प्रधानमंत्री फसल बीमा नियमानुसार किया जाएगा फसल क्षति का भुगतान किसानों को बीमित फसलों की क्षति की सूचना टोल फ्री नंबर 1800116515 पर देनी होगी

0 फसल कटाई के बाद खेत में रखे फसल भी बीमा के दायरे में
0 जिले में 23 हजार 504 किसानों के 37 हजार 821 हेक्टेयर फसल बीमित

कोरबा 22 नवम्बर (वेदांत समाचार)। असमय बारिश से होने वाले फसल नुकसान के लिए किसानों को नियमानुसार फसल क्षति का भुगतान किया जाएगा। फसल क्षति का भुगतान किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत बीमित फसलों के क्षति के आंकलन के पश्चात नियमानुसार किया जाएगा। जिले में इस खरीफ सीज़न में धान का फसल कुल 98 हजार 741 हेक्टेयर में लगाया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत एग्रीकल्चर इंश्यारेंस कंपनी ऑफ इण्डिया रायपुर द्वारा जिले के कुल 23 हजार 504 किसानों के 37 हजार 821 हेक्टेयर का फसल बीमा कराया गया है। बीमा योजनांतर्गत फसल कटाई के बाद खेत में रखे फसल भी बीमा के दायरे में आता है।

उप संचालक कृषि अनिल शुक्ला ने बताया कि जिन किसानों ने धान फसल की कटाई कर फसल को सुखाने के लिए खेत में रखे हैं, इस दौरान बेमौसम बरसात से फसल को नुकसान होने पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत नियमानुसार फसल क्षति भुगतान का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि फसल कटाई के उपरांत खेत में सुखाने के लिए रखी हुई बीमित फसल को बेमौसम वर्षा, ओला, चक्रवात से अधिसूचित इकाई में 25 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में फसलों को क्षति होती है तो ऐसी अवस्था में नमूना जांच कर सभी बीमित किसानों को क्षति का भुगतान किया जाएगा।


उपसंचालक कृषि ने बताया कि यदि अधिसूचित इकाई में 25 प्रतिशत से कम क्षेत्र में फसल को हानि होती है तो इन सभी प्रभावित बीमित किसानों के नुकसान की जांच कर नियमानुसार क्षतिपूर्ति के लिए पात्र घोषित किया जाएगा। फसल क्षति की सूचना किसानों को 72 घण्टे के भीतर बीमित फसल ब्यौरा, क्षति की मात्रा तथा क्षति के कारण को बीमा कंपनी को सीधे टोल फ्री नंबर 1800116515 पर देनी होगी। किसान फसल क्षति नुकसान की सूचना लिखित रूप में स्थानीय राजस्व-कृषि अधिकारियों, बैंक अथवा राष्ट्रीय फसल बीमा

पोर्टल www.pmfby.gov.in पर भी दे सकते हैं। उप संचालक ने बताया कि क्रॉप कलेण्डर में अंकित फसल कटाई की निर्धारित अंतिम तिथि से यदि कटी हुई अधिसूचित फसल अधिकतम 14 दिनों तक सूखने के लिए फैला कर रखी जाती है तो इस अवधि तक के लिए ही उपरोक्त वर्णित कारणों से होने वाली क्षति का आंकलन किया जाएगा।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]