14 नवंबर (वेदांत समाचार)। केंद्र सरकार देश में अवैध तरीके से चल रहे क्रिप्टो एक्सचेंज पर शिकंजा कसने पर कदम जल्द बढ़ा सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा क्रिप्टोकरेंसी यानी वर्चुअल मुद्रा पर बैठक लिए जाने के बाद 15 नवंबर को वित्त मामलों पर गठित संसद की स्थायी समिति विभिन्न एसोसिएशन और विशेषज्ञों के साथ विमर्श करने जा रही है. बैठक में भाग लेने वालों में इंडिया इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन (IAMAI), ब्लॉकचैन और क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (BACC) के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जिसमें भारत के कुछ टॉप क्रिप्टो एक्सचेंज शामिल हैं. इनमें वजीरएक्स, कॉइनडीसीएक्स, कॉइनस्विच कुबेर और अन्य शामिल हैं.
अब तक एक्सचेंज सेल्फ-रेग्यूलेटरी गाइडलाइंस पर चल रहे हैं, जो ज्यादातर बीएसीसी बोर्ड द्वारा निर्धारित किए गए हैं. यह इंडस्ट्री के सभी प्लेयर्स के साथ उनका कंप्लायंस सुनिश्चित करते हैं. हालांकि ये स्टेकहोल्डर्स पहले से ही सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं. सरकार ने अभी तक भारत में क्रिप्टोकरेंसी की भूमिका पर कोई आधिकारिक रुख नहीं अपनाया है. माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद सरकार क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में अपना पक्ष स्पष्ट करेगी.
सूत्रों की मानें तो सरकार इस पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए कदम बढ़ा सकती है. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकियों के लिए टेरर फंडिंग और काला धन जमा करने वालों के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का जरिया बने इन क्रिप्टो एक्सचेंज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए कहा है. पीएम ने इसे लेकर वित्त मंत्रालय, रिजर्व बैंक और गृह मंत्रालय के साथ एक बैठक की थी.
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में क्रिप्टोकरेंसी और उससे जुड़े सभी मुद्दों की व्यापक समीक्षा हुई. साफतौर पर यह तय किया गया कि क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर युवाओं को गुमराह करने वाली अपारदर्शी विज्ञापन पर रोक लगाई जाए. बैठक में केंद्रीय बैंक, वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय की तरफ से देश-दुनिया के क्रिप्टो विशेशषज्ञों से ली गई सुझावों के बाद सामने आए मुद्दों पर बात की गई.
तकनीक की मदद से शुरू होगी निगरानी
सूत्रों का कहना है कि बैठक में अवैध क्रिप्टो मार्केट्स को लेकर सबसे ज्यादा बातचीत की गई. इस बात पर सहमति जताई गई कि इन मार्केट्स को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग का गढ़ नहीं बनने दिया जा सकता. बैठक में इस पर भी सहमति रही कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी तकनीक रोजाना बदल रही है. इसके चलते यह तय किया गया कि सरकार तकनीक की मदद से क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े हर पहलू पर करीबी नजर रखने के लिए कदम उठाएगी. इसके लिए लगातार एक्सपर्ट्स और अन्य हितधारकों से सुझाव लिए जाएंगे.
बैठक में यह भी माना गया कि क्रिप्टोकरेंसी का मुद्दा देश की सीमाओं में बंधा हुआ नहीं है बल्कि यह एक इंटरनेशनल मुद्दा है. ऐसे में भारत सरकार ग्लोबल पार्टनरशिप और सामूहिक रणनीतियां बनवाने के लिए दूसरे देशों के साथ तालमेल बनाएगी.
केंद्रीय बैंक ला सकता है अपनी डिजिटल करेंसी
दो दिन पहले ही आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने डिजिटल करेंसी को लेकर चेतावनी दी थी. उन्होंने इसे बेहद गंभीर विषय बताया था और जल्द ही कोई बड़ा कदम उठाए जाने की तरफ इशारा किया था. क्रिप्टोकरेंसी पर शिकंजा कसने के लिए आरबीआई और शेयर बाजार रेग्युलेटर SEBI मिलकर एक फ्रेमवर्क तैयार कर रहे हैं.
सूत्रों कि मानें तो भारतीय रिजर्व बैंक की भी डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी है. हालांकि इसे लेकर बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है, लेकिन दिसंबर में इसे लेकर कोई घोषणा हो सकती है.
एसएफआईओ ने किया था सतर्क
गंभीर धोखाधड़ी जांच विभाग (एसएफआईओ) की ओर से दी गई रिपोर्ट पर केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी खासतौर पर बिट्क्वाइन में भारतीयों के बढ़ते निवेश को लेकर सतर्क हो गई थी. एसएफआईओ ने बीते कुछ माह में विभिन्न स्तरों पर इसको लेकर राज्यों और अन्य के साथ बैठकें कर रिपोर्ट तैयार की थी.
