वेंटिलेटर चालू करते ही ब्लास्ट हुआ और आग लग गई, बच्चों को बचाने के दौरान हॉस्पिटल स्टाफ भी बेहोश हुआ

भोपाल 10 नवम्बर (वेदांत समाचार) | 8 नवंबर 2021 का दिन भोपाल के इतिहास में सबसे भयानक दिनों में शुमार हो गया है. किसी परिजन को नहीं पता था कि जिन नवजात बच्चों को वो अस्पताल में ठीक होने के लिए एडमिट कराकर आए हैं. फिर कभी उनकी शक्ल नहीं देख पाएंगे. सोमवार रात 8:30 बजे कमला नेहरू अस्पताल की तीसरी मंजिल पर चिल्ड्रन वार्ड में लगी उस भयानक आग का मंजर याद कर तैनात दो स्टाफ नर्स सहम जाती हैं. दोनों ने आग का वो भयानक मंजर अपनी आंखों से देखा है. बबीता पंवार और दूसरी राजेश राजा दोनों ही घटना के समय ड्यूटी पर तैनात थी.

बबीता आग लगने के समय वार्ड में ही मौजूद थी. राजेश राजा वार्ड से थोड़ी दूर थी. जिस समय आग लगी उस समय कैसा मंजर था. आग कैसे लगी. और उसके बाद स्टाफ ने क्या किया इसके बारे में बताते हुए नर्स बबीता रोने लगी

वेंटीलेटर चालू करते ही लग गई आग

बबीता ने बताया कि घटना के दिन मेरी एसएनसीयू वार्ड में नाइट ड्यूटी थी. रात 8:30 बजे थे. वार्ड में करीब 20 बच्चे भर्ती थे. यहां एक बच्चा सीरियस हालत में आया. उसे वेंटिलेटर की जरूरत थी. मैं बच्चे को टोपा लगा रही थी. वॉर्ड ब्वाय वेंटीलेटर लेकर आए. जैसे ही, डॉक्टर ने वेंटीलेटर चालू किया,अचानक उसमें से आग निकलने लगी. बहुत जोर से आग लगी. ऐसा लगा, जैसे ये अभी फट जाएगा. जिसके बाद मैं फौरन बच्चे को उठाकर ले गई.

वहां मौजूद डॉक्टर ने फायर एक्स्टिंग्विशर से आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन अचानक धुआं फैलने लगा. हम लोग रोने लगे. समझ नहीं आ रहा था, क्या करें. बच्चों की जान ज्यादा प्यारी थी. कुछ नहीं दिख रहा था. खिड़की तोड़ी, तो थोड़ा धुआं बाहर निकला. फिर जैसे-तैसे बच्चों को उठाकर पीआईसीयू में शिफ्ट किया. सभी लोग आ गए. अटेंडर और डॉक्टर भी आ गए.

बच्चों को बचाते-बचाते मैं कब बेहोश हो गई पता नहीं चला

नर्स राजेश राजा बुंदेला ने बताया कि उनकी भी नाइट ड्यूटी थी. तभी अचानक वेंटिलेटर में ब्लास्ट हुआ. अचानक अफरा तफरी मच गई. फिर हम सबसे पहले बच्चों को निकालने में लग गए. समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें और क्या नहीं. धुआं इतना ज्यादा हो गया था कि कुछ नहीं दिख रहा था. शोर सुनकर दूसरे अटेंडर और स्टाफ भी आ गया. सभी ने आग बुझाने की कोशिश की. उससे पहले बच्चों को निकालने की कोशिश में लग गए.

राजेश ने कहा कि ‘मैंने खुद करीब 8 से 10 बच्चों को बच्चों को पीआईसीयू में शिफ्ट किया. एक बच्चे को एक तरफ और दूसरे बच्चे को दूसरे हाथ में दबाकर जल्दी जल्दी बच्चे ले जाए गए. अंधेरा हो गया था. वार्ड में धुआं भर गया था. ऑक्सीजन के लिए खिड़की तोड़ी. बच्चों को बचाते-बचाते मैं कब बेहोश हो गई. पता ही नहीं चला.

कांच तोड़कर अंदर गए मोहम्मद मोजिब खान

मोहम्मद मोजिब खान ने बताया कि मेरा भांजा दो दिन पहले ही एनएनसीयू में भर्ती था. अब वह 5वीं मंजिल के वार्ड में है. मैं और मेरा जीजा मोहम्मद आमिर 5वीं मंजिल पर थे. हम नीचे जा रहे थे. अचानक लोग भागने दौड़ने लगे. हमने पूछा तो बताया कि तीसरी मंजिल पर आग लग गई है. हमें पता था कि वह बच्चों का वार्ड है. हम तुरंत उसकी तरफ दौड़े. सभी तरफ धुआं भरा हुआ था. फिर मैंने सिलेंडर से खिड़की में लगा कांच तोड़ा, जिससे धुआं बाहर निकल सके.

कांच तोड़कर अंदर घुस गया. और मैं और मेरे जीजा दोनों बच्चों को बचाने में लग गए. वहां मौजूद आग बुझाने वाले सिलेंडर से आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन वे काम नहीं कर रहे थे.

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