संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2021 में 7.2 फीसदी रहने की उम्मीद है, लेकिन अगले साल वृद्धि में कमी आ सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी के प्रकोप और निजी खपत पर खाद्य मुद्रास्फीति के नकारात्मक असर के चलते देश में पुनरुद्धार की प्रक्रिया बाधित हो सकती है.
अंकटाड व्यापार और विकास रिपोर्ट 2021 में सतर्कता के साथ उम्मीद जताई गई कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2021 में एक मजबूत सुधार के लिए तैयार है, हालांकि क्षेत्रीय और देशों के आधार पर कुछ अनिश्चितता बनी हुई है. यह रिपोर्ट बुधवार को संयुक्त राष्ट्र में जारी की गई. व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (अंकटाड) ने 2020 में 3.5 फीसदी की गिरावट के बाद उम्मीद जताई है कि इस साल वैश्विक उत्पादन में 5.3 फीसदी की वृद्धि होगी.
2020 में इकोनॉमी में आया था 7 फीसदी का संकुचन
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 2020 में सात फीसदी का संकुचन झेला और 2021 में इसके 7.2 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है. अंकटाड की रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत में पुनरुद्धार कोविड-19 के प्रकोप और निजी खपत पर खाद्य मुद्रास्फीति के नकारात्मक प्रभाव से बाधित हुआ है.’’ रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत 2022 में 6.7 फीसदी की दर से आर्थिक वृद्धि दर्ज करेगा, जो 2021 की अपेक्षित विकास दर से धीमी है.
चीन का ग्रोथ रेट इस साल 8.3 फीसदी रहेगा
रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में 6.7 फीसदी की धीमी वृद्धि दर के बावजूद भारत अगले साल दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा. अंकटाड की रिपोर्ट के मुताबिक चीन इस साल 8.3 फीसदी की दर से बढ़ सकता है, जबकि 2022 में उसकी वृद्धि दर धीमी होकर 5.7 फीसदी पर आ जाएगी.
पहली तिमाही में ग्रोथ रेट 20.10 फीसदी रहा था
बता दें कि चालू वित्त वर्ष (Current Financial Year) की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था (Economy) में 20.1 फ़ीसदी की रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि दर्ज की गई है. अपनी सफलता पर जहां सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं उसके समर्थक भी इसे बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं. लेकिन यह उतनी ज्यादा खुश होने वाली बात नहीं है. क्योंकि 2019-20 की पहली तिमाही की तुलना में यह अभी भी 9.2 फ़ीसदी कम है. जबकि अगर हम पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में जीडीपी (GDP) की बात करें तो उसमें 25.4 फ़ीसदी की कमी आई थी. लेकिन पहली तिमाही में कोरोना की दूसरी लहर से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थी इसके बावजूद भी वृद्धि दर बेहतर रही थी.
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