अब चावल ने भी लोगों को रूलाया, बासमती चावल की कीमतों में 40 फीसदी का हुआ इजाफा..

पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि ने पहले ही लोगों की बजट बिगाड़ रखी थी. अब चावल ने भी लोगों की नींद उड़ानी शुरू कर दी है और चावल की बढ़ी कीमत का असर लोगों की थाली पर पड़नी शुरू हो गयी है. खुदरा बाजार से लेकर थोक बाजार तक सभी में चावल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है. बासमती चावल (Basmati Rice) की कीमत में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 40 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि बंगाल की चावल (Bengal Rice Price) की कीमतों में लगभग 20 फीसदी का इजाफा हुआ है. कीमतों में यह वृद्धि भारी बारिश के कारण नष्ट हुई फसलों और निर्यात बढ़ने के कारण हुई है. इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का असर भी बाजार पर हुआ है.

चावल विक्रेता कंपनी राइस विला के सह-संस्थापक और सीईओ सूरज अग्रवाल ने बताया कि पश्चिम बंगाल चावल उत्पादन के मामले में नंबर वन राज्य है. पश्चिम बगाल में मिनीकेट राइस की बहुत ही मांग होती है, लेकिन इस साल बेमौसम बारिश के कारण लगभग 20-25 फीसदी फसल नष्ट हो गयी है.इससे चावल की कीमत लगभग 20 फीसदी बढ़ गई है.

बासमती चावल की कीमतों में 40 फीसदी का हुआ इजाफा

सूरज अग्रवाल ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल बासमती चावल की कीमतों में लगभग 40 फीसदी इजाफा हुआ है. बासमती की फसल हरियाणा और पंजाब में ज्यादा होती है, लेकिन भारी बारिश के कारण लगभग 25 फीसदी फसल नष्ट हो गयी है. इसके साथ ही इस साल सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाए हैं. इस कारण किसानों ने बासमती का जगह वे फसल उगाए हैं, जिसे सरकार खरीद रही है, क्योंकि उन्हें अच्छी कीमत मिल रही है. उन्होंने कहा कि पिछले साल पिछले साल 1509 ग्रेड बासमती 50 रुपए (मिल में उत्पादन कीमत) थी, वह बढ़कर 68-69 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई, हालांकि गोविंद भोग चावल की कीमत पिछले साल की तरह लगभग 70 रुपये (मिल में उत्पादन कीमत) ही हैं.

बांग्लादेश में 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ा चावल का निर्यात

सूरज अग्रवाल ने बताया कि बांग्लादेश में कोविड-19 के कारण चावल की बहुत की जरूरत थी. भारत से बांग्लादेश होने वाला चावल का निर्यात लगभग 10 फीसदी बढ़ गया है. चावल की बढ़ती मांग के मद्देनजर बांग्लादेश सरकार ने आयात शुल्क 60 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी कर दी है. इसके बावजूद भी बांग्लादेश में आयात शुल्क और घटाने की मांग हो रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कोरोना महामारी के कारण राशन दुकानों से गरीबों को निःशुल्क चावल देने का भी प्रभाव बाजार की कीमतों पर पड़ा है, क्योंकि सरकार बाजार से ज्यादा मात्रा में चावल की खरीदारी कर रही है. इसका असर कहीं न कहीं बाजार पर पड़ा है.

अनाज उत्पादन और विपणन में हाइजिन पर जोरRice

राइस विला उत्सव चैप्टर-6 के दौरान प्रकाश अग्रवाल, शेखर अग्रवाल और सूरज अग्रवाल.

राइस विला उत्सव चैप्टर 6 के अवसर पर फसलों के उत्पादन और वितरण में हाइजिन पर जोर दिया गया है. सूरज अग्रवाल ने कहा कि खेत में फसल के उत्पादन से लेकर खुदरा बाजार में बिक्री के दौरान फिलहाल अनाजों की देखरेख और हाइजिन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है. कोरोना महामारी के बाद जिस तरह से अन्य क्षेत्रों में हाइजिन पर जोर दिया जा रहा है. उसी तरह से अनाज के मामले में भी हाइजिन पर जोर दिये जाने की जरूरत है, क्योंकि 40 फीसदी फूड पॉजनिंग हाइजिन की समस्या के कारण ही होती है