हरियाणा 10 नवंबर (वेदांत समाचार)। जींद जिले के अंचरा कलां गांव में एक फ्लू जैसे लक्षणों वाली रहस्यमयी बीमारी से बीते कुछ दिनों में 12 लोगों की मौत का मामला सामने आया है. गांव के कई लोगों को इस फ्लू जैसी बीमारी ने गिरफ्त में लिया हुआ है. 4,500 की आबादी वाले इस गांव में 800 से अधिक परिवार रहते हैं और ज्यादातर परिवार इस बीमारी की चपेट में बताए जा रहे हैं. प्रशासन का कहना है कि इस वायरल संक्रमण का पता लगाने के लिए और सैंपल लेने के लिए एक स्वास्थ्य विभाग की एक टीम गांव के लिए रवाना कर दी है.
पंचायत सदस्य राजिंदर सिंह के मुताबिक 50 से अधिक मरीजों को सफीदों, जींद और गोहाना के अस्पतालों में और कुछ गंभीर रोगियों को पीजीआई-रोहतक में भर्ती कराया गया है. इन सभी मरीजों में तेज बुखार शुरुआती लक्षण है, जिसके बाद प्लेटलेट्स में भारी गिरावट दिखाई देती है.” डॉक्टर्स के मुताबिक मरीजों में डेंगू के लक्षण है लेकिन टेस्ट में उसकी पुष्टि नहीं हो रही है.
गांव वालों के मुताबिक पूरे इलाके में कई जगह पानी इकठ्ठा है और इसी के चलते ये फ्लू जैसी बीमारी फ़ैल रही है. यहीं मच्छर पैदा हो रहे हैं जिससे बीमारी फ़ैल रही है. उधर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने डेंगू फैलने या बुखार से किसी की मौत की पुष्टि करने से इनकार कर दिया है. जींद सिविल अस्पताल ने चिकित्सा अधिकारी, डॉ टीएस बागरी ने कहा, ”यह पता लगाने के लिए कि क्या यह डेंगू है या कुछ वायरल संक्रमण है, नमूने एकत्र करने के लिए एक टीम गांव भेजा गया है और इलाके में फॉगिंग भी कराई जा रही है.
पराली जलाने पर किसानों पर FIR दर्ज
उधर हरियाणा के कैथल जिले में सोमवार को पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. जिला कलेक्ट्रेट प्रदीप दहिया ने बताया कि अधिकांश किसानों ने अब पराली जलाना बंद कर दिया है, लेकिन कुछ लोग अब भी पर्यावरण को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. दहिया ने सोमवार को खेतों का दौरा किया, जहां अधिकांश किसानों ने फसल अवशेष जलाना बंद कर दिया है, लेकिन उनमें से कुछ ने पर्यावरण को खराब करने की कोशिश की है. इस हालिया घटना के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है.
हालांकि पंजाब के किसानों ने कहा है कि वे मजबूरी में पराली जला रहे हैं और राज्य सरकार से उनके खेतों में पराली जलाने से रोकने के लिए उन्हें 7000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा देने की मांग की है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है. सरकार ने 43,15,000 रुपये के मुआवजे की घोषणा की है, लेकिन किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की है.
दिल्ली सरकार ने ठहराया है जिम्मेदार
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी में वायु प्रदूषण के लिए बार-बार पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया है. राजधानी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर श्रेणी’ में बनी हुई है, सोमवार को सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) को सूचित किया. सफर के विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 432 दर्ज किया गया. सरकारी एजेंसियों के अनुसार, 0-50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51-100 को ‘संतोषजनक’, 101-200 को ‘मध्यम’, 201-300 को ‘खराब’, 301-400 को ‘बहुत खराब’ और 401-500 को ‘गंभीर/खतरनाक’ माना जाता है.
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