इंदौर 21 नवंबर (वेदांत समाचार)। एक बार फिर देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है. केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा हर साल कराए जाने वाले वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश के इस शहर को लगातार पांचवी बार यह खिताब हासिल हुआ है. दूसरे स्थान पर गुजरात का शहर सूरत, जबकि तीसरे नंबर आंध्र प्रदेश का विजयवाड़ा शहर रहा. शनिवार को वार्षिक स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2021 के परिणामों की घोषणा की गई.
इंदौर को पहली बार 2017 में सफाई के मामले में देश का नंबर वन शहर घोषित किया गया था. इसके बाद 2018, 2019 और 2020 और 2021 में भी इंदौर को पहला स्थान मिला. बहरहाल, देश के कई शहरों में सफाई को लेकर बहुत तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं. लेकिन पिछले 5 साल से स्वच्छ सर्वेक्षण में लगातार हर बार इंदौर ही टॉप करता आ रहा है. क्या आप जानते हैं इसके पीछे नगर प्रशासन की क्या भूमिका रही है, इसमें इंदौर के लोगों की मेहनत, समझदारी और अच्छी आदतों का कितना योगदान है? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं.
पिछले साल का एक किस्सा जानिए
वर्ष 2020 में भी इंदौर को सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया था. तत्कालीन केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसकी घोषणा करते हुए इंदौर के सम्मान में खड़े होकर तालियां बजाई थी. एक कॉन्फ्रेंस का किस्सा सुनाते हुए कहा- मेरा काउंटर पार्ट जापान का एक व्यक्ति था. मुझे भी थोड़ी बहुत जापानी भाषा आती है. मैंने उनसे पूछा था कि इंदौर में क्या देखा तो उन्होंने बताया कि मैं गंदगी ढूंढने के लिए शहर घूमा था, लेकिन गंदगी मिली नहीं. इससे बड़ी तारीफ किसी शहर के लिए नहीं हो सकती. सबसे ज्यादा चुनौतियों के बावजूद इंदौर ने बाजी मार ली.
साल-दर-साल ऐसे किया काम
इंदौर लगातार ऐसा कैसे कर पा रहा है, इसके लिए साल-दर-साल उठाए जाने वाले महत्वपूर्ण कदमों के बारे में समझना होगा.
🔷 2017: वर्ष 2017 में इंदौर ने पहली बार डोर-टू-डोर कलेक्शन शुरू किया था. हर घर से कचरा उठाना चुनौती थी. उद्देश्य था कि सड़कों पर से डस्टबिन हटाए जाएं या कम से कम किए जाएं. इंदौर नगर निगम ने यह कर दिखाया. लोगों ने भी खूब साथ दिया.
🔷 2018: वर्ष 2018 में इंदौर ने शहर को खुले में शौच मुक्त कर ओडीएफ का अवार्ड हासिल किया. इसके साथ ही सेग्रीगेशन यानी गीला और सूखा पर फोकस किया. गीले कचरे के लिए अलग, सूखे कचरे के लिए अलग डस्टबिन. सफाईकर्मी गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग लेने लगे.
🔷 2019 और 2020: जीरो वेस्ट ट्रेंचिंग ग्राउंड इस साल की महत्वपूर्ण उपलब्धि रही. इंदौर में कई वर्षों से ट्रेंचिंग ग्राउंड में फैले 12 लाख मीट्रिक टन कचरे के पहाड़ को खत्म किया. 2020 में इंदौर नगर निगम ने कचरा शुल्क से 40 करोड़ का रेवेन्यू जेनरेट किया. यही नहीं, कचरे से तैयार कच्चे माल से भी नगर निगम ने 1.5 करोड़ सालाना की कमाई की.
लोगों ने खूब दिया साथ: न कचरा फैलाएंगे, न फैलाने देंगे
- इंदौर में नगर निगम के सफाई करने का सिस्टम इतना व्यवस्थित और तेज है कि शहर में गंदगी नजर नहीं आती है. लोग भी प्रशासन का बखूबी साथ देते हैं और कचरा नहीं फैलाते हैं.
- इंदौर नगर निगम क्षेत्र में कचरा प्रबंधन बेहतरीन है. कई शहरों में आपने देखा होगा कि शादी-समारोहों, सभाओं, रैलियों के बाद जूठे पत्तल, गंदगी वगैरह फैले रहते हैं. वहीं इंदौर में हर छोटे-बड़े आयोजनों के बाद तुरंत सफाई कर ली जाती है.
- शहर के लोगों को भी अब सफाई की आदत पड़ चुकी है. यहां के लोगों में सबसे ज्यादा जागरूता नजर आती है. लोग अपनी गाड़ियों में भी डस्टबिन लेकर चलते हैं. कोई नया व्यक्ति वहां सड़क पर कचरा फैलाता है तो यहां के नागरिक उन्हें कचरा उठाकर डस्टबिन में डालने को कहते हैं.
- इंदौर के एक सामाजिक युवक सुव्रत कुमार बताते हैं, कुल मिलाकर ये समझें कि यहां के नागरिक न तो खुद कचरा फैलाते हैं और न ही दूसरों को फैलाने देते हैं. अब यह दूसरे शहरों और वहां के लोगों पर निर्भर करता है कि इंदौर के जैसा स्वच्छ शहर बनाना है तो उसके लिए कितना काम करने की जरूरत है.
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