प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में मुगल शासक औरंगजेब ने क्यों शुरू किया था ‘गधों और खच्चरों का मेला’?

 मध्य प्रदेश 07 नवंबर (वेदांत समाचार)। यह मेला मुगलों के जमाने से चला आ रहा है और हर साल लगाया जाता है. इस ऐतिहासिक अंतरराज्यीय मेले में कई राज्यों से गधे और खच्चरों को लेकर पशु व्यापारी पहुंचते हैं और करोड़ों का कारोबार होता है.

 मेले तो आपने कई तरह के देखे होंगे, लेकिन क्या आपने गधा मेला देखा है? दरअसल भगवान राम की तपोभूमि कहे जाने वाले चित्रकूट में हर साल दीपावली के बाद ‘गधा मेला’ (Donkey Fair) का आयोजन होता है. मध्य प्रदेश के सतना जिला अंतर्गत चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे यह मेला लगाया जाता है. इस ऐतिहासिक अंतरराज्यीय मेले में कई राज्यों से गधे और खच्चरों को लेकर पशु व्यापारी पहुंचते हैं. इन पशुओं की खरीद-बिक्री में करोड़ों का कारोबार होता है.

यह मेला मुगलों के जमाने से चला आ रहा है और हर साल लगाया जाता है. इस मेले के बारे में जानकार बताते हैं कि मुगल शासक औरंगजेब ने यह मेला शुरू कराया था. कहा जाता है कि एक बार औरंगजेब के सैन्य बल में घोड़ों की कमी हो गई थी, जिसे पूरा करने के लिए गधे और खच्चरों को सेना में शामिल करना था. ऐसे में अफगानिस्तान से अच्छी नस्ल के खच्चर मंगवाए गए थे. इन खच्चरों को मुगल सेना में शामिल किया गया था. तब से ही हर साल मेला लगाने की परंपरा चली आ रही है.

इस मेले की खासियत ये भी है कि यहां कई राज्यों से पशु व्यापारी पहुंचते हैं. गधों का नाम बॉलीवुड स्टार के नाम पर रखा जाता है. शाहरुख से लेकर सलमान तक और ऋतिक से लेकर रणवीर तक…​ फिल्मी सितारों के नाम वाले गधों की कीमत लाखों में होती है.

गधे मेले में खच्चरों और गधों की भी बोली लगाई जाती है. अच्छी नस्ल के गधों और खच्चरों की बोली लाखों रुपये तक भी पहुंच जाती है. जो व्यापारी या खरीदार सबसे ज्यादा बोली लगाता है और रकम अदा करता है, गधा या खच्चर उसका हो जाता है.इस अंतरराज्यीय मेले में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड आदि राज्यों से तो लोग पहुंचते ही हैं, पड़ोसी देश नेपाल से भी व्यापारी और खरीदार इस मेले में पहुंचते हैं. यहां व्यापारी गधे और खच्चरों की खरीद और बिक्री करते हैं.इस गधा मेला के संयोजक मुन्ना मिश्रा के मुताबिक, बॉलीवुड स्टार्स के नाम वाले गधों की सबसे ज्यादा डिमांड होती है. अच्छी नस्ल के गधों के नाम शाहरुख, अक्षय, सलमान, रणवीर, ऋतिक वगैरह रखे जाते हैं. कुछ गधों के लिए तो मुंहमांगी कीमत भी दिए जाने की खबरें सामने आती हैं.

यह मेला नगरपालिका के लिए आय का भी एक जरिया है. नयागांव नगरपालिका इस मेले से ठेकेदारों के जरिये टैक्स वसूलती है. पशु व्यापारियों का आरोप रहता है कि ठेकेदार, जानवर बांधने के लिए 30 रुपये प्रति खूंटा और 500 रुपये एंट्री के लिए लेते हैं, जबकि सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं होता. वहीं आयोजक पानी के टैंकर, सफाई और सुरक्षा उपलब्ध कराने की बात कहते हैं.

बता दें कि हर साल दीपावली के बाद लगाए जाने वाला यह मेला लोगों के लिए कौतूहल का विषय होता है. सोनपुर से लेकर पुष्कर तक… देश में कई पशु मेले लगाए जाते हैं, लेकिन वहां हर तरह के पशुओं की खरीद-बिक्री होती है. जबकि यह गधा मेला विशेषकर गधों और खच्चरों के कारोबार के लिए ही होता है.

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