छत्तीसगढ़ के सरकारी बिजली संयंत्रों को प्रतिदिन 29 हजार 500 टन कोयले की जरुरत है, लेकिन 23 हजार 290 टन ही मिल पा रहा है। इससे संयंत्रों में कोयला का स्टाक (भंडरण) कम हो गया है। नियमानुसार पांच दिन का कोयला संयंत्रों में होना चाहिए, लेकिन कमी की वजह से मड़वा को छोड़कर बाकी संयंत्रों में चार दिन से कम का कोयला बचा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को आला अफसरों के साथ बैठक लेकर स्थिति की समीक्षा की। बैठक में मौजूद साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) सीएमडी अंबिका प्रसाद पंडा ने 29 हजार 500 टन कोयला आपूर्ति की सहमति दी है।
- – 23290 टन मिल रहा
वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री बघेल ने एसईसीएल के सीएमडी से कहा कि राज्य की खदानों से कोयला निकालकर छत्तीसगढ़ सहित देश के अन्य राज्यों को आपूर्ति की जाती है। चूंकि राज्य से कोयले का उत्पादन किया जा रहा है, इसलिए एसईसीएल को प्राथमिकता के आधार पर राज्य के ताप बिजली संयंत्रों को उनकी आवश्यकता के अनुसार अच्छी गुणवत्ता के कोयले की सप्लाई की जानी चाहिए।
बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, बिजली कंपनी के अध्यक्ष व ऊर्जा विभाग के विशेष सचिव अंकित आनंद, एसइसीएल के सीएमडी पंडा और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के जीएम आलोक कुमार सहित राज्य की बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक उपस्थित थे।कोयला व चावल के लिए पर्याप्त रेक मुख्यमंत्री ने रेलवे के जीएम से कहा कि राज्य में कोयले और चावल के लिए आवश्यकतानुसार पर्याप्त संख्या में रेलवे रेक उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। जीएम आलोक कुमार ने सहमति दी है।
छत्तीसगढ़ के संयंत्र में तीन से सात दिन के लिए कोयला उपलब्ध ऊर्जा विभाग के विशेष सचिव आनंद ने जानकारी दी कि वर्तमान में डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी संयंत्र में 3.8 दिन का कोयला उपलब्ध है। इसी तरह हसदेव संयंत्र में 3.2 दिन और मड़वा में सात दिनों के लिए कोयला उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण मानक के अनुसार पांच दिनों की आवश्यकता से कम कोयले की उपलब्धता को क्रिटिकल स्थिति माना जाता है।
राज्य में फिलहाल बिजली संकट नहीं विशेष सचिव आनंद ने बताया कि राज्य में फिलहाल कहीं भी बिजली कटौती नहीं की जा रही है। प्रदेश फिलहाल बिजली की औसत डिमांड 3803 मेगावाट है, जबकि उपलब्धता 3810 मेगावाट है। पीक समय में मांग 4123 मेगावाट तक जा रही है। इस दौरान 200 से 400 मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ रही है।
529 मेगावाट कम मिल रही बिजलीराज्य को अभी 529 मेगावाट कम बिजली मिल रही है। आनंद ने बताया कि एनटीपीसी की लारा (400 मेगावाट), सीपत यूनिट (104 मेगावाट) और एनएसपीएल संयंत्र (25 मेगावाट) वार्षिक रखरखाव के कारण बंद है। इसी वजह से बिजली कम मिल रही है। लारा यूनिट 12 अक्टूबर व सीपत संयंत्र 21 अक्टूबर तक प्रारंभ होने की संभावना है।
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