कोरबा-बरपाली 06 सितम्बर (वेदांत समाचार) । गरीब और उसकी गरीबी अक्सर मजाक बनते आए हैं। शासकीय योजनाओं के लाभ के मामले में तो गरीबों का वक्त-बेवक्त मजाक बनता ही रहा है। सरकार ने गरीबों को भूखे पेट ना सोने देने के लिए महज 1 रुपये प्रति किलो की दर से चावल वितरण की योजना लागू की है किंतु गाहे-बगाहे उन्हें घटिया चावल देकर या तो उनकी गरीबी का मजाक उड़ाया जाता है या फिर उनकी हैसियत बताने का काम इस पूरी व्यवस्था से जुड़े हुए लोग करते हैं।
ऐसा ही मामला कोरबा जिले के करतला ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत बरपाली के शासकीय उचित मूल्य दुकान में सामने आया है। यहां गरीबों के लिए भेजा गया चावल पूरी तरह घटिया क्वालिटी का है। चावल ऐसा है कि उसे जानवर भी खाना ना पसंद करें लेकिन वह गरीबों को वितरण के लिए क्यों भेजा गया? बताया जाता है कि भीगे हुए धान की मिसाई करवा कर निर्मित चावल को भेज दिया गया है जबकि सरकार ने खुद इस तरह के गुणवत्ता हीन चावलों की आपूर्ति पर मनाही की है।
इस व्यवस्था से जुड़े नागरिक आपूर्ति निगम, खाद्य विभाग, राइस मिलर से लेकर निगरानी करने वाले खाद्य निरीक्षकों की लापरवाही को जरा सा भी इनकार नहीं किया जा सकता और ना ही इसे अनदेखा करना चाहिए। यह जांच का विषय भी होना चाहिए कि आखिर वितरण के लिए इस स्तर का घटिया चावल आपूर्ति करने के लिए भेजा ही क्यों गया? बरपाली के उक्त सोसाइटी के ग्रामीणों ने यह चावल देखते ही लेने से साफ इंकार कर दिया और इस संबंध में खाद्य अधिकारी को पत्र लिखकर अच्छा चावल भेजने के लिए मांग की है।
बता दें कि न सिर्फ ग्रामीण बल्कि शहर के भी कुछ सोसायटियों में इस तरह का चावल लेकिन इससे थोड़ा कम घटिया क्वालिटी का चावल वितरण के लिए प्रदान किया गया है। कुछ सोसायटी में तो अच्छा और खराब चावल मिक्स करके वितरण के लिए भेजा गया है।
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