अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में आयोजित हुए विविध कार्यक्रम

फेस पेंटिंग स्लोगन एवं लघु नाटिका का मंचन कर इंडस दीपका के विद्यार्थियों ने दिया बाघ संरक्षण एवं प्राकृतिक संतुलन का सुंदर संदेश ।

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने चेहरे पर टाइगर की पेंटिंग कर बाघ संरक्षण का दिया संदेश ।

जंगल के शेर बचाओं, प्रकृति को नष्ट होने से बचाओं-डॉ. संजय गुप्ता ।

बाघ को इतिहास का पन्ना न बनने दें बाघ बचाओ, जंगल बचाओ-डॉ. संजय गुप्ता ।

कोरबा 29 जुलाई (वेदांत समाचार) अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस एक पर्व है जो कि हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है । इस दिन को मनाने का मकसद लोगों के बीच बाघों की प्रजाति की धीरे-धीरे विलुप्ति के विषय में जागरूकता फैलाना है । बाघ भारत का राष्ट्रीय जानवर है । आज के समय में दिन-प्रतिदिन बाघों की मात्रा कम होती जा रही है । इस जीव के विलुप्त होने का मुख्य कारण मनुष्य ही है । वर्तमान समय में पूरे विश्व में 1 लाख के करीब बाघ है जो कि दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है । प्रोजेक्ट टाइगर भारतीय सरकार के द्वारा चलाया जाने वाला अभियान है । यह अभियान भारत में बाघों की संख्या को बनाए रखने और उन्हें सुरक्षित करने के लिए शुरू किया गया है । इस अभियान की शुरूआत 1973 में बाघों को विलुप्त होने के संकट से बचाने के लिए की गई थी । यह योजना देश में बचे हुए बाघों को सुरक्षा और प्राकृतिक वातावरण प्रदान करने के लिए लगभग 23 बाघ अभ्यारण्यों को बनाया गया है । मनुष्य में अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए निरंतर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है । जंगलों को काटा, पहाड़ों को चीरा एवं नदियों की धाराओं को भी मोड़ा है । फलस्वरूप शनैः-शनैः विभिन्न प्राकृतिक बदलाव हमें दृष्टिगोचर हुए और सबसे ज्यादा असुरक्षित जंगलों में रहने वाले जीव हो गए । मनुष्य अपने शौक को पूरा करने के लिए अनादिकाल से निरंतर विभिन्न जंगली जानवरों का शिकार किया है एवं कई प्रजातियाँ तो ऐसी है जो लगभग नष्ट या विलुप्त हो गई है । मनुष्य का सबसे पसंदीदा जानवर शिकार की दृष्टि से राजा-महाराजाओं के समय से ही शेर रहा है । जिसे हम बाघ भी कहते हैं । लगातार शिकार करने के कारण एवं जंगलों को नष्ट करने के कारण इनकी संख्या में अप्रत्याशित गिरावट दर्ज की गई है । सरकार के द्वारा पूर्णतः प्रतिबंध लगाकर शिकार को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया एवं बाघों के प्राकृतिक वातावरण को भी संरक्षित व सुरक्षित रखने का प्रयास किया गया ।

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में बाघ संरक्षण के प्रति लोगों के मध्य जागरूकता फैलाने हेतु विभिन्न क्रियाकलापों का आयोजन किया गया । जिसके अंतर्गत इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने अपने चेहरे पर शेर की प्रतीकात्मक पेंटिंग के माध्यम से संरक्षण का संदेश दिया । विद्यार्थियों ने एक लघु नाटिका का भी मंचन किया जिसके माध्यम से उन्होंने पर्यावरण संरक्षण व वन्यजीवों की सुरक्षा व संरक्षण का सुंदर संदेश दिया । इस नाटक के माध्यम से बताया गया कि वन एवं पशु ही नहीं रहेंगें तो हमारे जीवन का भी कोई अस्तित्व नहीं रह जाएगा और खासकर हमें बाघों को तो संरक्षित करना ही चाहिए क्योंकि अगर आज हम इनका संरक्षण नहीं करेंगें तो आने वाले समय में शायद ये इतिहास बनकर रह जाएँगें । इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने विभिन्न पेंटिंग एवं स्लोगन लिखकर भी बाघों के संरक्षण के प्रति संदेश दिया ।

विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि बाघों का संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है । इसके लिए परमआवश्यक यह है कि हमें प्रकृति का भी संरक्षण करना आवश्यक है । चूँकि बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है अतः हमें इसकी सुरक्षा व संरक्षण व संरक्षण के विषय में भी गंभीर होना पड़ेगा । ताकि बाघ केवल इतिहास के पन्नों में ही दर्ज होकर ना रह जाए । हमें प्रत्येक दृष्टिकोण से पर्यावरण की सुरक्षा करनी होगी । वनों को काटने से बचाना होगा । हम सभी जानते हैं कि शेर शक्ति व शौर्य का प्रतीक है । हमें इनकी सुरक्षा व संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा । हमें यह भी सोचना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय टाइगर डे मनाने की आवश्यकता ही हमें क्यों महसूस हुई । हमें इसके पीछे के कारणों पर गंभीरता से विचार करना होगा । हमें इनके अवैध शिकारों को हर हाल में रोककर इन्हें सुरक्षा प्रदान करना होगा । इसके लिए सरकार भी प्रयासरत है पर यह हम सबकी भी जिम्मेदारी है कि हम लोगों को जागरूक करें ।

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