सनातन पंरपरा में प्रत्येक देवी-देवता ने किसी न किसी पशु या पक्षी को अपनी सवारी बनाया है. देवी-देवताओं से जुड़े ये सभी वाहन उनके गुण और आचरण के अनुरूप देखने को मिलते हैं. सबसे अहम बात यह कि देवी-देवताओं के ये वाहन हमें जीवन से जुड़ी कई बड़ी सीख देते हैं. आइए इन पशु-पक्षी रूपी वाहनों से जुड़े धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व को समझते हैं.
लक्ष्मी जी का उल्लू – माता लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू माना जाता है. रात्रि में विचरण करने वाला उल्लू एक क्रियाशील प्रवृत्ति वाला पक्षी है, जो कि अपने भोजन की तलाश में हमेशा लगा रहता है. ऐसे में लक्ष्मी जी के वाहन उल्लू से हमें अपने कार्य को निरंतर पूरी लगन एवं निष्ठा के साथ करने की सीख मिलती है. मान्यता है कि उल्लू से मिली इस सीख का जो पालन करते हैं, उनके यहां धन की देवी लक्ष्मी जी सदा कृपायमान रहती हैं.
सरस्वती जी का वाहन है हंस – विद्या के देवी माता सरस्वती का वाहन हंस है. हंस एक बहुत समझदार निष्ठावान पक्षी माना जाता है. हंस प्रेम की मिसाल माना जाता है, जो कि जीवनपर्यंत हंसिनी के साथ ही रहता है. यदि हंसिनी की मौत हो जाए तो वह दूसरा जीवनसाथी नहीं तलाशता है. साथ ही साथ इसमें एक सबसे बड़ा गुण यह होता है कि यह है कि किसी पात्र में दूध और पानी को मिलाकर रख दिया जाए तो वह उसमें से दूध को पी लेता है और पानी को छोड़ देता है. हंस अपने इस कार्य से हमें यह संदेश देता है कि हमें हमेशा दूसरों के अवगुण को किनारे करके सद्गुण को प्राप्त करना चाहिए.
देवी दुर्गा का वाहन शेर – दुष्टों का संहार और अपने भक्तों पर कृपा बरसाने वाली देवी दुर्गा का वाहन शेर है. शेर की खासियत होती है कि वह हमेशा संयुक्त परिवार में रहता है. जंगल का राजा माना जाने वाला शेर सबसे शक्तिशाली प्राणी माना जाता है. इसमें सबसे बड़ा गुण होता है कि यह अपनी शक्ति को कभी व्यर्थ में खर्च नहीं करता है. देवी दुर्गा के वाहन से हमें यही संदेश मिलता है कि हमें सुख हो या दुख अपने परिवार के साथ मिलकर रहना चाहिए और अपनी शक्ति का सदुपयोग करना चाहिए.
शिवजी का वाहन बैल – नंदी को भगवान शिव की सवारी माना गया है. बैल अपने स्वामी के प्रति समर्पित भाव से उसके लिए कार्य करता है. अमूमन बैल शांत रहता है, लेकिन यदि नाराज हो जाए तो वह जल्दी किसी के काबू में नहीं आता है. भगवान शिव की सवारी बैल से हमें शक्ति का सदुपयोग करते हुए सही दिशा में सहज एवं शांत मन से श्रम करने की सीख मिलती है.
भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ -भगवान श्री विष्णु का वाहन गरुण माना गया है. इस पक्षी की खासियत होती है कि यह आकाश में बहुत ऊंचाई पर उड़ते हुए भी पृथ्वी के छोटे-छोटे जीवों पर नज़र रख सकता है. भगवान विष्णु के वाहन गरुण से हमें अपनी छोटी सी छोटी चीजों पर पैनी नजर बनाए रखते हुए जागरुक बने रहने की सीख मिलती है.
गणपति का वाहन मूषक – प्रथम पूजनीय भगवान गणेश की सवारी चूहा है. चूहे की प्रकृति होती है कुतरना. वह अच्छी-बुरी सभी चीजों को कुतर अक्सर नुकसान पहुंचाता है. कुछ ऐसे ही जीवन में कुतर्क करने वाले लोगों का भी यही काम होता है, लेकिन विघ्न विनाशक गणपति, जिन्हें बुद्धि और सिद्धि का देवता माना जाता है, उन्होंने बड़ी बुद्धिमानी से चूहे को अपनी सवारी बनाकर कुतरने वाली प्राणी को अपने नीचे दबा दिया है. तात्पर्य यह है कि हमें भी हमेशा बुद्धि का प्रयोग करते हुए कुतर्क करने वाले लोगों की बातों को किनारे करते हुए अपने लक्ष्य पर फोकस करना चाहिए.
भगवान सूर्य का सात अश्वों वाला रथ – भगवान सूर्य सात घोड़ों वाले रथ की सवारी करते हैं. ये सभी सात घोड़े शक्ति एवं स्फूर्ति के प्रतीक माने जाते हैं. भगवान सूर्य के रथ से जुड़े ये सात अश्व हमें जीवन में हमेशा कार्य करते हुए प्रगति के पथ पर आगे बढ़ने का संदेश देते हैं.
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