राष्ट्रपिता के ग्राम स्वराज के सपनों को साकार करने की ओर तेजी से अग्रसर छत्तीसगढ़ एकमात्र राज्य

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार करने की बातें तो लगभग हर गांधी जयंती और पुण्यतिथि पर होती रहती है, लेकिन इसे लेकर कभी कोई गंभीरता नजर नहीं आई। कहीं थोड़ी-बहुत हलचल हुई भी तो वह चंद वर्षों में ही शांत हो गई है। यह सौभाग्य की बात है कि छत्तीसगढ़ एकमात्र ऐसा राज्य बनने जा रहा है, जो राष्ट्रपिता के ग्राम स्वराज के सपनों को साकार करने की ओर तेजी से अग्रसर है। बहुतायत धान उत्पादित राज्य में छत्तीसगढ़ सरकार पहले की तुलना में किसानों को धान का बेहतर खरीदी मूल्य दे रही है। समर्थन मूल्य से अधिक राशि दे रही है।

कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही नरवा-गरुवा-घुरुवा-बाड़ी योजना के साथ अपनी दिशा और कार्यशैली स्पष्ट कर दी थी। राज्य के गांव-गांव में नरवा (नालों) के संधारण की दिशा में सक्रियता बनी हुई है। बेसहारा मवेशियों के लिए चारा उपलब्ध कराने के साथ लगभग हर गांव में सुविधायुक्त गोठान बनाए गए हैं। यहां गोबर की खरीदी करने की व्यवस्था की गई है। पिछले साल एक लाख 90 हितग्राहियों ने गोबर बेचकर करीब सौ करोड़ रुपये कमाए हैं। इनमें से करीब 80 हजार ग्रामीण भूमिहीन हैं।

स्वसहायता समूहों की महिलाएं गोठान में खरीदे गए गोबर से अब तक करीब नौ लाख क्विंटल कंपोस्ट खाद बेचकर आर्थिक समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं। गोठान में बाड़ी बनाकर सब्जी की पैदावार लेकर आंगनबाड़ी केंद्रों को आपूर्ति की जा रही है। महात्मा गांधी का सपना भी तो यही था कि गांवों में अधिकाधिक रोजगार के माध्यम से समृद्धि आए। छत्तीसगढ़ में भी यही सब हो रहा है।

शहरों में भी गांधीजी के विचारों को अमल में लाने की कोशिश हो रही है। स्वच्छता अभियान का असर गांवों से लेकर शहरों में दिख रहा है। वर्धा में गांधीजी के सेवाग्राम की तर्ज पर नवा रायपुर के करीब सौ एकड़ में सेवाग्राम बसाया जा रहा है। यहां की योजनाएं और कार्यशैली महात्मा गांधी के विचारों के अनुरूप होगी। राज्य में नक्सलवाद लगातर सिमटा जा रहा है। इन सबके बावजूद महात्मा गांधी के सपनों को मूर्त रूप देने की सबसे बड़ी चुनौती शराब और बढ़ती हिंसा है।

शराबबंदी को लेकर फिलहाल सरकार संवेदनशील नहीं दिख रही है, जबकि यह उसके चुनावी घोषणापत्र में किया गया वादा भी है। जिस दिन से राज्य सरकार शराब बिक्री को अपनी आमदनी का प्रमुख हिस्सा मानना छोड़ देगी, वहीं से शराबबंदी की शुरुआत हो जाएगी। आबादी के हिसाब से छत्तीसगढ़ में हिंसा का ग्राफ औसत से ऊपर है। गांधीजी के सपनों को साकार करने के लिए हिंसा पर सख्ती से नियंत्रण जरूरी है। इसके लिए बेहतर पुलिसिंग से लेकर प्रशासनिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आध्यात्मिक स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है।