आज पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री रहे लियाकत अली खान की पुण्यतिथि है. लियाकत अली खान की प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही साल बाद रावलपिंडी में हत्या कर दी गई थी. लियाकत अली खान चार वर्ष दो महीने और दो दिन तक पाकिस्तान के पीएम रहे.
इसके बाद पाकिस्तान के दूसरे पीएम बने ख्वाजा नजीमुद्दीन और उन्होंने 17 अक्टूबर 1951 को पीएम पद की शपथ ली. खैर…. लियाकत अली खान एक ऐसे शख्स थे, जो भारत के वित्त मंत्री भी रहे और फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी.
आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ये किस तरह से संभव है तो हम आपको इसकी कहानी बताते हैं. साथ ही आपको लियाकत अली खान से जुड़ी बातें भी बताएंगे, जो आपको शायद ही पहले पता होंगी.
कौन थे लियाकत अली खान?
लियाकत अली खान का जन्म 1 अक्टूबर 1895 को पंजाब के करनाल में हुआ था. उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की थी. मुस्लिम लीग के अग्रिम पंक्ति के नेता लियाकत अली खान पाकिस्तान आंदोलन के दौरान मुहम्मद अली जिन्ना के साथ काफी सक्रिय भी रहे. इसका फायदा उन्हें भारत-विभाजन होन पर मिला और वे पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने. वे भारत के वित्त मंत्री भी थी.
इसकी कहानी ये है कि भारत-पाकिस्तान के पूरी तरह आजाद होने से पहले अंग्रेजों के अधीन ही एक टेम्पररी सरकार बनी थी. इस सरकार में भी जवाहर लाल नेहरू ही प्रधानमंत्री थे, जो भारत के आजाद होने के बाद पहले प्रधानमंत्री बने. इस सरकार में फाइनेंस मिनिस्टर थे लियाक़त अली खान. इतना ही नहीं उन्होंने उस वक्त भारत का बजट भी पेश किया था, लेकिन इस भारत और पाकिस्तान एक ही थे. आजादी से पहले जो अंतरिम सरकार बनाई गई थी, जिसमें वित्त विभाग का कार्यभार मुस्लिम लीग के लियाकत अली के पास थे. इसके बाद 1947 में भारत-पाकिस्तान का विभाजन हो गया है और दोनों देश स्वतंत्र हो गए. इसके बाद लियाकल अली को पाकिस्तान का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया.
15 अगस्त 1947 को लियाकत अली खान ने पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली लेकिन 16 अक्टूबर 1951 को रावलपिंडी में उनकी हत्या कर दी गई. लियाकत अली खान चार वर्ष दो महीने और दो दिन तक पाकिस्तान के पीएम रहे. साल 1950 में उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच आठ अप्रैल 1950 को एक समझौता किया था, जिसका खास मकसद दोनों देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुरक्षित करना और भविष्य में युद्ध की संभावनाओं को खत्म करना था. हालांकि, इससे कई नेता नाराज हुए.
उस वक्त कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू और लियाकत अली के बीच हुए समझौते को लेकर 6 अप्रैल 1950 को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और जनसंघ की स्थापना की. बता दें कि जनसंघ ने ही बाद में बीजेपी का रूप लिया.
भारत पर हुआ हमला
भारत पाकिस्तान के विभाजन के बाद 1948 में पाकिस्तान ने भारत पर पहला हमला किया था, उस वक्त लियाकत अली खान ही पाकिस्तान के पीएम थे. कहा ये भी जाता है कि जिस वक्त पाकिस्तान की ओर से हमला किया गया था, तब वो इस हमले को रोक भी सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. लियाकत के मरने के 5-6 साल के अन्दर ही मिलिट्री जनरल अयूब खान ने सत्ता पलट कर दिया. और पाकिस्तान में मिलिट्री राज की शुरुआत हो गई.
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