बिलासपुर। 27 अगस्त (वेदांत समाचार) छत्तीसगढ़ का लोकपर्व भोजली हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शासकीय प्राथमिक शाला डोंगरीपारा में भोजली को विज्ञान की अवधारणा से जोड़कर समाज के लोगों के समक्ष रखा गया। शिक्षकों ने कहा कि भोजली और हमारे शरीर का पीएच मान एक बराबर होता है। इसमें रक्त की कमी को दूर करने की पूरी क्षमता होती है। कुपोषण को मिटाने में सहायक है।
संकुल केंद्र कन्या बेलगहना के समन्वयक प्रदीप चांडक, संस्था प्रमुख सुरेश गुप्ता और व्याख्याता अरविंद कुमार पांडेय ने इस पर विस्तृत जानकारी साझा की। उत्सव में बच्चों के अलावा गांव की महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल थीं। व्याख्याता अरविंद ने जानकारी देते हुए बताया कि भोजली को विज्ञान की अवधारणा से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर द टीचर एप में स्थान मिला है। भोजली व शरीर का पीएच मान एक समान 7.4 होता है। यह हमारे रक्त में जल्दी अवशोषित हो जाता है। इसके रस को ग्रीन ब्लड भी नाम दिया गया है। बच्चों को आनलाइन कक्षाओं में भोजली का विशेष महत्व बताया जाता है।
इससे होने वाले मेडिकल लाभ को गांवों में वीडियो के जरिए प्रस्तुत किया जा रहा है। शिक्षिका प्रतिभा पांडेय इसके लिए विशेष तौर पर जुटी हुई हैं। ग्रामीणों को जागरूक करने के साथ भोजली का वैज्ञानिक महत्व भी बता रही हैं। पढ़ई तुहंर दुआर के अंतर्गत कक्षाएं लगाकर छत्तीसगढ़ के लोकपर्व और उससे जुड़ी वैज्ञानिक महत्व को समझा रही हैं। इसके कारण वनांचल क्षेत्र के ज्यादातार बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी शामिल होने लगे हैं। उत्सव में महिलाओं ने भोजली गीत भी प्रस्तुत किया। ग्रामीणों ने इस कार्यक्रम को लेकर सराहना की।
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