पाली जनपद सीईओ को शासन- प्रशासन के आदेश- निर्देश की नही कोई परवाह..! ग्राम व जनपद पंचायत मे महिला सरपंचों की जगह जिम्मेदारी निभा रहे उनके सगे- संबंधियों पर रोक नही

0 सांसद जनपद प्रतिनिधि ने जताई गहरी नाराजगी, कलेक्टर व जिला सीईओ से करेंगे शिकायत.

कोरबा/पाली ,20 सितम्बर (वेदांत समाचार)। छत्तीसगढ़ के पंचायतों में महिला पंचायत पदाधिकारियों की भागीदारी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। जिसके तहत वर्तमान में 55 से 60 प्रतिशत महिलाएं चुनाव जीतकर पदासीन है। जहां निर्वाचित महिला पंचायत पदाधिकारियों को पंचायतों के कामकाज में नियोजन, क्रियान्वयन, पर्यवेक्षण, नियंत्रण आदि के लिए स्वयं निर्णय लेने के संबंध में सक्षम बनाने के लिए केंद्र सरकार के निर्देशानुसार राज्य सरकार ने सभी कलेक्टरों और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। जिस परिपत्र में कहा गया है कि पंचायत के कामकाज संचालन के दौरान पंचायत कार्यालय परिसर के भीतर महिला पंचायत पदाधिकारियों को उनके कोई भी सगे- संबंधी, रिश्तेदार पंचायत संबंधित किसी भी कार्य मे हस्तक्षेप या दखलंदाजी नही करेंगे। किसी विषय पर किसी भी पदाधिकारी, कर्मी को महिला पंचायत पदाधिकारी की ओर से निर्णय लेकर सुझाव अथवा निर्देश नही देंगे। अन्यथा संबंधित महिला पंचायत पदाधिकारी के विरुद्ध पंचायत राज अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस प्रावधान को आवश्यक सुनिश्चित कराने कहा गया है। जिसके परिपालन में जिला सीईओ कुंदन कुमार द्वारा जिले के सभी पांचों जनपद पंचायत के सीईओ को उक्ताशय के आदेश का गंभीरता के साथ पालन करने व कराने निर्देश दिए गए है। किंतु पाली जनपद पंचायत के सीईओ वीरेंद्र कुमार राठौर को उक्त आदेश की कोई परवाह नही है, या फिर पालन कराने में असमर्थ है, शायद इसीलिए पत्नी, मां, बहन अथवा परिवार के किसी अन्य महिला को चुनाव में जिताकर उनके रिश्तेदार पंचायत एवं जनपद की बैठकों में हिस्सा लेने व उनके समस्त कार्यों की जिम्मेदारी अभी भी निभा रहे है। जो जनपद सीईओ के निष्क्रियता के पराकाष्ठा की अभूतपूर्व मिशाल है। कई महिला सरपंच के सगे- संबंधी जो शासकीय सेवारत है वे भी अपना सरकारी जवाबदेही छोड़ पंचायतों के निर्माण कार्यों से संबंधित फाइलें अपने हाथों में लटकाए जनपद कार्यालय के गलियारे में नजर आते है। वही जनपद कार्यालय में ली जाने वाली सरपंच बैठके में भी निर्वाचित महिला सरपंचों के रिश्तेदार ही अधिकतर शामिल होते है।

जिस पर जनपद अधिकारी द्वारा किसी प्रकार का रोक ही नही है। इस प्रकार पाली जनपद में शासन के आदेश की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है, जिसे लेकर सांसद जनपद प्रतिनिधि पाली गुरुचरण सिंह राजपाल ने अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त की है, और कहा है कि सरकार व प्रशासन से जारी दिशा- निर्देशों का पालन न करना शासन के विपरीत मनमाने कार्यशैली को उजागर करता है। जो अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। जनपद सीईओ के इस कर्तव्यहीन कार्यशैली के कारण महिला पंचायत पदाधिकारियों की भागीदारी पाली जनपद में सुनिश्चित नही हो पा रही है। जिसकी शिकायत वे कलेक्टर व जिला सीईओ से करेंगे। बहरहाल वैसे भी प्रदेश में अफसर राज कायम है, व नौकरशाह बेलगाम हो चले है। और ये जनप्रतिनिधियों की भी नही सुनते। तथा कर्तव्यहीनता, निष्क्रियता व लापरवाही ऐसे नौकरशाहों की आदत बन गई है। एवं उन्हें सरकार व प्रशासन के निर्देश- आदेश की कोई परवाह नही है। शासन- प्रशासन को ऐसे कर्तव्य विमुख नौकरशाहों पर तत्काल लगाम कसना चाहिए। वरना “अब पछताय होत का… जब चिड़िया चुग गई खेत” की कहावत चरितार्थ होते देर नही लगेगी।

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