वित्त मंत्रालय ने संसद में यह साफ कर दिया था कि क्रिप्टोकरेंसी या वर्चुअल करेंसी लीगल टेंडर यानी वैध मुद्रा नहीं है. इसके बाद आरबीआई की ओर से इसकी ट्रेडिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और फिर सुप्रीम कोर्ट ने मार्च, 2020 में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग लगे प्रतिबंध को हटा दिया. प्रतिबंध के हटने के बाद कोरोना काल में भारतीय निवेशकों ने क्रिप्टोकरेंसी में जमकर निवेश किया.
भारतीय दुनिया में दूसरे सबसे बड़े निवेशक
ब्लॉकचेन डेटा प्लेटफार्म की तरफ से जारी ग्लोबल क्रिप्टो इंडेक्स 2021 में यह सामने आया कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के मामले में दुनिया में भारत दूसरे स्थान पर पहुंच गया. इसी अवधि में देशभर में क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर धोखाधड़ी भी हुई, जिसको लेकर एसएफआईओ ने सूचना प्रौद्योगिकी, आयकर, राजस्व विभाग समेत अन्य के साथ बैठक की.
क्रिप्टोकरेंसी में बढ़ते निवेश को लेकर सरकार के विभिन्न विभागों ने चिंता जाहिर की, क्योंकि मौजूदा समय इसमें निवेश के रूट कि निगरानी करने का कोई तरीका नहीं है. ऑनलाइन माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में होने वाले निवेश कि निगरानी के लिए प्लेटफार्म तैयार करने पर चर्चा की गई. माना जा रहा है कि एसएफआईओ क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के विभिन्न तरीकों, धोखाधड़ी और निगरानी को लेकर एक रिपोर्ट तैयार कर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को सौंपेगा.
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर 154 देशों की सूची में अमेरिकी, ब्रिटेन और चीन को भारत ने पीछे छोड़ा है. जून, 2020 से जुलाई, 2021 के बीच क्रिप्टो में निवेश करने की दर में 880 प्रतिशत का उछाल आया. 2019 की तीसरी तिमाही के मुकाबले इसमें 2300 फीसदी की ऐतिहासिक तेजी हुई है.
अमेरिकी रिसर्च फर्म फाइंडर की ओर से 47 हजार यूजर्स की सैंपलिंग की गई. 30 फीसदी इंडिया यूजर्स ने कहा कि उन्होंने क्रिप्टो करेंसी में निवेश किया है. इनमें बिटक्वाइन की सर्वाधिक बिक्री हुई है. इसके बाद रिपल, ईथेरियम और बिटक्वाइन कैश का नंबर आता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बड़े पैमाने पर इसके जरिए रेमिटेंस भेजा जा रहा है. रेमिटेंस के मामले में भारत दुनिया में नंबर एक पर है.
क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है. यह क्रिप्टोग्राफी द्वारा सिक्योर्ड है जो इसे जाली बनाए जाने या दो बार खर्च किया जाना लगभग असंभव बना देती है. कई क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी-कंप्यूटरों के एक डिपेरेट नेटवर्क द्वारा लागू एक वितरित लेजर-पर आधारित विकेंद्रित नेटवर्क है. क्रिप्टोकरेंसी की एक प्रमुख विशेषता यह है कि वे किसी केंद्रीय प्राधिकारी द्वारा जारी नहीं किए जाते जो उन्हें सैद्धांतिक रूप से सरकारी हस्तक्षेप या हेरफेर से प्रतिरक्षा प्रदान करती है.
प्रमुख बातें
– क्रिप्टोकरेंसी एक नेटवर्क पर आधारित डिजिटल एसेट का एक रूप है जो कंप्यूटरों की एक बड़ी संख्या के बीच वितरित है. यह विकेंद्रित संरचना उन्हें सरकारी और केंद्रीय प्राधिकारियों के नियंत्रण के बाहर अस्तित्व बनाये रखने में सक्षम बनाती है.
-‘क्रिप्टोकरेंसी’ शब्द इनक्रिप्शन टेक्नीक से लिया गया है जिसका उपयोग नेटवर्क की सुरक्षा के लिए उपयोग में लाया जाता है.
– ब्लॉकचेन, जो ट्रांजेक्शनल डाटा की इंटीग्रिटी सुनिश्चित करने के लिए संगठनात्मक पद्धति है, कई क्रिप्टोकरेंसी के अनिवार्य घटक होते हैं.
– कई विशेषज्ञों का विश्वास है कि ब्लॉकचेन एवं संबंधित टेक्नोलॉजी वित्त् एवं कानून सहित कई उद्योगों को बाधित कर देगी.
