रायपुर 30 सितंबर (वेदांत समाचार) । राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के अवसर पर जिला चिकित्सालय पंडरी रायपुर में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है । रक्तदान शिविर का उद्देश्य जरूरतमंद लोगों को रक्तदाता के माध्यम से रक्त उपलब्ध कराना है साथ ही लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करना भी है । पहली बार साल 1975 में 1 अक्टूबर को इंडियन सोसायटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन एण्ड इम्यूनो हेमेटोलॉजी द्वारा यह दिवस मनाया गया।
शारीरिक दूरी, मास्क एवं सैनिटाइजेशन की विशेष व्यवस्था करते हुए रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा ।
सिविल सर्जन डॉ.पीके गुप्ता ने बताया,’’ राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर स्वैच्छिक रक्तदाताओं के माध्यम से जरूरतमंद लोगों को रक्तदान उपलब्ध कराना है । पहली बार 1 अक्टूबर 1975 में इंडियन सोसायटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन एण्ड इम्यूनो हेमेटोलॉजी द्वारा मनाया गया। इंडियन सोसायटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन एण्ड इम्यूनो हेमेटोलॉजी की स्थापना 22 अक्टूबर 1971 में डॉ. जेजी जौली और मिसेज के. स्वरूप क्रिसेन के नेतृत्व में हुई थी। उन्होंने कहा, शिविर का उद्देश्य जरूरतमंद लोगों को रक्तदाता के माध्यम से रक्त उपलब्ध कराना है । साथ ही लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करना भी है । रक्तदान शिविर का आयोजन जिला चिकित्सालय पंडरी में kइया जाएगा। रजिस्ट्रेशन कराने के उपरांत नवनिर्मित 50 बेड के विशेष आईसीयू सेंटर में जाकर रक्तदान करना होगा। रजिस्ट्रेशन से लेकर रक्तदान की समस्त प्रक्रिया में चिकित्सालय के कर्मियों का सहयोग रहेगा। रक्तदान करने वालों का मनोबल बढ़ाने के लिए प्रमाण पत्र के साथ विशेष उपहार भी दिया जाएगा।‘’
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल ने बताया, ’’राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस का उद्देश्य लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान के महत्व के बारे में जागरूक करना है । जरूरतमंद रोगियों की तत्काल जरूरत को पूरा करने के लिए स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देना है । तत्काल और गंभीर लिए मरीजों के लिए ब्लड बैंक में रक्त को संग्रह करके रखना है । ऐसे लोगों को भी स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिये प्रोत्साहित करना जो केवल अपने मित्रों और रिश्तेदारों को रक्तदान करते हैं। उन्होंने कहा कि रक्तदान का महत्व तब और बढ़ जाता है जब गंभीर रोगों जैसे: एड्स, उपदंश, हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, मलेरिया और अन्य बहुत से रोगों से बचाने के लिये रक्त की बहुत अनिवार्यता हो जाती है। रक्तदान के लिये स्वैच्छिक रक्तदाताओं को प्रोत्साहित करना चाहिये क्योंकि स्वैच्छिक रक्तदाताओं का रक्त सुरक्षित होता है। स्वैच्छिक रक्तदाता कभी जानकारी नहीं छुपाता है और अपने रक्त के उन्नत तकनीक से परीक्षण के लिये सहमत होते है क्योंकि वो सही में किसी का अनमोल जीवन बचाना चाहते है। गंभीर बीमारी, बच्चे के जन्म से संबंधित जटिलताओं, सड़क यातायात दुर्घटनाओं और कई आकस्मिक परिस्थितियों से निकलने के लिए स्वैच्छिक रक्तदान बहुत जरूरी है । रक्तदान के प्रति फैली भ्रांतियों को भी युवा साथियों के बीच दूर करना और रक्तदान के प्रति अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने को आगे आना चाहिए ।“
रक्तदान के है कई फायदे
रक्तदान से हार्ट अटैक की संभावनाएं कम होती हैं। आयरन की मात्रा को बैलेंस करने से लिवर हेल्दी बनता है और कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है। रक्तदान का एक फायदा यह भी है कि रक्तदान करते समय 7 तरह के टेस्ट किए जाते हैं।अगर किसी व्यक्ति को कोई बीमारी है तो उसका भी पता चल जाता है।
कौन कर सकता है रक्तदान
रक्तदान करने के लिए रक्तदाता की उम्र 18 से 60 साल के बीच होनी चाहिए जिसका वजन 45 किलोग्राम से अधिक हो। शारीरिक रूप से सेहतमंद होना भी जरूरी है। खून में हीमोग्लोबिन का स्तर 12.5 जी/डीएल या इससे ऊपर होनी चाहिए। रक्तदान करने के 24 घंटे पहले शराब, धूम्रपान और तंबाकू का सेवन नहीं किया गया हो। रक्तदान करने वाले व्यक्ति को ब्लड प्रेशर, कैंसर, एड्स जैसी बीमारी नहीं होनी चाहिए। एक सेहतमंद व्यक्ति हर 3 महीने में रक्तदान कर सकता है।
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