जिले में मछली पालन व्यवसाय का बढ़ रहा दायरा, 2200 लाख मछली स्पान का हो रहा उत्पादन

0 13 हजार हेक्टेयर से अधिक जलक्षेत्र मछली पालन के लिए विकसित
0 चार बीज संवर्धन प्रक्षेत्र से मिल रही उन्नत प्रजाति की मछली बीज3

कोरबा 22 नवम्बर (वेदांत समाचार)। राज्य शासन द्वारा मछली पालन व्यवसाय में मछली पालक किसानों को अधिक से अधिक लाभ दिलाने के उद्देश्य से मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया गया है। मछली पालकों को हितकारी योजनाओं और तकनीकी सहयोगों से भी लाभान्वित किया जा रहा है। शासन के सहयोग और मार्गदर्शन के कारण मछली पालक किसान मछली पालन व्यवसाय में लाभ कमाने के लिए प्रोत्साहित होकर मछली पालन करने के लिए आगे आ रहे हैं। कोरबा जिले में भी मछली पालक किसानों का दायरा बढ़ रहा है। जिले के मछली पालक किसानों को मछली पालन व्यवसाय से अधिक लाभ दिलाने के लिए अधिक जलक्षेत्र को मछली पालन के लिए विकसित किया जा रहा है। मत्स्य पालन की दृष्टि से कोरबा जिले में पर्याप्त जल संसाधन उपलब्ध हैं।

वर्तमान में जिले में 41 सिंचाई जलाशयों में 13 हजार 472 हेक्टेयर जलक्षेत्र को मछली पालन अंतर्गत विकसित किया गया है। मछली पालन के वृहद साधन के रूप में जिले में हसदेव-बांगो जलाशय का 11 हजार 500 हेक्टेयर जलक्षेत्र भी स्थित है। जिले में ग्रामीण एवं निजी चार हजार 261 तालाबों के तीन हजार 680 हेक्टेयर जलक्षेत्र मछली पालन प्रक्षेत्र अंतर्गत आता है। जिले के तीन हजार 848 मछली पालक किसान ग्रामीण एवं निजी तालाबों के माध्यम से मछली पालन व्यवसाय से जुड़े हैं। मछली पालक किसानों को बीज प्रदान करने के लिए हैचरी और बीज संवर्धन प्रक्षेत्र भी विकसित किया गया है। मछली पालन विभाग द्वारा विकासखण्ड पोड़ी-उपरोड़ा के एतमानगर में मत्स्य बीज उत्पादन के लिए चायनीज़ हैचरी का स्थापना किया गया है। एतमानगर में एक ही चायनीज़ हैचरी मत्स्य महासंघ द्वारा स्थापित है। इन हैचरियों के माध्यम से 2200 लाख से अधिक मत्स्य बीज स्पान का उत्पादन लक्ष्य अनुरूप हो रहा है।


सहायक संचालक मछली पालन कोरबा ने बताया कि मछली पालको को उन्नत प्रजाति के मछली बीज प्रदान करने के लिए जिले में चार प्रक्षेत्र स्थापित किए गए हैं। इन मछली बीज संवर्धन प्रक्षेत्र मंे हुंकरा, एतमा, सेन्द्रीपाली एवं बरपाली शामिल हैं। इन संवर्धन प्रक्षेत्र से मछली पालकों को निर्धारित शासकीय दर पर मछली बीज का वितरण किया जाता है। सहायक संचालक ने बताया कि वर्ष 2021-22 में 150 लाख स्टैण्डर्ड फ्राई का उत्पादन अब तक किया जा चुका है। जिले में 45 पंजीकृत मछुआ सहकारी समितियों के एक हजार 211 सदस्य है। 61 स्वयं सहायता समूह के 615 सदस्य भी मछली पालन के कार्य से जुड़े हुए हैं। वर्ष 2021-22 में 26 मौसमी तालाबों में स्पान संवर्धन का कार्य कराकर समूह-व्यक्तिगत 150 मछली पालकों को लाभान्वित किया गया है।

मछली पालन विभाग द्वारा मछली पालक किसानों का निःशुल्क दुर्घटना बीमा भी कराया जाता है। सहायक संचालक ने बताया कि विभागीय योजना बचत सह राहत अंतर्गत 250 मछली पालकों को लाभान्वित किया गया है। मत्स्याखेट सुविधा के लिए जाल प्रदाय योजनांतर्गत 53 पालकों को जाल एवं फुटकर मछली विक्रय योजनांतर्गत 50 मछली पालकों को आईस बॉक्स प्रदान किया गया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021-22 में 330 मछली पालकों को मछली पालन की आधुनिक तकनीक का 10 दिवसीय प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। साथ ही मछली पालन के लिए तकनीकी ज्ञान में वृद्धि के लिए 300 मछली पालकों को तीन दिवसीय मछुआ प्रशिक्षण भी दिया जाना है। सहायक संचालक ने बताया कि जिले के 32 प्रगतिशील मछली पालकों को राज्य के बाहर अध्ययन के लिए भेजा जाना प्रस्तावित है।

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