रायपुर । प्रदेश में हाथियों को बेहोश करने के लिए वन विभाग को अब मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। क्योंकि वन विभाग दक्षिण अफ्रीका से इटारफीन नामक इंजेक्शन लाने की तैयारी कर रहा है। इस इंजेक्शन के लगाने से हाथी तीन मिनट के अंदर बेहोश हो जाएगा। इससे विभाग आसानी से कालर आइडी लगा सकेगा। सैटेलाइट कालर आइडी लगने से हाथियों के पल-पल की गतिविधि की जानकारी मिल सकेगी इससे हाथी मानव द्वंद्व पर लगाम लग सकेगा।
वर्तमान में कालर आइडी लगाने के लिए हाथियों को बेहोश करने के लिए विभाग को पसीने छूट जाते हैं। वन विभाग के अधिकारी का कहना है कि दवा के आ जाने से काफी राहत मिलेगी। ज्ञात हो कि प्रदेश में जंगली हाथियों का उत्पात दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। हाथियों का झुंड अब राजधानी तक रुख करने लगा है। इसके साथ ही जंगली हाथी प्रदेश में आए दिन फसलों और लोगों पर जानलेवा हमला करते रहते हैं।
हाथियों पर नजर रखने के लिए वन विभाग ने वर्तमान में सात जंगली हाथियों बहरादेव (नर), गोमती (मादा), प्यारे (नर), महान (नर) कर्मा (मादा) एमइ चार (मादा) और गणेश (नर) को सैटेलाइट कालर आइडी लगाया है। हाथियों में सैटेलाइट कालर आइडी लगाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम को करीब दस दिन तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। उसके बाद कहीं सैटेलाइट कालर आइडी लग पाती है।
हाथी को बेहोश करने लगता है तीस मिनट
वन विभाग के सूत्रों की मानें, तो वर्तमान में हाथियों को बेहोश करने के लिए जलाजीन और कीटामीन नामक इंजेक्शन का उपयोग करते हैं। एक हाथी को बेहोश करने के लिए 10 से 12 एमएल देना पड़ता है। इस इंजेक्शन के लगाने के बाद तकरीबन 25 से 30 मीनट के बाद हाथी बेहोश होना शुरू करता है। इंजेक्शन लगने के बाद बेहोशी के लिए 30 मिनट का अंतराल होने की वजह से कभी-कभी तो हाथी भाग भी जाता है।
इसलिए विभाग अब साउथ अफ्रीका से इटारफीन नामक इंजेक्शन मंगवा रहा है, जिससे इंजेक्शन लगते ही हाथी तीन मिनट के अंदर बेहोश हो जाएगा। एक हाथी को यह इंजेक्शन सिर्फ दो एमएल लगाना पड़ेगा। इस इंजेक्शन का उपयोग पहाड़ी और पानी के पास हाथी पर उपयोग नहीं किया जाएगा। क्योंकि इन दोनों जगहों पर हाथी की जान का खतरा हो सकता है। वहीं हाथी को होश में लाने के लिए विभाग एटीडोढ़ भी मंगा रहा है। इंटीडोढ़ इंजेक्शन लगते ही दो मिनट के अंदर हाथी खड़ा हो जाएगा।
09 लाख की आएगी दवा
वन विभाग के सूत्रों की माने तो इटारफीन नामक इंजेक्शन पांच एमएल 60 हजार रुपये का पड़ता है। नौ लाख में कुल 15 वाइल आएंगी, जिसमें 75 हाथियों में लगाया जा सकता है। वहीं, जलाजीन 50 एमएल ढाई हजार तो कीटामीन 50 एमएल चार हजार रुपये का आता है। साउथ अफ्रीका से आने वाले इंजेक्शन का उपयोग दो साल तक कर सकते हैं। दो साल के बाद उसकी अवधि समाप्त हो जाएगी। वन विभाग ने इस इंजेक्शन का प्रयोग असम में वन भैंसा के ऊपर किया है।
हाथी मानव द्वंद्व रोकने कर चुके हैं उपाय
वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2011 से 2017 के बीच मानव-हाथी द्वंद्व को रोकने के लिए विभाग ने सोलर फेंसिंग, मधुमक्खी पालन, रेडियो कालर लगाने सहित कई उपाय किए। इन पर शासन ने 45 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला। हाथियों के संरक्षण के दावों के बीच बीते पांच वर्षों में 36 से अधिक हाथियों और करीब 300 लोगों की जान गई।
वर्जन
हाथियों को बेहोश करने के लिए दवा मंगा रहे हैं अभी खरीदी की प्रक्रिया चल रही है। कितने की खरीद रहे हैं यह नहीं बता सकता।
– वीपी नरसिंहा, प्रधानमुख्य वन सरंक्षक, वन्यजीव छत्तीसगढ़
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