संयुक्त किसान मोर्चा में पड़ी फूट, जानें क्या हुआ…

नई दिल्ली 20 नवंबर (वेदांत समाचार)। संयुक्त किसान मोर्चा में दरार पड़ने लगी ऐसी खबरें सामने आ रहीं हैं। किसान आंदोलन जब से शुरू हुआ है, तब से ये पहली बार है जब संयुक्त किसान मोर्चा में मतभेद सामने आए हैं।

हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने पंजाब के किसान नेताओं को `झूठा` और `विश्वासघाती` बताया है।

इसके साथ ही चढ़ूनी ने अंबाला से दिल्ली तक निकाले जाने वाले मार्च को भी रद्द कर दिया है। ये मार्च 25 नवंबर को किसान आंदोलन की पहली सालगिरह पर निकाला जाना था। इतना ही नहीं, चढ़ूनी ने पंजाब के किसान नेताओं पर फर्जी और झूठा नैरेटिव फैलाने का आरोप भी लगाया है।

गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा, संयुक्त किसान मोर्चा ने मुझे पिछले साल हरियाणा का लीडर चुना था, लेकिन अब पंजाब के नेता हमारे बारे में झूठी बातें फैला रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पंजाब के कुछ किसान नेता मेरे बढ़ते प्रभाव और लोकप्रियता से परेशान हैं।

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मेरे खिलाफ ओछी राजनीति हो रहीः चढ़ूनी

उन्होंने कहा कि जिस आंदोलन के लिए 700 से ज्यादा किसान शहीद हो गए, 1000 से ज्यादा पर केस लगा दिए गए, उस आंदोलन से जुड़े नेता मेरे खिलाफ ओछी राजनीति कर रहे हैं, ये देखकर दुख हो रहा है।

उन्होंने बताया कि 25 तारीख को निकाले जाने वाले अंबाला से दिल्ली मार्च को रद्द कर दिया गया है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि दिल्ली तक जो भी मार्च, जिस भी तारीख को निकाला जाएगा, हम उसका समर्थन करेंगे। चढ़ूनी ने एक वीडियो मैसेज में ये भी कहा कि वो इस आंदोलन के लिए अपनी कुर्बानी देने को भी तैयार हैं।

पिछले साल भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी हरियाणा के सबसे प्रभावशाली किसान नेताओं के तौर पर उभरकर सामने आए थे। इसके बाद उन्होंने हरियाणा स्थित किसान संगठनों का अध्यक्ष चुना गया था।

एक साल दिल्ली बॉर्डर पर डटे हैं किसान

पिछले साल सितंबर में केंद्र सरकार ने खेती से जुड़े तीन कानून लागू किए थे। इन्हीं तीन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। किसान और सरकार के बीच 11 बार बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी। किसान चाहते हैं कि सरकार तीनों कानूनों को रद्द करे और एमएसपी पर गारंटी का कानून लेकर आए। लेकिन सरकार का कहना है कि वो कानूनों को वापस नहीं ले सकती। अगर किसान चाहते हैं, तो उनके हिसाब से इसमें संशोधन किए जा सकते हैं।