जिला चिकित्सालय पंडरी के स्पर्श क्लिनिक में लगा मानसिक स्वास्थ्य जांच शिविर

रायपुर 6 अक्टूबर ( वेदांत समाचार)। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत  विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में जिला चिकित्सालय पंडरी के स्पर्श क्लिनिक में जिले के चारों विकासखंड एवं शहरी क्षेत्र से मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहे संभावित लोगों की स्क्रीनिंग की गई ।

विशेष शिविर का आयोजन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल और जिला कार्यक्रम  प्रबंधक रायपुर के मार्गदर्शन में किया गया। जिले में इस बार मानसिक स्वास्थ्य दिवस का आयोजन “मेंटल हेल्थ इन एन अनइक्वल वर्ल्ड” (असमान दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य) की थीम पर किया जा रहा है।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम रायपुर की जिला नोडल अधिकारी डॉ. सृष्टि यदु ने बताया, ‘’ जिले में 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा उसके पूर्व लोगों में जन जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिले में कई गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है । इन्ही गतिविधियों के तहत जिला चिकित्सालय पंडरी में स्थित स्पर्श क्लिनिक में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहे 60 लोगों की स्क्रीनिंग मनोचिकित्सक डॉ.अविनाश शुक्ला द्वारा की गई।  साथ ही साइकोलॉजिस्ट ममता गिरी गोस्वामी द्वारा उनकी काउंसलिंग भी की गई । इस स्क्रीनिंग और काउंसलिंग का मुख्य उद्देश्य संभावितों की मानसिक समस्या का  समय से पता लगाकर तुरंत उनके लिए बेहतर उपचार उपलब्ध कराया जाए और उनको मानसिक समस्या से होने वाले नुकसान से भी बचाया जाए।“

मनोचिकित्सक डॉ.अविनाश शुक्ला ने बताया, ‘’मानसिक समस्या को पहचानना काफी सरल होता है उसके लिए आपको व्यक्ति द्वारा की जाने वाली गतिविधियों से अंदाजा लग जाता है समाज के अनुकूल ना की जाने वाली गतिविधि मानसिक समस्या की ओर इंगित करती है । मानसिक समस्या से जूझ रहे लोगों को जितनी जल्दी मनोचिकित्सक के पास लाया जाए उतना ही बेहतर होता है ।  क्योंकि इससे उनके रोग की  पहचान भी हो जाती है और उसको नियमित उपचार भी मिलता है और जिला अस्पताल की स्पर्श क्लिनिक में निःशुल्क मानसिक स्वास्थ्य जांच एवं परामर्श के साथ-साथ दवाइयां भी दी जाती है । 

मानसिक रोगी को रूढ़िवादी परंपरा के तहत झाड़-फूंक और बैगा के चक्कर में नहीं आना चाहिए । रोगी का  समय रहते इलाज चालू हो जाता है तो उसके ठीक होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है । जितना देरी से मानसिक इलाज शुरू होगा उतना ही रोगी के ठीक होने में देरी होती है।“

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