आई.पी.एस. दीपका में छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य आयोजित हुए विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम

आई.पी.एस. दीपका में छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य की धुनों पर झूमने को विविश हुए दर्शक।

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य एवं छत्तीसगढ़ी नाटक का भरपूर आनंद लिया आई0पी0एस0दीपका के विद्यार्थियों ने ।

हम जहाँ रहते हैं वहाँ की संस्कृति व परंपरा को करें आत्मसात –डॉ. संजय गुप्ता

कला एवं संस्कृति के विकास में निहित है सभ्यता का विकास-डॉ. संजय गुप्ता

स्वयं अनुशासित रहें एवं अपने कार्य के प्रति ईमानदार रहें-श्री प्रशांत बोपापुरकर ।

छत्तीसगढ़ के लोकनृत्यों का अपना अलग ही आनंद,यहाँ के लोग परिश्रमी एवं ईमानदार- श्री प्रशांत बोपापुरकर।

छत्तीसगढ़ की संस्कृति और खानपान सबसे जुदा- डॉ. पी आर कुंभकार।

कोरबा 1 नवंबर (वेदांत समाचार) छत्तीसगढ़ भारत का 26 वां राज्य है जो कि प्राचीन काल में दक्षिण कौशल के नाम से जाना जाता था। कुछ विद्वानों ने इसका नाम कोसल तथा महाकोसल भी बताया है, और प्राचीन ग्रंथों में छत्तीसगढ़ का नाम महाकान्तर भी पाया गया है। 1 नवम्बर 2000 कों यह मध्य प्रदेश से विभाजित कर पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण कर लिया गया। 6 वी एवं 12 वी शताब्दी में शरभपुरीय, पन्दुवंशी, नागवंशी और सोमवंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। कलचुरियों ने इस क्षेत्र पर वर्ष 875 ई० से लेकर 1741 ई० तक राज्य किया। 1741 ई० से 1854 ई० में यह क्षेत्र मराठों के शासन आधीन रहा। फिर 1854 ई० में जब अंग्रेजों के आक्रमण के बाद ब्रिटिश शासन काल में राजधानी रतनगढ़ के बजाय रायपुर का महत्त्व बढ़ गया।

मध्य प्रदेश का हिस्सा निकालकर बनाया गया यह राज्य भारतीय संघ के 26वें राज्य के रूप में 1 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया। यह राज्य यहां के आदिवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है। प्राचीनकाल में इस क्षेत्र को दक्षिण कोशल के नाम से जाना जाता था। इस क्षेत्र का उल्लेख रामायण और महाभारत में भी मिलता है। छठी और बारहवीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। कलचुरियों ने छत्तीसगढ़ पर सन 980 से लेकर 1791 तक राज किया। सन 1854 में अंग्रजों के आक्रमण के बाद ब्रिटिश शासनकाल में राजधानी रतनगढ़ के बजाय रायपुर का महत्व बढ़ गया। सन 1904 में संबलपुर, ओडिशा में चला गया और सरगुजा रियासत बंगाल से छत्तीसगढ़ के पास आ गई।

छत्तीसगढ़ पूर्व में दक्षिणी झारखंड और ओडिशा से, पश्चिम में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से, उत्तर प्रदेश और पश्चिम में झारखंड से और दक्षिण में आंध्र प्रदेश से घिरा है। छत्तीसगढ़ क्षेत्रफल के हिसाब से देश का नौवां बड़ा राज्य है और जनसंख्या की दृष्टि से इसका 17 वां स्थान है।

राज्य स्थापना दिवस पर दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन कर राज्योत्सव मनाया गया । इस अवसर पर माननीय प्रशांत बोपपुरकर(प्राचार्य-कमला नेहरू महाविद्यालय, कोरबा), डॉ. पी.आर. कुंभकार(पूर्व सी.एम.ओ., कोरबा) मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई ।

कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वप्रथम दीपप्रज्जवलन के साथ हुआ । विद्यालय में अध्ययनरत विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों के द्वारा छत्तीसगढ़ की माटी एवं छत्तीसगढ़ी लोक कला का बखान करने वाली सुआ, करमा, राउत नाचा, जस गीत आदि रमणीय एवं मनमोहक गीतों पर अपनी मनभावन नृत्य से समां बाँध दिया । सभागार में उपस्थित सभी दर्शक झूमने को विवश हो गए। विद्यालय के नृत्य प्रशिक्षक श्री राम सर एवं श्री महेश रस के द्वारा भी शानदार युगल नृत्य की प्रस्तुति दी गई।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. पी.आर. कुंभकार(पूर्व सी.एम.ओ., कोरबा) ने कहा लोक कला एवं संस्कृति जो हमें विरासत में मिली है इनका संरक्षण एवं आने वाली पीढ़ियों को उसका हस्तांतरण हमारा नैतिक जिम्मेदारी है । छत्तीसगढ़ की संस्कृति और खानपान सबसे जुदा छत्तीसगढ़ की संस्कृति और खानपान सबसे जुदा है। यहाँ के प्राकृतिक एवं सरल जीवनशैली सबका मन मोह लेती है।

कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि प्रशांत बोपापुरकर(प्राचार्य-कमला नेहरू महाविद्यालय, कोरबा) ने कहा कि छत्तीसगढ़ की बोली, भाषा, रहन-सहन, संस्कृति सबसे अलग व मनमोहक है। यहाँ के निवासी ईमानदार और परिश्रमी हैं। यहाँ के लोगों की अद्तिय मान्यताएँ व विशिष्ट जीवनशैली इस राज्य को अन्य से अलग करती है। मंच संचालन श्रीमती निवेदिता स्वैन ने किया साथ कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न करने में पूरे विद्यालय परिवार का भरपूर सहयोग रहा।

इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने सभी को राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएँ दी और कहा कि 1 नवंबर, 2000 यानी 20 साल पहले आज ही के दिन मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया था। पौराणिक नाम की बात की जाए तो इसका नाम कौशल राज्य (भगवान श्रीराम की ननिहाल) है। गोंड जनजाति के शासनकाल के दौरान लगभग 300 साल पहले इस राज्य का नाम छत्तीसगढ़ रखा। हम जहाँ रहते हैं वहाँ की संस्कृति व परंपरा को हमें आत्मसात करना चाहिए। कला एवं संस्कृति के विकास में ही निहित सभ्यता का विकास निहित होता है।हमें हमेशा अपनी कला,संस्कृति व परंपराओं को सहेजकर रखने का प्रयास करना चाहिए।