ करना हमारी प्राथमिकता में था, इसलिए कारणों की बारीकी से जांच नहीं की गई थी। अब हाथी पूरी तरीके से स्वस्थ हो चुके हैं। हमारा पूरा ध्यान कारणों का पता लगाने में है। यह अकस्मात हुई घटना है या सुनियोजित तरीके से हाथियों को ऐसी कोई खाद्य सामग्री दी गई थी इसकी जांच आरंभ कर दी गई है।
उन्होंने बताया कि जिस बच्चे का उपचार नहीं हो सका था वह भी सोमवार की रात को उठ खड़ा हुआ।उसी के पास सभी हाथी भी मौजूद थे। सभी हाथियों के स्वस्थ हो जाने से वन विभाग को बड़ी राहत मिली है।बताते चलें कि उत्तरी छत्तीसगढ़ में हाथी मानव द्वंद की स्थिति बनी हुई है।हाथियों द्वारा लगातार जान माल का नुकसान पहुंचाए जाने के कारण पूर्व के वर्षों में कीटनाशक मिश्रित खाद्य सामग्री और करंट प्रवाहित जीआई तार बिछाकर हाथियों की जान ली जा चुकी है। फसलों में दी जाने वाली कीटनाशक के सेवन से भी हाथियों की मौत हो चुकी है ऐसे में सोमवार को हुई घटना के तह तक जाने का प्रयास वन विभाग कर रही है।
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