किसान ध्यान दें! इस बार करें भालिया गेहूं की खेती, प्रोटीन से भरपूर और स्‍वाद में होता है मीठा

Bhalia Wheat: गेहूं की इस किस्म का व्यापक रूप से सूजी तैयार करने के लिए उपयोग किया जाता है. इससे तैयार सूजी से पास्ता, मैकरोनी, पिज्जा, स्पेगेटी, सेवई, नूडल्स वगैरह बनाए जाते हैं.गेहूं की किस्म की एक विशेषता यह है कि इसे बारिश के मौसम में बिना सिंचाई के भी उगाया जाता है.

गुजरात में लगभग दो लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में इसकी खेती की जाती है. गेहूं की भालिया किस्म को जुलाई, 2011 में आणंद कृषि विश्वविद्यालय के प्रोपराइटरशिप में जीआई टैग मिला था.

आपको बता दें कि भारत ने वर्ष 2020-21 के दौरान यमन, इंडोनेशिया, भूटान, फिलीपींस, ईरान, कंबोडिया और म्यांमार जैसे 7 नए देशों को गेहूं का एक्सपोर्ट किया है.

भालिया गेहूं के बारे में जानिए

भालिया गेहूं का नाम भाल क्षेत्र के कारण पड़ा है. भाल क्षेत्र अहमदाबाद और भावनगर जिलों के बीच स्थित है, जहां अंग्रेजों से आजादी से बहुत पहले से ही इस गेहूं की खेती की जाती है. अहमदाबाद जिले के धंधुका, ढोलका और बावला तालुकों में इनकी व्यापक रूप से खेती की जाती है. वहीं, लिम्बडी के सुरेंद्रनगर जिले, भावनगर जिले के वल्लभीपुर, आणंद जिले के तारापुर और खंभात आदि जिलों में भी इसकी खेती की जाती है.

बारिश का पानी खाड़ी में चले जाने के बाद अक्टूबर के अंत से नवंबर के पहले सप्ताह तक बुवाई शुरू हो जाती है. देश में 2 लाख हेक्टेयर यानी करीब 4,90,000 एकड़ में हर साल 1.7 से 1.8 लाख टन गेहूं का उत्पादन होता है.

मार्च-अप्रैल में या उसके बाद फसल की कटाई होती है. भालिया किस्म की गेहूं को सिंचाई या बारिश की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इसकी खेती संरक्षित मिट्टी की नमी पर की जाती है.

किसानों को मिलेगा मोटी कमाई का मौका

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि सरकार लगातार ऐसी फसलों के एक्सपोर्ट को बढ़ावा दे रहे है. ऐसे में इसका सीधा फायदा किसानों को मिलेगा.आपको बता दें कि वर्ष 2020-21 में, भारत से 4034 करोड़ रुपये का गेहूं निर्यात किया गया है, जो कि उसके पहले की वर्ष की तुलना में 808 फीसदी ज्यादा था.

उस अवधि में 444 करोड़ रुपये का गेहूं निर्यात किया गया था. अमेरिकी डॉलर के लिहाज से वर्ष 2020-21 में गेहूं का निर्यात 778 फीसदी बढ़कर 549 मिलियन डॉलर हो गया है.