हरदी के महामाया मंदिर में जल रहे 1237 ज्याेत कलश, भक्तों की उमड़ रही है भीड़ …..


महेश शुक्ला , जांजगीर चांपा,9 अक्टूबर ( वेदांत समाचार )। नवरात्रि पर्व ग्राम हरदी में मां महामाया मंदिर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रतिमा में चैत्र नवरात्रि पर्व पर चांदी का छत्र एवं अन्य आभूषण पहनाकर भव्य श्रृंगार किया गया है। मंदिर में 1386 मनोकामना तेल ज्योति कलश, 257 तेल जवा कलश, 88 घृत ज्योति कलश 60 घृत जवा कलश सहित मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित हो रहे है।

मंदिर के पुजारी आचार्य वीरेंद्र पांडेय एवं जितेंद्र पांडेय ने बताया कि सुबह शाम मंगल आरती एवं पूजा अर्चना की जा रही है। मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही रही है जिसके तहत कोविड गाइड लाइन का पालन भी किया जा रहा है मंदिर परिसर में रहकर 30 लोगों द्वारा मनोकामना ज्योति कलश की देख रेख की जा रही है। माँ महामाया देवी मंदिर में भारत के साथ साथ विदेश के लोगो द्वारा भी प्रतिवर्ष मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किया जाता है । माँ महामाया देवी की प्रतिमा में चांदी के आभूषण का श्रृंगार करने के साथ साथ चंडी पाठ एवं पूजा अर्चना की जा रही है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि मान्यता है कि सप्तमी के दिन मंदिर में विशेष पूजा अर्चना करने के साथ साथ माँ महामाया भक्तों को साक्षात दर्शन देने के लिए पहुंचती हैं।

पिछले साल कोरोनावायरस कारण मंदिर में प्रवेश बंद था लेकिन इस बार कोरोनावायरस गाइडलाइन का पालन करते हुए मंदिर में प्रवेश अधिकतम पांच की संख्या में है इस बार तेल ज्योति 1386 ,ज्योति 257 जलाया जा रहा महामाया मंदिर हरदी में बहुत दूर दूर से भक्त माता के दर्शन को आते हैं विदेश से भी लोग ज्योति जावा कलर्स जलाते हैं इस बार हांगकांग से लल्ली साहू के द्वारा जो जलवा या गया है अमेरिका से विभाश्री साहू के द्वारा भी जो जलाया गया है हरदी महामाया मंदिर में लोगों की आस्था जुड़ी हुई है लोगों का मानना है यहां मनोकामना दीप प्रज्वलित करने से हर कामना पूरी होती है खास करके जिनकी कोई संतान नहीं है उनको संतान की प्राप्ति होती है सप्तमी रात्रि को महानिशा पूजा का आयोजन किया जाता है आटा का चौक बनाकर पंचमेवा का भोग लगाया जाता है इस चौक में माता के शेर के पंजे का निशान दिखाई देता है इसको देखने बड़ी बड़ी बड़ी दूर से भक्त बनाते हैं पिछले साल कोरोनावायरस के कारण भक्तों का प्रवेश प्रतिबंधित था इस बार भी मंदिर के अंदर प्रवेश वर्जित है बाहर से ही पूजा-अर्चना कराई जा रही है\