फेस्टिव सीजन में लोगों को महंगाई से मिली थोड़ी राहत, सरकार ने खाद्य तेल पर खत्म किया आयात शुल्क

नई दिल्ली, अक्टूबर 14। इस फेस्टिव सीजन में महंगाई की मार ने त्यौहारों की रौनक को फीका कर दिया है। पेट्रोल-डीजल से लेकर गैस के दाम और खाने-पीने की चीजों से लेकर सब्जियां तक सबकुछ महंगा हो चुका है।

खाद्य तेल में सरसों के तेल की कीमत भी 200 रुपए लीटर के पार जा चुकी है, जिसने लोगों के किचन का बजट बिगाड़ दिया है। हालांकि इस बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को घटाकर लोगों को थोड़ी सी राहत जरूर प्रदान की।

CBIC ने खाद्य तेल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को किया खत्म

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने दो अलग-अलग आदेशों में बेसिक कस्टम ड्यूटी और विशिष्ट खाद्य तेलों पर कृषि और बुनियादी ढांचा विकास उपकर घटा दिया है। इसके अलावा क्रूड पाल तेल, सोयाबीन तेल और क्रूड सनफ्लावर तेल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को खत्म कर दिया है, जो कि 2.5 फीसदी थी। इससे अब उम्मीद है कि तेल की कीमतों में एक बड़ी गिरावट आएगी। CBIC की तरफ से दी गई आधिकारिक सूचना के मुताबिक, बेसिक शुल्क में कटौती 14 अक्टूबर से लागू होगी।

वहीं एग्रीकल्चर सेस को 20 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया है। इस कटौती से क्रूड पाम ऑयल की कीमतों में सीधा कमी आएगी। वहीं कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल दोनों पर कृषि उपकर 20% से घटाकर 5% कर दिया गया है। सभी परिवर्तन गुरुवार से मार्च 2022 के अंत तक प्रभावी रहेंगे। इसके अलावा, खाद्य ग्रेड सोयाबीन तेल, खाद्य ग्रेड सूरजमुखी तेल, परिष्कृत ब्लीचड डियोडोराइज्ड (आरबीडी) पाम तेल, आरबीडी पामोलिन, आरबीडी पाम स्टीयरिन और कच्चे पाम तेल के अलावा किसी भी पाम तेल पर मूल सीमा शुल्क 32.5% से घटाकर 17.5% कर दिया गया है।

यह कदम तब उठाया गया है जब सरकार ने जमाखोरी को रोकने और कीमतों में नरमी के लिए रविवार को खाद्य तेलों और तिलहनों पर मार्च के अंत तक स्टॉक सीमा लागू कर दी थी। सरकार ने 8 अक्टूबर से नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर सरसों के तेल और तिलहन पर वायदा कारोबार को भी निलंबित कर दिया था।

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