– क्रिप्टोकरेंसी की कई कारणों से आलोचना की जाती है जिसमें अवैध गतिविधियों के लिए उनका उपयोग, एक्सचेंज दर अस्थिरता और उनमें अंतर्निहित अवसंरचना शामिल हैं.
क्रिप्टोकरेंसी को समझना
क्रिप्टोकरेंसी प्रणाली ऑनलाइन पेमेंट सिक्योर करने की अनुमति देती है जिनका डिनोमिनेशन वर्चुअल ‘टोकेन’ के हिसाब से किया जाता है जिसका प्रतिनिधित्व प्रणाली के लिए आंतरिक लेजर एंट्रीज करती हैं. क्रिप्टो विभिन्न इनक्रिप्शन एल्गोरिदम और क्रिप्टोग्राफिक तकनीकों को संदर्भित करती है जो इन एंट्रीज, जैसेकि इलिप्टिकल कर्व इनक्रिप्शन, पब्लिक-प्राइवेट की पेयर्स और हैशिंग्स फंक्शंस की रक्षा करती है.
क्रिप्टोकरेंसी के प्रकार
पहली ब्लॉकचेन आधारित क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन थी, जो अभी भी सबसे लोकप्रिय और मूल्यवान बनी हुई है. आज विभिन्न फंक्शन और विनिर्देशों के साथ हजारों वैकल्पिक क्रिप्टोकरेंसी हैं. इनमें से कुछ बिटकॉइन के क्लोन या फोर्क हैं जबकि दूसरी नई करेंसियां हैं. बिटकॉइन 2009 में ‘संतोषी नाकामोटो’ के छद्मनाम से किसी व्यक्ति या समूह द्वारा लांच किया गया.
आईएमएफ दे चुका है देशों को चेतावनी.
इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने BitCoin जैसी क्रिप्टोकरेंसीज को बड़े पैमाने पर वैधानिक करेंसी का दर्जा दिए जाने के खिलाफ दुनिया के तमाम देशों को आगाह किया है. IMF का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी को बड़े पैमाने पर एक वैध करेंसी के तौर पर स्वीकार किया गया तो इसका अर्थव्यवस्था की व्यापक स्थिरता पर बुरा असर पड़ सकता है.
दुनिया भर के कई देशों में क्रिप्टोकरेंसीज को कानूनी मान्यता दिए जाने के बारे में काफी बहस हो रही है. मध्य अमेरिका का सबसे छोटा लेकिन सघन आबादी वाला देश अल सल्वाडोर, जून के महीने में बिटक्वाइन को लीगल टेंडर यानी वैध करेंसी घोषित कर चुका है. आईएमएफ ने अपने एक ब्लॉग में इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि क्रिप्टोएसेट्स को नेशनल करेंसी बनाना ऐसा शॉर्टकट है, जिसकी सलाह नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे व्यापक आर्थिक स्थिरता और कंज्यूमर्स के हित खतरे में पड़ सकते हैं.
2050 तक ग्लोबल फाइनेंस से आगे चला जाएगा बिट्क्वाइन
ब्रिटेन के एक पर्सनल फाइनेंस प्लेटफॉर्म ‘फाइंडर’ ने दुनिया भर के 42 क्रिप्टो एक्सपर्ट्स पर एक सर्वे किया. इसके मुताबिक वर्ष 2050 तक ग्लोबल फाइनेंस को बिटक्वाइन क्रॉस कर जाएगा. पिछले कुछ महीनों से इसकी स्वीकार्यता बढ़ी है और जेपीमॉर्गन, गोल्डमैन सैक्स, पेपाल, वीजा, टेस्ला, ऐपल, अमेजन और माइक्रोस्ट्रैटजी जैसी कंपनियों ने इसे स्वीकार करना शुरू किया है. हालांकि पहले क्रिप्टो करेंसी का खुला समर्थन करने वाले टेस्ला के एलन मस्क के रुख में कुछ अरसा पहले बदलाव देखने को मिला, जब उन्होंने कहा कि निवेशकों को अपनी जीवन भर की जमापूंजी इसमें नहीं लगानी चाहिए.
BitCoin जैसी क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर ये हैं चिंताएं.
वाशिंगटन स्थित आईएमएफ दुनिया भर में मॉनिटरी कोऑपरेशन को बढ़ावा देने और वित्तीय स्थिरता सुरक्षित करने के लिए काम करता है. आईएमएफ का कहना है कि क्रिप्टोएसेट्स के लेन-देन के लिए इंटरनेट एक्सेस और तकनीक बहुत जरूरी है जो कई देशों में सहज नहीं उपलब्ध है. ऐसे में फेयरनेस और फाइनेंस इंक्लूजन को लेकर कई समस्याएं आएंगी. आईएमएफ का कहना है कि ऑफिशियल मॉनिटरी यूनिट की वैल्यू पर्याप्त तौर पर स्थिर होनी चाहिए ताकि इसका मध्यम से लेकर लंबे समय तक की मौद्रिक देनदारियों के लिए इस्तेमाल किया जा सके.
