सावन महीने के अंतिम दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन हर बहन अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर रक्षा का वचन लेंती है. मान्यता हैं राजसूय यज्ञ के समय द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को रक्षा सूत्र बांधा था और तभी से ये परंपरा चली आ रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में एक ऐसा भी गांव है जहां बरसों राखी के दिन भाइयों की कलाई सूनी रहती है.
जी हां, बिल्कुल सही पढ़ा आपने हम बात कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में स्थित भीकमपुर जगत पुरवा गांव के बारे में, जहां के लोगो का कहना है कि अगर उन्होंने रक्षा बंधन का त्योहार मनाया तो उनके साथ कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है. गांव के लोग कई अजीबोगरीब घटनाओं को देखते हुए इस त्योहार को मनाने से बचते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में तकरीबन पांच दशक से अधिक समय बीत चुका है जब बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधी. इतना ही नहीं, इस गांव के आस-पास के गांव में भी लोग रक्षा बंधन का त्यौहार नहीं मनाते.
इस वजह से गांववाले नहीं मनाते राखी का त्योहार
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में घटी अप्रीय घटना के कारण बुजुर्गों ने रक्षा बंधन नहीं मनाने का फैसला किया. तभी से इस गांव में बहनें रक्षा बंधन पर अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांध रही हैं. गांव का हर शख्स अब रक्षा बंधन पर किसी बच्चे के पैदा होने का इंतजार कर रहा है.
लोगों का कहना है कि ऐसा होने के बाद ही गांव में रक्षा बंधन मनाया जा सकेगा. लेकिन पिछले 65 साल से रक्षाबंधन के दिन बच्चा पैदा नहीं हुआ है. इस लम्हे का इंतजार देखते-देखते करीब तीन पीढ़ियां गुजर गई हैं. सालों से यहां हर भाई की कलाई सूनी ही नजर आती है.
गांव के लोग नहीं चाहते कि उनके पूर्वजों द्वारा बनाई गई इस परंपरा को तोड़ा जाए. लोग कहते हैं कि यहां के किसी भी घर में जब कोई बहन अपने भाई को राखी बांधती हैं तो अजीब सी घटनाएं देखने को मिलती हैं. करीब एक दशक पहले भी बहनों के अनुरोध पर रक्षा बंधन का त्योहार शुरू करने का फैसला किया गया था, लेकिन यहां फिर एक अजीबोगरीब घटना हो गई. तबसे दोबारा किसी ने राखी मनाने की हिम्मत नहीं दिखाई. यह डर आज भी बहनों को भाई की कलाई पर राखी बांधने से उन्हें रोकता है.
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