Holashtak 2025 : होलाष्टक के दिनों में खरीदें चांदी से बनी वस्तुएं, घर में कभी नहीं होगी आर्थिक तंगी

होली के आठ दिन पूर्व शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लगेगा। होलिका दहन से पहले होलाष्टक को शुभ दिन नहीं माना जाता। वैदिक पंचांग के अनुसार, होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से हो रही है। होलाष्टक का समापन 13 मार्च होली दहन के साथ समाप्त होगा। होलाष्टक होली के आने का संकेत देता है। इसी दिन से होली उत्सव के साथ-साथ होलिका दहन की तैयारी भी शुरू हो जाती है। इस दिन से कोई भी शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है।

होलिका दहन की अग्नि में दुखों का नाश होता है और इच्छाएं पूरी होती हैं। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है, क्योंकि क्रूरतापूर्वक प्रहलाद की बुआ होलिका ने प्रहलाद को आग में बैठाकर जलाने का प्रयास किया था। आग ने होलिका को ही नष्ट कर दिया। धर्म के रक्षक भगवान विष्णु ने प्रहलाद को बचा लिया और भगवान ने हिरण्यकश्यप का नाश कर बुराई पर अच्छाई की जीत दिलाई।

होलाष्टक के दौरान क्या करें और क्या न करें –

ज्योतिषाचार्य सुरेश शर्मा ने बताया, होलाष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होली और अष्टक है। होलाष्टक के 8 दिनों में 8 ग्रह उग्र हो जाते हैं, इसलिए इस समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं होते हैं।

इस समय किए गए शुभ कार्यों का कोई भी फल अच्छा नहीं मिलता है। खरीदारी भी इस समय हमें टालना चाहिए, होलाष्टक लगने के बाद कपड़े एवं आभूषणों की खरीदारी नहीं करनी चाहिए।

होलाष्टक के दिनों में माता रानी की कृपा बनी रहने के लिए हमें चांदी से संबंधित वस्तुएं खरीदना चाहिए, जिससे घर में आर्थिक तंगी नहीं आती है। होलाष्टक के दिनों में भगवान विष्णु की आराधना करना चाहिए।