चारा-पानी की तलाश में जंगल से भटक कर गांव के करीब पहुंचे एक नर हिरण पर आवारा कुत्तों की नजर पड़ गई। उसे अपना शिकार बनाने घेर लिया और हमला कर दिया। कुत्तों से बचने हिरण पानी तालाब में कूद गया। पर बाहर नहीं निकल सका। तालाब के पानी में डूबने से उसकी मौत हो गई। वन विभाग की टीम ने पानी से निकाल कर मृत हिरण
पाली। चारा-पानी की तलाश में जंगल से भटक कर गांव के करीब पहुंचे एक नर हिरण पर आवारा कुत्तों की नजर पड़ गई। उसे अपना शिकार बनाने घेर लिया और हमला कर दिया। कुत्तों से बचने हिरण पानी तालाब में कूद गया। पर बाहर नहीं निकल सका। तालाब के पानी में डूबने से उसकी मौत हो गई। वन विभाग की टीम ने पानी से निकाल कर मृत हिरण को अपने कब्जे में लिया और औपचारिकताएं पूरी कर विधिवत अंतिम संस्कार किया गया।
ग्रामीणों के अनुसार गुरुवार की सुबह पांच बजे जंगल से भटक कर यह हिरण गांव के आस-पास घूमते देखा गया था। तभी गांव के आवारा कुत्तों की नजर उस पर पड़ गई और उन्होंने उसे दौड़ाना शुरू कर दिया। जान बचाने के लिए हिरण यहां वहां भागता रहा और जब बचने की कोई राह न दिखी तो एक तालाब में छलांग लगा दिया। इससे वह कुत्तों से तो बच गया, लेकिन तालाब गहरा होने के कारण वह बाहर नहीं निकल सका। डूबने से उसकी मौत हो गई। चटूवाभौना बीट प्रभारी रामजी पांडे ने बताया कि आसपास के जंगलों में जंगली जानवर हिरण, भालू, सूअर काफी संख्या में है। हिरण संभवतः धान की फसल खाने के लिए गांव किनारे के खेत में आया होगा, तब कुत्तों की नजर उस पर पड़ गई और उस अपना शिकार बनाने के लिए दौड़ाने लगे। जान बचाने के लिए भागते हुए तालाब में छलांग लगा दी, जिससे उसकी जान चली गई। पाली वन क्षेत्र अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर मृत हिरण का पंचनामा कर अपने सुपुर्द कर लिया। इस क्षेत्र के घनघोर वन्य क्षेत्र में काफी संख्या में वन्य प्राणियों का बसेरा है। इनकी सुरक्षा के ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे और ऐसी घटनाएं हो रही।
बीते पांच माह में वनमंडल की छठवीं घटना
बीते पांच माह में कटघोरा वनमंडल से ही छठवीं बार किसी हिरण की मौत की घटना हुई है। इससे पहले जून में ग्राम मुनगाडीह व उसके पहले अप्रैल में ग्राम गुरसियां में प्यास बुझाने आई एक चीतल कुत्तों का शिकार बनी थी। जंगल में भूख-प्यास से बेहाल वन्य प्राणियों के लिए आहार की जुगत कम हो रही। परिणाम स्वरूप भोजन-पानी के लिए जंगल की खाक छानने के बाद वे ऐसे जल स्त्रोतों की ओर चले आते हैं, जिसके आस-पास हरा चारा भी मिल जाता है। विभाग के अधिकारियों को वन्यजीवों के लिए जंगलों में पेयजल की समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए।
जंगलों के साथ सिमट रहा प्राकृतिक आवास
पाली मुख्य मार्ग के निर्माण के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई की गई। इससे जंगली जानवरों का प्राकृतिक आवास भी सिमटता जा रहा है। इससे वन्य प्राणी एक ओर वे भोजन और आवास के साथ अपनी सुरक्षा के लिए भटक रहे तो पीने के पानी के लिए विवश होकर रिहायशी क्षेत्र में आना पड़ता है। ऐसी दशा में वे कभी दुर्घटना तो कभी कुत्तों का शिकार हो जाते हैं। कई बार जागरूक ग्रामीण उन्हें बचाने का प्रयास भी करते हैं पर हमले में लहुलुहान हो जाने के कारण काफी देर हो चुकी होती है। ऐसे में गांव की वन समितियों की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आती है।
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