Post Covid Side Effects: कोरोना होने के बाद बढ़ा बालों का झड़ना, जानिए क्या है इलाज

Post Covid Side Effects: कोरोना की दूसरी लहर ने जिन लोगों को अपनी चपेट में लिया था, वह ठीक होने के बाद कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। इसमें से एक समस्या बालों के झड़ने को लेकर है। इन दिनों कोविड से ठीक हो चुके लोगों को बालों के झड़ने की समस्या से जूझना पड़ रहा है। ज्यादा बाल झड़ने की वजह से ठीक हो चुका मरीज तनाव ले रहा है और इससे समस्या में ज्यादा इज़ाफ़ा हो रहा है। डर्मेटोलॉजिस्ट एंड हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ दीपक मोहना के मुताबिक, दूसरी लहर के खत्म होने के करीब 2 महीने बाद बाल झड़ने की समस्या लेकर आने वाले मरीजों में एकाएक बढ़ोतरी हुई है। पिछले दिनों की तुलना में ऐसी समस्या लेकर आने वाले मरीज 7 गुना तक बढ़ गए हैं। इसमें महिलाओं का प्रतिशत सबसे ज्यादा है। डॉ मोहना के मुताबिक, बालों की जड़ें कमजोर हो रही है कोरोना से ठीक हो चुका मरीज जब अपने बालों का ज्यादा झड़ना देखता है, तो और तनाव में आ जाता है और ऐसे में बालों के झड़ने की समस्या और बढ़ती जा रही है। पहले के मुकाबले मरीजों की संख्या बढ़ी है और हर दिन 50 से 60 मरीज बाल झड़ने की समस्या लेकर आ रहे हैं। इसमें करीब 75 फ़ीसदी महिलाएं हैं, जिनके बाल जड़ से टूट रहे हैं।

डॉक्टरों ने बताया कि जब आपका शरीर किसी बीमारी से जूझता है, तो आवश्यक पोषक तत्व शरीर के अन्य जरूरी अंगों को जाते हैं और बालों की जड़ें पहली प्राथमिकता नहीं है, इसीलिए उन्हें आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते और जड़ें कमजोर होकर टूटने लगती है बाल बढ़ने की बजाय झड़ने वाली स्थिति में आ जाते हैं।

इस तरह के मरीजों को डॉक्टर दो तरह का इलाज दे रहे हैं, जिसमें पहला तो आपके खान-पान को लेकर है, जिसमें मरीज को खाने में सुधार लाने की बात कही जाती है और उन्हें अपने खाने में अनार, तुलसी पत्ते, हल्दी वाला दूध, मेथी दाना, गुड और पालक खाने की सलाह दी जाती है, लेकिन इसी के साथ खून का संचार बढ़ाने वाली यानी विटामिन और मिनरल्स की दवाइयां भी दी जाती है, लेकिन कई बार यह दो तरीके काम नहीं करते, तो एडवांस ट्रीटमेंट जैसे मिजो थेरेपी, पीआरपी और लेजर थेरेपी के जरिए भी इलाज करना होता है।

डॉक्टरों के मुताबिक, मरीज की ट्रायकोस्कोपी करके उसके बालों की जड़ों की स्थिति का पता लगाया जाता है, यदि फिलहाल की बात करें, तो 80 फीसद मरीज दवाइयों से ही सही हो रहे हैं, लेकिन 20 फीसदी मरीजों को एडवांस ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ रही है।

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