आमों के राजा अल्फांसों (Alphonso Mango) को जीआई टैग मिला है. इसे हापुस भी कहते हैं. सरकार ने महाराष्ट्र के रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग और आसपास के इलाकों में पैदा होने वाले अल्फांसो आम को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग दिया है. सबसे बेहतरीन किस्म महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में स्थित सिंधुदुर्ग जिले की तहसील देवगढ़ में उगायी जाती है. सबसे अच्छे आम (Mango) सागर तट से 20 किलोमीटर अंदर की ओर स्थित जमीन पर ही उगते हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र का रत्नागिरि जिला, गुजरात के दक्षिणी जिले वलसाड और नवसारी भी हाफूस की पैदावार के लिए प्रसिद्ध हैं. महाराष्ट्र में 4.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इसका क्षेत्र है और यहां 12.12 लाख मीट्रिक टन उपज होती है.
आम की खेती करने वाले पुणे निवासी नितिन काले ने टीवी-9 डिजिटल को बताया कि जून जुलाई से सितंबर तक कर प्लांटेंशन कर देना चाहिए. इसके निए पानी पर्याप्त चाहिए. अलग अलग वैरायटी में 3 से 7 साल लगता है. काफी मेहनत करनी होती है. बच्चे की तरह देखना पड़ता है. फॉरेस्ट की नर्सरी में जुलाई महीने में इसका एक साल का पौधा फ्री मिलता है. जबकि 100 रुपये के आसपास का होगा.
आम की खेती के लिए कैसी होनी चाहिए भूमि ?
आम की फसल का उत्पादन तो वैसे सभी तरह की भूमि में किया जाता है लेकिन अच्छी जल धारण क्षमता वाली गहरी, बलुई दोमट सबसे उपयुक्त मानी जाती है. भूमि का पी.एच. मान 5.5-7.5 तक इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है. अल्फांसो के लिए खास तरह की जमीन और जलवायु की जरूरत होती है.
आम की उन्नत किस्में कौन –कौन सी है ?
महाराष्ट्र में आम की मशहूर किस्मों में हापुर, केसर, रत्न, सिंधु, कोंकण रुचि, कोंकण राजा, सुवर्णा, सम्राट, पयारी, लंगड़ा, वनराज आदि शामिल हैं.
आम के पौधों में खाद और उर्वरक का प्रयोग कितना करें?
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक एक वर्ष पुराने पेड़ को मानसून के प्रारंभ में 15 किलो कम्पोस्ट खाद, 150 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फास्फोरस और 100 ग्राम पोटाश देना चाहिए. यह मात्रा हर साल समान रूप से बढ़ानी चाहिए और 10वें वर्ष से जून के महीने में प्रत्येक पौधे को 50 किलो कम्पोस्ट खाद, 1.5 किलो नाइट्रोजन, 500 ग्राम फास्फोरस और 1 किलो पोटाश देना चाहिए.
पौधों की देख-भाल कैसे करें ?
अच्छे उत्पादन के लिए पौधों की देख भाल करना जरुरी है. शुरूआती तीन चार वर्ष तक तो अवश्य ध्यान देने की जरुरत है. शुरूआत के दो तीन वर्षों तक आम के पौधों को विशेष देखरेख की जरूरत होती है. जाड़े में पाले से बचाने के लिए एवं गर्मी में लू से बचाने के लिए सिंचाई का प्रबंधन करना चाहिए.जमीन से 80 सेमी तक की शाखाओं को निकाल देना चाहिए.
पौधों को कीट तथा रोग से कैसे बचायें ?
कुछ कीट फलों के पत्तों, पंखुड़ियों और डंठल से रस को अवशोषित करते हैं. इससे पत्तियां मुरझा जाती हैं. फूल झड़ जाते हैं. साथ ही छोटे-छोटे फल भी झड़ जाते हैं. शाखाओं को इस तरह से पतला किया जाना चाहिए कि कीट नियंत्रण के लिए बगीचे में पर्याप्त धूप हो. समय-समय पर बगीचे का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए और डिमेथोएट 30 ईसी (10 मिली/10 लीटर) या मैनिट्रोथियन (50 ईसी (10 मिली/10 लीटर) कीटनाशकों का छिड़काव किया जाना चाहिए.
फल मक्खी:- जब फल पक जाते हैं तो मादा फलों के छिलके में अंडे देती है. इससे निकलने वाले लार्वा घास खाते हैं. कीट नियंत्रण के लिए कीट ग्रसित फलों को नष्ट कर देना चाहिए. पेड़ के नीचे जमीन की जुताई करें सुगंधित जाल का प्रयोग करें.
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