छठ पर्व पर प्रस्‍तुति देने पहुंचे कलाकरों ने कहा- भोजपुरी की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाना उद्देश्य..

रायपुर 11 नवंबर (वेदांत समाचार) | बिहार की संस्कृति पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, इसका उदाहरण छठ महापर्व है, जिसमें हर जाति के लोग श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं। बेटियों और महिलाओं को सम्मान देने वाली संस्कृति बिहार में रची-बसी है। अनेक पर्व त्योहार पर गाए जाने वाले भक्ति गीत और लोक गीतों ने हमें पहचान दी है। इस सांस्कृतिक विरासत को और आगे बढ़ाएंगे। यह कहना है छठ महापर्व में प्रस्तुति देने आए भोजपुरी गायिका सुनीता पाठक एवं गायक वीरेंद्र भारती का।

गायिका सुनीता पाठक का कहना है कि कुछ गायक भोजपुरी में अश्लील गीत गाकर संस्कृति को ठेस पहुंचा रहे हैं, जबकि बिहार की संस्कृति अद्भुत है, पूरे विश्व में फैली हुई है। वे भोजपुरी की प्रसिद्ध गायिका मालिनी अवस्थी एवं शारदा सिन्हा के गाए लोक गीतों की तरह गीत गाना चाहतीं हैं। अब तक तीन भोजपुरी फिल्मों और एक बालीवुड फिल्म में पार्श्व गायन कर चुकीं हैं। तीन विश्वविद्यालय ने उन्हें सम्मानित किया है।

पारंपरिक विधा के गीतों को सहेज रहे

गायक वीरेंद्र भारती का कहना है कि वे पारंपरिक विधा पर आधारित गीतों को सहेजने का प्रयास कर रहे हैं। अब तक 500 से अधिक पारंपरिक गीतों को सहेज चुके हैं। वे अश्लील गीत कभी नहीं गाएंगे। उनकी पहचान भजन और लोक गीतों से बनीं है। इसी परंपरा को वे आगे बढ़ाएंगे।

फूलों की होली, तांडव नृत्य से प्रसिद्धि

प्रसिद्ध नृत्य नाटिका कलाकार सोनाली चक्रवर्ती का कहना है कि वे 22 साल से धार्मिक प्रसंगों पर नृत्य नाटिका पेश कर रहीं हैं। कई देश में उनकी प्रस्तुति को प्रशंसा मिली है। वे खास तौर पर श्रीकृष्ण-राधा की फूलों की होली, भगवान भोलेनाथ का तांडव नृत्य, गणेश वंदना की प्रस्तुति देतीं हैं।

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