FDI के सहारे पूरा होगा पीएम नरेंद्र मोदी का ये सपना, इन देशों के बिजनेसमैन भारत में पहली बार निवेश को तैयार

डेलॉयट के सीईओ पुनीत रंजन ने कहा है कि भारत के 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) महत्वपूर्ण है. उन्होंने साथ ही कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और सिंगापुर में 1,200 उद्योगपतियों के बीच किए गए एक सर्वे में उनमें से 40 फीसदी से अधिक ने भारत में अतिरिक्त या पहली बार निवेश करने की योजना बनाने की बात कही. रंजन ने सर्वे का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत अब भी ‘सबसे आकर्षक’ एफडीआई गंतव्यों में से एक है.

उन्होंने कहा, कोविड-19 के विध्वंस के बावजूद, पिछले साल आमद रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया. डेलॉयट के सर्वेक्षण में शामिल उद्योगपतियों ने कहा कि वे भारत में अतिरिक्त और पहली बार निवेश करने की तैयारी कर रहे हैं.

5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत

शीर्ष बहुराष्ट्रीय पेशेवर सेवा नेटवर्क के सीईओ ने कहा, मेरा मानना ​​​​है कि एफडीआई, 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की भारत की आकांक्षा पूरी करने के लिए महत्वपूर्ण है और मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से संभव है. मैं निश्चित रूप से भारत का एक बहुत बड़ा समर्थक हूं और जानता हूं कि क्या हासिल किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण से निकला एक और निष्कर्ष कुशल कार्यबल का मूल्य और विशेष रूप से घरेलू आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं थीं. ये चीजें एफडीआई के लिए महत्वपूर्ण आकर्षण हैं.

कम जागरूकता के कारण भारत व्यापार करना चुनौतीपूर्ण

रंजन ने कहा कि साथ ही, यह अब भी माना जाता है कि भारत व्यापार करने के लिए एक चुनौतीपूर्ण जगह है. यह धारणा सरकारी कार्यक्रमों, प्रोत्साहनों और सुधारों के बारे में कम जागरूकता के कारण बनी हुई हैं.

उन्होंने कहा, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और सिंगापुर में सर्वेक्षण में शामिल 1,200 उद्योगपतियों में से 44 फीसदी ने कहा कि वे भारत में अतिरिक्त या पहली बार निवेश की योजना बना रहे हैं. पहली बार निवेश की योजना बना रहे कारोबारियों में से लगभग दो-तिहाई अगले दो वर्षों के के भीतर ऐसा करने की योजना बना रहे हैं.

पीएम मोदी का लक्ष्य

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2025 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है. भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए हर साल 100 अरब डॉलर के एफडीआई की जरूरत है. यूएसआईएसपीएफ का मानना है कि भारत को इसमें से ज्यादातर एफडीआई अमेरिका से मिल सकता है.

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