आईएमएफ का मानना है कि बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टोएसेट की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव से समस्याएं होंगी. आईएमएफ के मुताबिक, बड़े स्तर पर क्रिप्टोएसेट का इस्तेमाल शुरू होने के बाद अगर इसमें बड़ी गिरावट आई, कोई फर्जीवाड़ा हुआ या साइबर हमला हो गया तो बहुत से लोगों की पूंजी एक झटके में खत्म होने का खतरा रहेगा.
इस देश ने क्रिप्टो को दी है मंजूरी
मध्य अमेरिका के देश अल सल्वाडोर में सात सितंबर, 2021 से क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कानून लागू हो गए. क्रिप्टोकरेंसी को मंजूरी प्रदान करने वाला यह पहला देश है जहां पर बिटक्वॉइन को लीगल टेंडर के तौर पर अपनाया गया. माना जा रहा है कि जल्द ही पैराग्वे भी इसे कानूनी रूप दे सकता है.
भारत सरकार की तरफ से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अभी नियम या फिर गाइडलाइंस जारी करनी हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साल 2020 में आरबीआई के उस सर्कुलर को मानने से इनकार कर दिया था जिसमें क्रिप्टोकरेंसी पर आधारित ट्रांजेक्शन को प्रतिबंधित करने के लिए बैंकों को आदेश दिए गए थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ट्रेडर्स ने स्वागत किया था. मगर आरबीआई ने बैंकों को आदेश दिया था कि वो नियतों के तहत ही इसे पर सारी प्रक्रिया करें जैसे कि केवाईसी, एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग, वित्तीय आतंकवाद. साथ ही साथ ही आरबीआई ने साल 2002 के प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट का पालन करने क लिए भी कहा था.
अमेरिका
अमेरिका में मार्केट रेगुलेटर की तरफ से कांग्रेस से अपील की गई है कि क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईएस) के साथ ट्रेडिंग करने पर कड़े नियम लागू किए जाएं. एसईएस का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी के साथ ट्रेडिंग करने पर निवेशकों को पारंपरिक ट्रेडिंग की तुलना में कुछ रिस्क झेलना पड़ सकता है. मगर इसके बाद भी डिश नेटवर्क, माइक्रोसॉफ्ट, सबवे और ओवरस्टॉक ने बिटक्वॉइन को पेमेंट मैथेड में शामिल कर लिया है. अमेरिकी वित्त विभाग की तरफ से इसे मनी सर्विस बिजनेस के तौर पर मान्यता दी गई है. क्रिप्टोकरेंसी को अमेरिका में टैक्स के मकसद से भी जनरल प्रॉपर्टी के तौर पर माना जा रहा है.
कनाडा
कनाडा ने भी अमेरिका की तर्ज पर क्रिप्टोकरेंसी को अपनाया है. यहां पर टैक्सेशन अथॉरिटीज क्रिप्टोकरेंसी का इनकम टैक्स एक्ट के तहत एक कमोडिटी के तौर पर मानती हैं. इसका मतलब ये हुआ कि कोई भी ट्रांजेक्शन जो क्रिप्टोकरेंसी के जरिए किया गया है उसे बिजनेस इनकम या फिर पूंजा हासिल करने के मकसद से समझा जाएगा. ट्रांजेक्शन किन परिस्थितियों में हुआ है, उस पर भी गौर किया जाएगा.
यूरोपियन यूनियन
यूरोपियन देशों में इसे लेकर अलग-अलग नियम हैं. साल 2015 में यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस (ECJ) ने क्रिप्टोकरेंसी में होने वाली ट्रेडिंग को सेवा के तहत परिभाषित किया था. इसके साथ ही इसे वैल्यू एडेड टैक्स यानी VAT से बाहर कर दिया था. यूरोप के कुछ देश जैसे फिनलैंड, बेल्जियम और यूनाइटेड किंगडम क्रिप्टोकरेंसी को एक संपत्ति के तौर पर देखते हैं न कि मुद्रा के तौर पर.
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया ने भी क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी करार दिया है. मगर देश में क्रिप्टोकरेंसी एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एंड काउंटर टेररिज्म फाइनेंसिंग एक्ट के तहत आती है. ऑस्ट्रेलिया भी वर्चुअल करेंसीज को प्रॉपर्टी के तौर पर मानता है और इन्हें टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है.
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