पश्चिम बंगाल (West Bengal) में कांग्रेस (Congress) को फिर झटका लग सकता है. बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे दिवंगत सोमेन मित्रा (Somen Mitra) की पत्नी शिखा मित्रा (Sikha Mitra) आज तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) में शामिल होंगी. दोपहर दो बजे तृणमूल कांग्रेस में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान वह टीएमसी में शामिल होंगी. बता दें कि विधानसभा चुनाव में बंगाल में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. इसके पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी भी कांग्रेस छोड़कर टीएमसी का दामन थाम चुके हैं.
सूत्रों के अनुसार शिखा मित्रा को तृणमूल के संगठन बंग जननी में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. कुछ दिन पहले तृणमूल सांसद माला रॉय शिखा मित्रा के घर गई थीं. पार्टी में शामिल होने के अलावा माला रॉय ने शिखा मित्रा से तृणमूल के संगठन बंग जननी में बड़ी जिम्मेदारी के साथ काम करने की भी पेशकश की थी, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है.
शिखा मित्रा की टीएमसी में होगी दूसरी पारी
बता दें गत 17 अगस्त को सोमेन की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शिखा मित्रा को फोन किया था. ममता बनर्जी के अलावा माला रॉय और चौरंगी से तृणमूल विधायक नयना बंद्योपाध्याय ने भी शिखा को फोन किया था. मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के तौर पर कुणाल घोष भी शिखा के घर गए थे. तभी से शिखा मित्रा के तृणमूल कांग्रेस में लौटने के कयास लगने लगे थे. सूत्रों के मुताबिक बंग जननी में सांगठनिक पद के अलावा शिखा मित्रा को किसी सरकारी समिति में भी जगह दी जाएगी. शिखा मित्रा अगर फिर से तृणमूल कांग्रेस से जुड़ती हैं तो यह बंगाल में सत्ताधारी पार्टी के साथ उनकी दूसरी पारी होगी. साल 2008 में वह पति सोमेन मित्रा के साथ तृणमूल में शामिल हुई थीं. शिखा मित्रा ने सियालदह विधानसभा सीट से उपचुनाव भी जीता था.
तृणमूल कांग्रेस के टिकट से चौरंगी से बनी थीं विधायक
साल 2011 में परिसीमन के बाद शिखा मित्रा चौरंगी सीट तृणमूल कांग्रेस के टिकट से खड़ी हुईं और फिर विधायक बनीं. सोमेन मित्रा ने जनवरी, 2014 में तृणमूल कांग्रेस छोड़ दी थी और कांग्रेस में लौट आए थे. इससे पहले ही शिखा मित्रा ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. तब से शिखा मित्रा परिवार के तृणमूल कांग्रेस से अच्छे संबंध नहीं रहे हैं लेकिन पिछले साल जब सोमेन मित्रा बीमार पड़े तो मुख्यमंत्री ने उनकी जानकारी ली. रिश्तों की बर्फ फिर से पिघलने लगी. सोमेन मित्रा के निधन के बाद उन्हें राज्य सरकार का समर्थन मिला. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में बताए बिना चौरंगी सीट पर शिखा मित्रा के नाम की घोषणा कर दी थी. इससे नाराज शिखा मित्रा ने बीजेपी का टिकट ठुकराकर चुनाव नहीं लड़ा. बता दें कि हाल में शिखा मित्रा के पुत्र सोहन मित्रा ने भी कांग्रेस के खिलाफ बागी तेवर अपना चुके हैं.
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