आदिवासी समुदाय को वन संसाधनों का अधिकार देने में छत्तीसगढ़ ने रचा कीर्तिमान: मुख्यमंत्री श्री बघेल

0 विश्व आदिवासी दिवस के वर्चुअल कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री
0 श्री बघेल ने कहा: हमारा आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ की गौरवशाली संस्कृति और इतिहास का हिस्सा
कोरबा 9 अगस्त (वेदांत समाचार) ।
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश के सभी 27 जिलों के आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियों और वनवासियों से जुड़े। उन्होंने आज के दिन को पूरी दुनिया के आदिवासी समुदाय के लिए खास दिन बताया और कहा कि छत्तीसगढ़ का आदिवासी समाज राज्य की गौरवशाली संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आदिवासी समाज और संस्कृति को आगे बढ़ाए बिना छत्तीसगढ़ की संस्कृति और स्वाभिमान की रक्षा नहीं की जा सकती । मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और स्वाभिमान को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का संकल्प लिया है। श्री बघेल ने खुशी जताई की पिछले ढाई वर्षों में राज्य सरकार के प्रयासों से प्रदेश के आदिवासी इलाकों में विकास और स्वावलंबन की नई लहर चली है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा विश्वास, विकास और सुरक्षा के मूलमंत्र के साथ आगे बढ़ते हुए जल-जंगल-जमीन पर स्थानीय समुदायों का अधिकार सुनिश्चित करना और आदिवासियों के जीवन स्तर को उंचा उठाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

नगरीय क्षेत्रों में आदिवासी समुदाय को वनसंसाधन अधिकार देकर रचा कीर्तिमान – मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने चार लाख 41 हजार से अधिक व्यक्तिगत पट्टे और 46 हजार से अधिक सामुदायिक पट्टों के साथ शहरी क्षेत्रों में भी वन संसाधन का अधिकार देकर कीर्तिमान रच दिया है। देश में सबसे पहले शहरी क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदाय को वहां के जंगलों पर अधिकार देने का काम छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की नगरी नगर पंचायत से शुरू हो गया है। तीन गांवो से मिलकर बनी इस नगर पंचायत में दस हजार 200 एकड़ जंगल पर सामूहिक वन संसाधन अधिकार दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी संस्कृति में वन्य प्राणियों का विशेष महत्व है। वन्य प्राणियों के प्रति आस्था और सम्मान को व्यक्त करते हुए टाइगर रिजर्व कोर क्षेत्र में भी सामुदायिक वन संसाधन का अधिकार स्थानीय निवासियों को दिया जा रहा है। सीतानदी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र के पांच गांवों के 14 हजार एकड़ जंगल पर सामुदायिक वनसंसाधन अधिकार दिए जा चुके हैं।

उन्होंने बताया कि विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आज पूरे प्रदेश में 700 गांवों को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार सौंपे गए हैं।
मुख्यमंत्री ने किया छह पुस्तकों का विमोचन – मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम के दौरान विभागीय योजनाओं की छह पुस्तकों छत्तीसगढ़ का ट्रायबल एटलस, छत्तीसगढ़ की विशेष पिछड़ी जनजातिओं पर आधारित काफी टेबल बुक, गदबा, मुंडा, बैगा, कमार और भुंजिया जनजातिओं पर आधारित मानव शास्त्री अध्ययन, पाव, मांझी, गड़बा, परधान, बैगा, गोंड़, अगरिया और कंवर जनजातिओं के फोटो हैंडबुक तथा कंवर जनजाति में प्रथागत कानूनों का मोनोग्राफ का विमोचन भी किया। उन्होंनेे विभिन्न शासकीय योजनाओं से लाभान्वित होने वाले विभिन्न जिलों के वनवासी हितग्राहियों से संवाद भी किया। मुख्यमंत्री ने विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर प्रदेश वासियों को बधाई और शुभकामनाएं भी दीं।

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में मुख्यमंत्री निवास में श्री बघेल के साथ वन मंत्री मोहम्मद अकबर, आदिम जाति कल्याण मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत सहित मंत्रीमण्डल के अन्य सदस्य एवं प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। कोरबा जिला मुख्यालय में जिला पंचायत सभा कक्ष से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुरूषोत्तम कंवर, मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष मोहितराम केरकेट्टा, नगर निगम कोरबा के महापौर राजकिशोर प्रसाद, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शिवकला कंवर, कलेक्टर श्रीमती रानू साहू, पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल, जिला पंचायत के सीईओ कुंदन कुमार, नगर निगम आयुक्त कुलदीप शर्मा, कोरबा वनमण्डलाधिकारी श्रीमती प्रियंका पाण्डेय सहित जिले के विभिन्न विकासखण्डों से आए हितग्राही एवं जनप्रतिनिधि भी कार्यक्रम में शामिल हुए।


मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण वन क्षेत्रों में चारागाहों और जलाशयों से लेकर वनोपजों तक आदिवासी समुदाय के अधिकारों का दायरा बढ़ा है। वे अब पहले ज्यादा आसानी से खेती, पशुपालन, मछली पालन, लाख उत्पादन, वनोपज संग्रहण करते हुए जीवन-यापन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनभूमि पर खेती कर आदिवासियों को अब आम किसानों की तरह ही शासन की अन्य योजनाओं और सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा लाख उत्पादन और मछली पालन को राज्य में कृषि का दर्जा मिल जाने से वनांचल के कई आदिवासी समुदायों को इसका लाभ मिलेगा। श्री बघेल ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर ढाई हजार रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर चार हजार रूपए करने, समर्थन मूल्य पर 52 लघुवनोपजों की खरीदी करने, वनोपजों के साथ कोदो कुटकी और दूसरी लघु धान्य फसलों के वैल्यु एडिशन के लिए प्रसंस्करण की सुविधा शुरू करने, आदिवासी क्षेत्रों में सुपोषण अभियान के संचालन से लेकर पढ़ाई-लिखाई की सुविधाओं के बारे में भी बताया।

विश्व आदिवासी दिवस पर सरकारी छुट्टी देकर बढ़ाया आदिवासी संस्कृति का मान: राजस्व मंत्री श्री अग्रवाल – इस अवसर पर राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार ने पिछले ढाई सालों में आदिवासी क्षेत्रों और समुदायों के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। खेती किसानी से लेकर आदिवासी क्षेत्रों में स्वावलंबन की नई बयार बह रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस पर शासकीय छुट्टी देकर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की आदिवासी संस्कृति और गौरव का मान बढ़ाया है। श्री अग्रवाल ने कहा कि वन अधिकार कानूनों को प्रभावी तरीके से लागू करके दूरस्थ वनांचलों में लंबे समय से वन भूमि पर काबिज लोगों को जमीन का मालिकाना हक देने वन अधिकार पट्टे दिए गए हैं। सामुदायिक पट्टे और वन संसाधन सामुदायिक पट्टे देकर ग्रामीण इलाकों में रोजगार की संभावनाएं बढ़ाई गई है। राजस्व मंत्री ने जिले के आदिवासी समुदाय को विश्व आदिवासी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी तथा जल-जंगल-जमीन सहित स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय समुदायों का अधिकार सुनिश्चित करने और उनका जीवन स्तर उठाने की राज्य सरकार की प्राथमिकता पर बल दिया।


वनवासियों को मिले वन अधिकार पत्र, मेधावी विद्यार्थियों का हुआ सम्मान – विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में जिले के 43 वनवासियों को वन अधिकार मान्यता पत्रों का वितरण किया गया। राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल ने जिला पंचायत सभा कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में वनवासियों को वनअधिकार मान्यता पत्र दिए। इसके साथ ही उन्होंने प्रयास आवासीय विद्यालय के पांच और एकलव्य आवासीय विद्यालय के 10 मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित भी किया।

कलेक्टर श्रीमती साहू ने दी जिले में आदिवासी विकास के प्रयासों की जानकारी – कार्यक्रम के दौरान कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने कोरबा जिले में आदिवासी समुदाय के विकास के लिए किए जा रहे कार्यों और प्रयासों की जानकारी दी। कलेक्टर ने बताया कि कोरबा जिले में 51 हजार 374 वनवासियों को 27 हजार 551 हेक्टेयर से अधिक वनभूमि के लिए व्यक्तिगत पट्टे दिए जा चुके हैं। एक हजार 448 सामुदायिक वन अधिकार पट्टों के तहत 50 हजार 860 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि का सामुदायिक हक स्थानीय वनवासियों को मिला है। श्रीमती साहू ने बताया कि वनवासियों को विकास की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के अवसर बढ़ाने 126 समूहों को 90 हजार 518 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि के सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र भी दिए गए हैं।

उन्होंने बताया कि जिले में 124 छात्रावास और 59 अनुसूचित जनजाति आश्रम छात्रावास, चार आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। कलेक्टर ने बताया कक्षा दसवीं की बोर्ड परीक्षा में एकलव्य विद्यालय छुरी के कुल 56 विद्यार्थियों में से सभी ने 95 से 100 प्रतिशत तक अंक अर्जित किए हैं। प्रयास विद्यालय के 92 विद्यार्थियों ने भी 95 से 100 प्रतिशत अंक पाए हैं। उन्होंने बताया कि एकलव्य विद्यालय के दसवीं कक्षा के छात्र राजेन्द्र प्रसाद ने 96.66 प्रतिशत अंक प्राप्त कर मेरिट लिस्ट में स्थान हासिल किया था। इस छात्र ने कक्षा बारहवीं में 97.20 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। कलेक्टर ने यह भी बताया कि एकलव्य विद्यालय छुरी के चार विद्यार्थियों ने जेईई एडवांस परीक्षा के लिए क्वालीफाई कर लिया है और एक विद्यार्थी का चयन नीट की परीक्षा में भी हुआ है।

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