छतीसगढ़ कांग्रेस में सियासी सस्पेंस बरकरार..राहुल के आने से पहले..बयान बाजी के बम तेजी से फूटने लगे… बदलाव को लेकर लोगों में कौतूहल..

✒️ नरेन्द्र मेहता,कोरबा / अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड के सांसद राहुल गांधी अपने छतीसगढ़ दौरे के बाद मुख्यमंत्री पद के विभाजित ढाई साल के कार्यकाल की चर्चा में विराम लगा देगें ऐसी संभावना हैं.ऊंट किस करवट बैठेगा इस संबंध में दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता.मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समर्थन में करीब 50 – 55 विधायक आज भी उनके साथ खड़े हैं. जो दिल्ली दरबार की चौखट तक जा पहुंचे थे. कोई भी बहाना बनाकर नेताओं और विधायकों का दिल्ली दौरे का सिलसिला चल ही रहा हैं.संभावित मुख्यमंत्री टी एस सिहदेव को कांग्रेस हाईकमान के फैसले का इंतजार हैं. उनके समर्थकों को तो दृणविश्वास हैं कि फैसला सिहदेव के पक्ष में ही ..

आएगा.राजनीति के जानकार की माने तो कांग्रेस हाईकमान पंजाब कांग्रेस में लगातार जारी सियासी उठापटक के चलते छतीसगढ़ के मामले में कोई निर्णय जल्दबाजी नहीं करेगा. जितना विलम्ब होगा बघेल की स्थिति मजबूत होती जाएगी.जानकारों की माने तो हाईकमान का फैसला अचानक आयेगा वह सबको स्तब्ध करने वाला भी हो सकता हैं.वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम के हालिया बयान से यह बात तो स्पष्ट हो गई हैं छतीसगढ़ कांग्रेस में गुटबाजी जमकर हैं. बघेल व सिहदेव समर्थक एक दुसरे को घेरने में जुटे हुए हैं.मरकाम ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि ” मैं न भूपेश बघेल के खेमे में हूं और न टी एस सिंहदेव के खेमे में. मैं संगठन का सदस्य हूं और प्रमुख होने के नाते संगठन में अभिभावक की भूमिका निभाना मेरा कर्तब्य हैं.” खेमेबाजी के खेल में विभक्त विधायको की धड़कनें भी तेज हो गई हैं, वहीं विधायकों को अपने पक्ष में संभाल कर रखने का जतन जारी हैं. दिग्गज नेताओं की अनबन का असर सरकार के कामकाज में भी कहीं न कहीं पड़ रहा हैं.प्रशासनिक अधिकारियों का भी टेंशन बढ़ा हुआ है.प्रदेश के दो जिले बिलासपुर व कोरबा में तो कांग्रेसियों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल अपनी ही सरकार को लताड़ लगाई हैं.

सिहदेव समर्थक बिलासपुर विधायक शैलेष पांडे ने तो मीडिया के सामने स्पष्ट रूप से यह कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस की जबरिया कार्यवाही ऊपर वाले के इसारे से की जा रही हैं. संभवतः पांडे का इशारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरफ था. उनके इस बयान के बाद बिलासपुर की राजनीति में गरमाहट आ गई खास करके विरोधी कांग्रेसियों में बौखलाहट देखी गई.आनन फानन में बिलासपुर जिला कांग्रेस कमेटी ने एक बैठक आहूत कर विधायक पांडे के बयान को अनुशासन हीनता की श्रेणी का बताते हुए कांग्रेस से छः वर्ष के लिए निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित कर प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेज दिया हैं. दूसरी तरफ जब से ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री का कथित मुद्दा कांग्रेस में उछला तो भाजपा नेता भी आग में घी डालने का अवसर नहीं छोड़ रहे हैं.अभी हाल ही में आबकारी मंत्री कवासी लखमा के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी नेताओं से मुलाकात की थी.इसे लेकर भाजपा ने कहा था कि आदिवासी इलाके में शायद कुछ ठीक नहीं चल रहा हैं.इसी बात का जवाब देने लखमा को सामने आना पड़ा.उन्होंने एक बयान में कहा कि भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के ऐसे मुख्यमंत्री है, जो आदिवासी, किसान, मजदूर और पिछड़े वर्ग के लिए काम करने वाले हैं। पन्द्रह साल रमन सरकार ने आदिवासियों की पूछ परख नहीं की.अब कोई मुख्यमंत्री आदिवासियों के लिये काम कर रहा हैं तो इनके पेट मे दर्द क्यो हो रहा हैं.बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं है। भाजपा केवल भड़काने और बरगलाने का काम करती है। भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में आज बस्तर में शांति है। उन्होंने कहा, भूपेश बघेल प्रदेश और यहां की जनता के लिए अच्छा काम कर रहे हैं.


इस बीच दिल्ली का अंतिम दौरा कर रायपुर लौटे टी एस सिहदेव ने मीडिया के प्रश्नों का जिस अंदाज से जवाब दिया उससे तो यही लगता हैं कि सिहदेव पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि परिवर्तन होकर ही रहेगा. पंजाब की तर्ज पर अचानक मुख्यमंत्री बदले जाने के सवाल पर सिंहदेव ने कहा कि अचानक नहीं एक प्रक्रिया है, जो चल रही है. लोग ढाई-ढाई साल की बात कर रहे हैं, ढाई साल भी बीत गया. कहीं न कहीं चर्चा चलती रहती है. चर्चा को अंजाम तक ले जाने की जो बात है, वो निर्णय के रूप में आ जाता है. जब मीडिया ने सवाल पूछा आपने कहा था फैसला हाईकमान के पास सुरक्षित है तो फिर इतनी देरी क्यो हो रही है. इसपर टीएस ने कहा कि ये हाईकमान का विशेषाधिकार है कि जब मामला उनके पास है तो फैसला भी उन्ही की तरफ से आएगा कोई समय सीमा नहीं रहती. व्यवहारिकता की बात होती है.पंजाब में किसी ने नही सोचा था कि ऐसी स्थिति आएगी,स्तिथि आ गई. कई कारण होते है उसे देखकर हाइकमान निर्णय लेते है.


लोगों के कौतूहल के संबंध में पूछे गए प्रश्न पर सिहदेव ने कहा यह स्वाभाविक है कि पूरे राज्य में मुख्यमंत्री के विषय को लेकर चर्चा हो रही है. लोगों में कौतूहल भी है, जिस तरह बेटी की शादी में समय लगता है. ठीक उसी तरह यह विषय भी बड़ा है. इसीलिए इसमें समय लग रहा है.उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री शपथ के समय भी पहले चर्चा थी, पर अचानक निर्णय आया.सिहदेव के इस लेटेस्ट बयान के बाद तो छतीसगढ़ की सियासत में हलचल और भी ज्यादा तेज हो गई. सिहदेव के प्रति अपनी वफादारी का सबूत पेश करने और हवा का रुख देखकर पाला बदलने वाले कुछ जिले के कांग्रेस नेता व कार्यकर्ताओं ने तो अपनी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए यहां तक आरोप लगा दिया कि इस सरकार में अधिकारी बेलगाम हैं.बैठक और बयान बाजी के दौर के बीच एकाएक छतीसगढ़ में हलचल तब और भी ज्यादा बढ़ गई जब
दो दिन पहले छतीसगढ़ के करीब 13 विधायक प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया से मुलाकात करने दिल्ली जा पहुँचे. वे पुनिया को प्रदेश की राजनीतिक स्थिति के बारे में जानकारी देंगे ऐसी चर्चा हैं.विधायकों का नेतृत्व भूपेश के करीबी विधायक बृहस्पत सिंह कर रहे हैं.इनका सिहदेव के साथ छतीस का आंकड़ा हैं.बृहस्पत सिंह ने सिहदेव का नाम लिए बगैर यह कहा कि किसी एक व्यक्ति को खुश करने के लिए कांग्रेस के 70 विधायकों का भविष्य दांव पर नहीं लगाया जा सकता.कांग्रेस आलाकमान देश मे छतीसगढ़ मॉडल की तारीफ कर रहा हैं और कांग्रेस शासित राज्यों में छतीसगढ़ मॉडल की तर्ज पर कार्य करने को कहा जा रहा हैं. तो ऐसे में बदलाव की गुंजाइश कहां हैं. सिहदेव ने भी बृहस्पत सिंह के बयान पर पलटवार करते हुये कहा कि उनका बयान अपरिपक्व व बचकाना हैं. सिंहदेव ने कहा कि मैं अवसरवादी नेता नहीं हूं,न मैं ज्योतिरादित्य, न मैं अमरिंदर हूं. सो जन्मों में भाजपा नहीं जाऊंगा. उनका कहना है

कि विधायकों के मन मे कुछ बात होगी इसलिए दिल्ली गए होंगे.पहले गये थे तो संगठन ने मना भी किया था. बृहस्पत सिंह के बयान के संबंध राजनीतिक जानकर यह कहते हैं कि यह पूरी तरह से कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बनाने वाला बयान हैं कि प्रदेश में जिस नेता के पास विधायकों का सर्वाधिक समर्थन हैं उसे किसी भी कीमत पर बदलना उचित नहीं होगा. संभवतः विधायक बदलाव से पहले विधायकों की राय लिए जाने की मांग भी हाईकमान से कर सकते हैं.फिलहाल भूपेश बघेल शांत है और उन्हें भी राहुल गांधी के छतीसगढ़ दौरे का बेसब्री से इंतजार हैं. ताकि वे उन्हें छतीसगढ़ मॉडल की खूबियों से रुबरु करा सके. हालांकि एक कार्यक्रम में सिहदेव की उपस्थिति में जब भूपेश बघेल जिंदाबाद के नारे लग रहे थे,

इस दौरान बघेल ने फिल्मी अंदाज में मुस्कुराते हुये कहा “कका अभी जिंदा हैं”.उनका यह कहना इस बात की ओर इशारा करता हैं कि उनके समर्थकों को खास करके कांग्रेस के विधायकों को किसी के बयान बाजी से विचलित होने की जरूत नहीं हैं.सब कुछ ठीक चल रहा हैं.बघेल भी सिहदेव की तरह पूरे भरोसे में हैं कि कांग्रेस हाईकमान का फ़ैसला उनके पक्ष में ही आयेगा.सूत्रों के अनुसार पंजाब कांग्रेस की सियासत में इनदिनों उठापटक का जो सिलसिला कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद से चल रहा हैं इससे कांग्रेस हाईकमान भी सख्ते में आ गया हैं. पंजाब का मसला सुलझने के बजाए उलझता जा रहा हैं. इसलिए राजनीति,विशेषज्ञों का कहना हैं कि कांग्रेस हाईकमान छतीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद के विभाजित कार्यकाल के मुद्दे पर कोई निर्णय अब जल्दबाजी में नहीं लेगा.

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]